नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि विकसित भारत की दिशा में पहला कदम एक स्वच्छ और स्वास्थ्यकर यानी एक स्वस्थ भारत का सृजन करना है। वे आज कर्नाटक में गडग जिले के कोन्नुर गांव में ‘स्वच्छता ही सेवा’ और ‘शौचालय के लिए समर’ कार्यक्रमों के उद्घाटन के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर कर्नाटक के राज्यपाल श्री वजुभाई रुडाभाई वाला, पेयजल एवं सफाई राज्यमंत्री श्री रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी, कर्नाटक के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री एच के पाटिल और अन्य कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक भारतीय को इस जन आंदोलन का बड़े उत्साह के साथ हिस्सा बनना चाहिए ताकि 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक ‘क्लीन इंडिया’ के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता का सपना स्वच्छ भारत अभियान के जरिए हासिल किया जा सकता है बशर्तें बड़ी हस्तियों से लेकर आम आदमी तक बिना किसी स्वार्थ के इसमें हिस्सा लें और कार्यक्रम का स्वामित्व संभाले।
उपराष्ट्रपति ने बताया कि बेहतरीन सफाई से सालाना हर परिवार 50 हजार रुपये बचा सकता है जैसे की यूनिसेफ का आकलन है। उन्होंने बताया कि डायरिया से भारत में हर साल एक लाख से अधिक बच्चों की मौत होती है। उन्होंने ये भी बताया कि साफ-सफाई की कमी से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी बाधित होता है। इसके अलावा महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न होता है जब वे खुले में शौच के लिए जाती हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में खुले में शौच के लिए जाने वाले लोगों की संख्या वर्ष 2014 में 60 करोड़ से घटकर अब 30 करोड़ रह गई है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि स्वच्छता ही सेवा अभियान से स्वच्छ भारत अभियान को गति मिलेगी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य देश भर के लोगों, खासकर सभी स्तर के सरकारी कर्मचारियों, स्थानीय नेताओं, युवा समूहों, महिलाओं, स्कूली बच्चों, रक्षा कर्मियों, कॉरपोरेट जगत की हस्तियों, धार्मिक संस्थाओं, और नागरिकों को शौचालय बनाने और रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों, पार्कों, बाजारों, अस्पतालों, स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थलों की सफाई के वास्ते श्रमदान के लिए तैयार करना है। उन्होंने कहा कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों और पूजा स्थलों, विरासत स्थलों, समुद्र तटों जैसे सांस्कृतिक विरासतों की पवित्रता और सफाई को संरक्षित रखना जरूरी है।