नई दिल्ली: एक दीर्घकालीन सेवा के बाद, आज आप नई कार्यक्षेत्र की तरफ प्रयाण करेंगे ऐसा मुझे पूरा भरोसा है, क्योंकि physically आपने अपने आपको काफी fit रखा है। एक ऐसा परिवार जिसका करीब सौ साल का इतिहास सार्वजनिक जीवन का रहा हो, उनके नाना, उनके दादा कभी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष रहे, कभी संविधान सभा में रहे, एक प्रकार से आप उस परिवार की पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके पूर्वजों का सार्वजनिक जीवन में, विशेष करके कांग्रेस के जीवन के साथ और कभी खिलाफत मूवमेंट के साथ भी काफी कुछ सक्रियता रही।
आपका अपना जीवन भी एक Career Diplomat आ रहा। अब Career Diplomat क्या होता है, वह तो मुझे प्रधानमंत्री बनने के बाद ही समझ आया, क्योंकि उनके हंसने का क्या अर्थ होता है, उनके हाथ मिलाने का तरीके क्या अर्थ होता है, तुरंत समझ नहीं आता है! क्योंकि उनकी ट्रेनिंग ही वही होती है। लेकिन उसको कौशल्य का उपयोग यह 10 साल यहां जरूर यहाँ हुआ होगा। यह सब को संभालने में, इस कौशल्य ने किस प्रकार से लाभ इस सदन को पहुंचाया होगा।
आप के कार्यकाल का बहुत सारा हिस्सा West Asia से जुड़ा रहा है As a Diplomat. उसी दायरे में जिंदगी के बहुत सारे वर्ष आपके गए, उसी माहौल में, उसी सोच में, उसी debate में, ऐसे लोगों के बीच में रहे। वहां से रिटायर होने के बाद भी ज्यादातर काम वहीँ रहा आपका, Minority Commission हो या Aligarh University हो, तो एक दायरा आपका वही रहा। लेकिन यह 10 साल एक अलग जिम्मा आपके हिस्से में आया और पूरी तरह एक एक पल संविधान, संविधान, संविधान के ही के दायरे में चलाना और आपने उसको बखूबी निभाने का भरपूर प्रयास किया।
हो सकता है कुछ छटपटाहट रही होगी भीतर आपके भी, लेकिन आज के बाद वह संकट आपको नहीं रहेगा और मुक्ति का आनंद भी रहेगा और अपनी मूलभूत जो सोच रही होगी, उसके अनुसार आपको कार्य करने का, सोचने का, बात बताने का अवसर भी मिलेगा।
आपसे मेरा परिचय ज्यादा तो रहा नहीं, लेकिन जब भी मिलना हुआ, काफी कुछ आपसे जानने-समझने को मिलता था। मेरी विदेश यात्रा में जाने से पहले, आने के बाद, आपसे जब बात करने का मौका मिलता था, तो आप की जो एक insight थी उसका मैं जरूर अनुभव करता था और वह मुझे चीजों को जो दिखती हैं, उसके सिवाय क्या हो सकती हैं, इसको समझने का एक अवसर देती थी और इसलिए मैं ह्रदय से आपका बहुत आभारी हूं, मेरी तरफ से हृदय से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।
राष्ट्र के उप-राष्ट्रपति के रूप में, आपकी सेवाओं के लिए दोनों सदन की तरफ से, देशवासियों की तरफ से भी आपके प्रति आभार का भाव है और आपका यह कृतित्व, यह अनुभव और इस पद के बाद निवृत्ति, अपने आप में एक लम्बे अरसे तक, समाज जीवन में उस बात को एक वजन रखती है। राष्ट्र के संविधान की मर्यादाओं पर चलते हुए देश का मार्गदर्शन करने में आपका समय और शक्ति काम आएगा, ऐसी मेरी पूरी शुभकामनाएं हैं!