लखनऊ: राज्य सरकार ने उन्नाव में विचाराधीन बन्दी, श्री पप्पू उर्फ सुरेन्द्र सिंह पुत्र स्व0 मंगल सिंह की ‘उमाशंकर दीक्षित जिला पुरूष चिकित्सालय’ उन्नाव में उपचार के दौरान हुई मृत्यु के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी उन्नाव की अध्यक्षता में गठित समिति की जांच आख्या एवं जिलाधिकारी उन्नाव की प्रारम्भिक आख्या के आधार पर दोषी पाये गये मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा0 डी.के. द्विवेदी एवं आकस्मिक चिकित्सा अधिकारी डा0 प्रशान्त उपाध्याय को पदीय दायित्वों एवं कर्तव्यों के प्रति घोर उदासीनता एवं लापरवाही बरतने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ विभाग द्वारा इस संबंध में आवश्यक आदेश निर्गत कर दिये गये हैं।
यह जानकारी आज यहां प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री प्रशान्त त्रिवेदी द्वारा दी गयी। उन्होंने बताया कि निलम्बन अवधि में डा0 द्विवेदी एवं डा0 उपाध्याय को महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश लखनऊ से संबद्ध किया गया है।
श्री त्रिवेदी ने बताया कि प्रश्नगत प्रकरण में वरिष्ठ परामर्शदाता (सर्जन) डा0 जी.पी. सचान, डा0 मनोज कुमार आर्थो सर्जन, डा0 गौरव अग्रवाल आकस्मिक चिकित्सा अधिकारी उमाशंकर दीक्षित जिला पुरूष चिकित्सालय उन्नाव अपने पदीय दायित्वों एवं कर्तव्यों के प्रति घोर उदासीनता एवं लापरवाही बरतने के प्रथमदृष्टया दोषी हैं। इन लोगों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संस्थित की गई है। प्रश्नगत विभागीय कार्यवाही में निदेशक (प्रशासन) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उ0प्र0 लखनऊ को जांच अधिकारी नामित किया गया है।