“भारत में आज़ादी के बाद से अब तक असमानता और अधिक बढ़ी है, हमने मृत्यु दर कम कर ली, हमने गरीबी पर भी गहरी चोट की है मगर बढ़ती आर्थिक और सामाजिक असमानता को कम करने की दिशा में हम बहुत कुछ सकारात्मक नही कर सके जिसके परिणाम स्वरुप आज हमे इस बढ़ती असमानता का शिकार होना पड़ा है” ये बात लखनऊ विश्व विद्यालय के आई एम एस के डायरेक्टर पी के चौबे जी ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में भारत के सामाजिक व आर्थिक असमानता को लेकर चल रहे दो दिवसीय सेमिनार का समापन समारोह में कही ।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी डॉ ललित वर्मा उपस्थित रहे, उन्होंने वृद्ध लोगों की सामाजिक सुरक्षा पर एक आंकलन प्रस्तुत किया जिसमें समाज के वृद्ध लोगों की सुरक्षा और सुविधाओं के बारे में बात की और बताया की पहले की तुलना में आज वृद्ध लोगों को कही ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है, उन्हें सामाजिक और आर्थिक दोनों असमानताओं से जूझना पड़ता है । उन्हें तुलनात्मक तौर पर जितनी सुविधाएं मिलनी चाहिए उतनी नही मिलती और उनके लिए सरकार द्वारा भी जो योजनाएँ चलाई जाती है उसका पूरा फायदा उन्हें नही मिलता ।
राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और समारोह के अध्यक्ष प्रोफेसर पी के सिन्हा जी ने इस विषय पर बोलते हुए कहा की हमारे देश की 90 प्रतिशत जनसख्या देश की कुल सम्पदा का महज़ 10 प्रतिशत ही हासिल कर पाती है बाकी की 90 प्रतिशत सम्पदा पर देश के 10 प्रतिशत पूँजीपति वर्ग का कब्ज़ा है जो साफ़ तौर पर यह दर्शाती है कि किस कदर हमारे देश में आर्थिक असमानता शीर्ष पर है। कार्यक्रम में पंजाब विश्वविद्यालय के हेड प्रोफेसर डी के मदान भी विशिष्ठ अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे जिन्होंने भारत में आर्थिक विकास के बाद भी बढ़ी असमानता पर बोलते हुए कहा की अगर हम इस असमानता को ख़त्म करना चाहते है तो समाज के सभी वर्ग को सामान शिक्षा का अधिकार देना पड़ेगा और सभी वर्ग में संपत्ति और सम्पदा का सामान वितरण सुनिश्चित करना होगा तभी हम इस सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं ।
कार्यक्रम में विभिन्न विश्व विद्यालयों से आए कई शोधार्थियों ने अपने पेपर प्रस्तुत किया । प्रोफेसर नायक ने समारोह में प्रस्तुत सभी अतिथियों, विश्विद्यालय के शिक्षक व शोध छात्र–छात्राओ का धन्यवाद किया ।
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