लखनऊ: देश की सबसे बड़ी साफ्टवेयर आउटसोर्सिंग कम्पनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के लखनऊ से अपना काम समेटने के स्पष्ट संकेत दिये जाने के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने आज कहा कि वह टीसीएस को राजधानी छोड़ने से रोकने के भरसक प्रयास करेगी।
प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने यहां कहा ‘‘हम टीसीएस को राजधानी से जाने नहीं देंगे। हम इस मामले को देखेंगे।’’ टीसीएस प्रबन्धन द्वारा लखनऊ से अपना काम समेटकर नोएडा जाने का इरादा जाहिर किये जाने के बाद यहां काम करने वाले कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगायी थी कि सरकार कम्पनी पर अपना कदम वापस लेने का दबाव बनाने के लिये हस्तक्षेप करे।
मालूम हो कि टीसीएस प्रशासन ने हाल में एक बयान में लखनऊ से अपना काम समेटने का स्पष्ट संकेत देते हुए कहा था कि वह अपने कामकाज को नोएडा में समेकित कर रहा है और उसके इस कदम से किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं छिनेगी। उन्हें नोएडा तथा वाराणसी समेत देश भर में मौजूद टीसीएस के केन्द्रों में समायोजित किया जाएगा।
लखनऊ में टीसीएस का कार्यालय करीब 30 साल से संचालित किया जा रहा है। यहां लगभग दो हजार कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं। इन कर्मियों का कहना है कि उनकी पारिवारिक स्थितियां ऐसी हैं कि वे लखनऊ छोड़कर कहीं और नहीं जा सकते।
प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और वक्फ राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने भी टीसीएस मामले में कहा था कि कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा की जाएगी।
मौर्य ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर दो हजार टीसीएस कर्मियों के हितों के संरक्षण के लिये कम्पनी प्रबन्धन से बात की जाएगी।
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