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उत्तराखण्ड लाइवस्टाॅक डेवलपमेंट बोर्ड की समीक्षा करती हुईः पशुपालन मंत्री रेखा आर्य

उत्तराखण्ड लाइवस्टाॅक डेवलपमेंट बोर्ड की समीक्षा करती हुईः पशुपालन मंत्री रेखा आर्य
उत्तराखंडकृषि संबंधित

देहरादून: पशुपालन के क्षेत्र में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है जिसके परिपेक्ष्य में मा0 मंत्री, पशुपालन, उत्तराखण्ड सरकार श्रीमती रेखा आर्या, उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों में स्थापित किये जाने वाले 10 मोबाईल भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्रों का शुभारम्भ पशुधन निदेशालय, पशुधन भवन मोथोरावाला में किया गया। इस अवसर पर प्रत्येक केन्द्र हेतु भ्रूण प्रत्यारोपण किट एवं एक-एक मोटर साईकिल दी गयी, जिसका शुभारम्भ मा0 मंत्री द्वारा हरी झण्डी दिखा कर किया गया। इसके पश्चात मा0 मन्त्री जी द्वारा यू0एल0डी0बी0 द्वारा विकसित कृत्रिम गर्भाधान एप तथा पशुपालन विभाग का हेल्प लाईन नम्बर -0135 2532854  का कार्यक्रम मे शुभारम्भ किया गया ।

इसके साथ ही मा0 मंत्री जी द्वारा उत्तराखण्ड लाइवस्टाॅक डेवलपमेन्ट बोर्ड की समीक्षा करते उन्होने कहा कि भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्रों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च नस्ल की रेड सिन्धी गायों की संतति उत्पन्न करायी जायेगी, जिससे कि देशी नस्लों की गायों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जा सकें एवं किसानों, पशुपालकों की दुग्ध उत्पादक के माध्यम से आय दुगनी की जा सकें। कृत्रिम गर्भाधान एप के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता कृत्रिम गर्भाधान की सूचना यू0एल0डी0बी0 की बेबसाईड पर अंकित कर सकेगे। उन्होने कहा कि पशुपालकों की किसी भी समस्या के समाधान के लिए हेल्पलाईन  नम्बर 0135-2532854 पर  पशुपालक अपनी किसी भी समस्या एवं जानकारी के लिए पशुपालन निदेशालय पर प्रातः 10.00 बजे सांय 5.00 के मध्य विशेषज्ञ चिकित्सको एवं अधिकारियो के माध्यम से पशुपालक अपनी समस्याओ का तत्काल निराकरण कर सकते हैं तथा जनपदों से सम्बन्धित समस्याओ का निराकरण मुख्य पशुचिकित्साधिकारियों के माध्यम से कराया जायेगा। उन्होने यह भी कहा कि पशुपालकों को पशु का न्यूनतम दर पर बीमा किया जायेगा, जिससे दैवीय आपदा के कारण या अन्य दुर्घटना में मारे गये पशुओं का बीमा मुहैया हो सके। उन्होने कहा कि पशुओं के लिए पर्याप्त चारा उपलब्ध हो इसके लिए चारा बैंकों की भी स्थापना की जायेगी, जिससे पशुपालक पशुओं को पर्याप्त चारा उपलब्ध हो सकेगा।

बैठक में पशुपालन मंत्री द्वारा विभाग मे संचालित हो रही योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की गयी। जिसमें भारत सरकार से ए ग्रेड मान्यता प्राप्त अतिहिमीकृत वीर्य उत्पादन केन्द श्यामपुर-ऋषिकेश का संचालन किया जा रहा है। इस केन्द्र के माध्यम से वर्ष 2016-17 में 28.00 लाख सीमेन स्ट्रा उत्पादित की गयी। वर्तमान में इस केन्द्र पर 120 विभिन्न नस्लों यथा फ्रिजियन, जर्सी, रेड सिंन्धी साहिवाल, फ्रिजियन क्रांस, हरियाणा एवं मुर्रा नस्ल के सांड़ रखे गये है। कुल उत्पादित सीमन का 25 प्रतिशत उत्तराखण्ड में प्रयोग किया जा रहा है शेष 75 प्रतिशत सीमन अन्य राज्यों को विक्रय किया जा रहा है। अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि कालसी स्थित पशु प्रजनन प्रक्षेत्र पर रेड सिन्धी नस्ल की भारतीय नस्ल की उच्च गुणवत्ता की गायों का संवर्धन किया जा रहा है। कालसी प्रक्षेत्र पर ही भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र स्थापित है जो कि पूरे भारत वर्ष में एक मात्र उत्कृृष्ट केन्द्र है। जहां पर रेड सिन्धी नस्ल की गायों से भू्रण प्राप्त कर उन्नत बछिया/बछड़ें उत्पादित किये जा रहे है। केन्द्र की स्थापना से अब तक भू्रण प्रत्यारोपण विधि से 240 बछिया/बछड़ें उत्पादित किये जा चुके है तथा कालसी प्रक्षेत्र स्थित फीडर फाॅडर बैंक के माध्यम से राहत भूसा भेली एवं दुधारू भूसा भेली उत्पादित की जा रही है। स्थापित फाॅडर बैंक की क्षमता 10 मी0 टन प्रतिदिन है। भूसा भेलियां राज्य के चारे की कमी वाले क्षेत्रों में भेजी जाती है। उत्तराखण्ड राज्य में 109 चारा बैंकों की स्थापना की गयी है, जिनके माध्यम से भूसा भेलियां पशुपालकों को उपलब्ध कराया जा रहा है। नेशनल लाइवस्टाॅक मिशन- जोखिम प्रबन्धन एवं बीमा योजना के द्वारा 01 पशुपालक के 05 बड़े पशु यथा गाय भैंस एवं 50 छोटे पशु यथा भेड़ बकरी का बीमा किया जाता है। बीमा के प्रीमियम पर भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत पशुओं का 01 एवं 03 वर्ष हेतु बीमा किया जात है। वर्तमान तक 30647 पशुओं का बीमा किया गया है तथा पशु की मृृत्यु होने पर पशुपालक को बीमा क्लेम के रूप में 297.75 लाख की धनराशि बीमा कम्पनी से दिलायी गयी है।

बैठक में अवगत कराया गया कि राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओं हेतु कौशल विकास के अन्तर्गत 120 दिन का कृत्रिम गर्भाधान का प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे कि राज्य के दुगर्म क्षेत्रों में जहां विभाग कृत्रिम गर्भाधान की सुविधायें नही दे पा रहा है। वहां कृत्रिम गर्भाधान की सुविधाएं प्राप्त हो सकें एवं शिक्षित बेरोजगारों हेतु रोजगार का सृजन किया जाता है। बोर्ड द्वारा नेशनल डेरी प्लान के अन्तर्गत 04 जनपदों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर एवं नैनीताल में प्रोजनी टेस्टिंग कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके तहत उच्च गुणवत्ता के नर बछड़ों को पशुपालकों से क्रय कर सीमन उत्पादन हेतु प्रयोग किया जा रहा है। इस परियोजना से 100 प्राईवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं हेतु अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन किया जा रहा है। इस योजना से वर्तमान तक 39638 पशुपालकों/कृषकों को लाभान्वित किया गया है। प्रस्तावित योजना में राज्य की स्थापित बद्री नस्ल के उन्नयन एवं संवर्धन हेतु 10 पर्वतीय जनपदों की 1000 गायों में फीड परफोरमेन्स रिर्काडिंग योजना से 30 उच्च नस्ल के बद्री बछड़ांे का चयन किया जायेगा, जिसमंे से सर्वश्रेष्ठ बछड़ों से वीर्य उत्पादन कर बद्री गायों में कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा पशुपालकों को उपलब्ध करायी जायेगी। आजीविका परियोजना के अन्तर्गत बोर्ड द्वारा वर्ष 2016-17 में 64 कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र स्थापित किये गये जिसमें 31 पुराने प्राईवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को अनुदान दिया गया एवं 33 नये शिक्षित बेरोजगारों को कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र खुलवायें गये जो कि वर्तमान में इन केन्द्रों के माध्यम से पर्वतीय जनपदों में अपने जीवन यापन का कार्य कर रहें है।

बैठक में अवगत कराया गया कि भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय गौकूल मिशन के अन्तर्गत सभी गौवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं को 12 अंकों का विशिष्ट कर्ण छल्ला लगाकर पंजीकरण करने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।  उत्तराखण्ड राज्य में वर्ष 2016-17 में 6.31 लाख गाय भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान किया गया इस वर्ष राज्य के 8.50 लाख गौवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान से गर्भित करने का लक्ष्य रखा गया है। कृत्रिम गर्भाधान विधि से पशुओं में होने वाले विभिन्न रोगो से बचा जा सकता है, एवं पशुओं से मनुष्यों में फेलने वाली बीमारियों पर भी रोकथाम लगायी जा सकती है। प्रत्येक गौवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कराया जाना एक उचित एवं उत्तम विधि है।

कार्यक्रम में सचिव, पशुपालन डा0 आर0 मीनाक्षी संुदरम, अपर सचिव डा0 एस0एस0 बिष्ट, निदेशक, पशुपालन, डा0 कमल सिंह, मुख्य अधिशासी अधिकारी, यू.एल.डी.बी., डाॅ0 अविनाश आनन्द, अपर निदेशक डा0के0के0 जोशी,  संयुक्त निदेशक, यू.एल.डी.बी. डा0 जी0डी0 जोशी एवं निदेशालय के समस्त अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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