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कानून का लक्ष्य अन्तिम छोर पर बैठे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना होना चाहिए: प्रधानमंत्री

कानून का लक्ष्य अन्तिम छोर पर बैठे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना होना चाहिए: प्रधानमंत्री
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि कानून का लक्ष्य अन्तिम छोर पर बैठे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था ऐसी हो कि सबको न्याय आसानी से सुलभ हो। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक तर्कसंगत बनाने के साथ-साथ वादों के त्वरित निस्तारण पर भी बल दिया।
प्रधानमंत्री ने आज इलाहाबाद में उच्च न्यायालय के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक वर्ष तक चलने वाले समारोह के समापन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में देश आजादी के 75 वर्ष पूरे करेगा। यहां से पूरा देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर वर्ष 2022 तक नये भारत के लिए एक ऐसा रोडमैप तैयार करे, जिसके तहत देश की तरक्की के साथ-साथ न्यायिक व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
श्री मोदी ने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा कि हम सभी नये भारत का संकल्प लें और हर क्षेत्र में नयी उमंग व ऊर्जा से नव निर्माण में लग जाएं। उन्होंने कहा कि अपने सपनों को साकार करते हुए सभी देशवासी देश को एक नयी पहचान देने में मदद करें। उन्होंने न्यायविदों, अधिवक्ताओं सहित समाज के हर वर्ग के लोगों से अपील की कि वे नव भारत के निर्माण के साथ विजन-2022 के संकल्प को पूरा करने में लग जाएं, ताकि देश प्रगति की नयी ऊँचाइयों को हासिल करते हुए एक महाशक्ति के रूप में विकसित हो सके।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के गौरवशाली अतीत का विस्तार से चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के दौरान यहां के न्यायविदों और अधिवक्ताओं ने जिस भूमिका का निर्वहन करते हुए हमें आजादी दिलायी और आजादी के बाद भारतीय लोकतंत्र को जो मजबूती दी, उससे पूरा देश गौरवान्वित है। केन्द्र सरकार द्वारा न्यायिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में लागू छोटे-बड़े लगभग 1200 कानूनों का अध्ययन कर उनका सरलीकरण किया गया है।
न्याय के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकी की पुरजोर वकालत करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की सराहना की कि उन्होंने इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया है। उन्होंने केन्द्र सरकार की ओर से हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को न्याय का तीर्थ बताते हुए कहा कि यहां के न्यायविदों ने भारतीय लोकतंत्र को अथाह ऊर्जा दी है। 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक वर्ष के समारोहों की सफलता पर प्रधानमंत्री ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, अन्य न्यायमूर्तियों व अधिवक्तागणों की सक्रियता की मुक्तकंठ से सराहना की।
भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री जे0एस0 खेहर ने अपने उद्बोधन में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की न्याय के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस उच्च न्यायालय ने भारत को 05 मुख्य न्यायाधीश दिए हैं। प्रधानमंत्री के नव भारत के संकल्प के साथ मन की बात की चर्चा करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने न्यायालयांे में बड़ी संख्या में लम्बित वादों पर अपने बात रखते हुए कहा कि यदि सर्वाेच्च न्यायालय से लेकर उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायमूर्तिगण कम से कम 5-10 दिन का समय निकालते हुए लम्बित मामलों को सूचीबद्ध कर निस्तारण की कार्य योजना बना लें, तो निश्चित रूप से अकेले सर्वोच्च न्यायालय के 80-85 जज अपनी इस छोटी से सैक्रिफाइस से लम्बित वादों के बोझ को कम कर सकते हैं।
श्री खेहर ने इस दिशा में ‘टर्निंग प्वाइण्ट या डिसाइडिंग मूवमेन्ट‘ की चर्चा करते हुए कहा है कि अब समय आ गया है कि हम लोग इस दिशा में आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से भी इस दिशा में वादों के लम्बित फेहरिस्त को कम किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सर्वाेच्च न्यायालय में इस दिशा में आगे बढ़ते हुए ई-काॅन्स्टीट्यूशन बेंच की स्थापना की गई है। इस अवसर पर न्यायिक इतिहास में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना के-1866 से 100 वर्ष यानि 1966 के अवसर पर प्रकाशित पुस्तक का मुख्य न्यायाधीश ने विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, केन्द्रीय कानून मंत्री, राज्यपाल श्री राम नाईक, मुख्य न्यायाधीश श्री दिलीप बाबा साहेब भोसले, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा व अन्य न्यायमूर्तिगणांे का प्रदेश सरकार की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र पर जब-जब संकट आया है, तब-तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उच्च मानदण्डों की स्थापना करने के साथ लोकतंत्र की रक्षा की है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय को देश में न्याय का बड़ा मंदिर बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबों, शोषितों, वंचितों और महिलाओं को सर्वसुलभ न्याय दिलाने में इलाहाबाद उच्च न्यायालय सहित अधीनस्थ न्यायालयों की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में उच्च तकनीकी और अवस्थापना सुविधाओं को उपलब्ध कराने में प्रदेश सरकार हर सम्भव मदद करेगी। उन्होंने इस अवसर पर बताया कि 14वें वित्त आयोग ने न्यायिक व्यवस्था सुदृढ़ करने के उद्देश्य से समस्त राज्यों के लिए कुल 9748 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने की अनुसंशा की है। इस राशि में से 915 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश के लिए इंगित हैं, जिसमें से 488 करोड़ रुपए केवल फास्ट ट्रैक कोर्ट जघन्य अपराध, वरिष्ठ नागरिक, महिला, बच्चों एवं दिव्यांगों के लिए रखे गए हैं।
इससे पूर्व, मंच पर पहुंचने के पश्चात प्रधानमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। ‘वंदेमातरम्’ गायन के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल श्री राम नाईक ने ‘न्यूज रीडर’ पत्रिका तथा ‘डेवलपमेण्ट आॅफ लाॅ’ पुस्तक का विमोचन किया।
कार्यक्रम के दौरान इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री दिलीप बाबा साहेब भोसले ने प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री जगदीश सिंह खेहर, मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल श्री राम नाईक सहित अन्य अभ्यागत न्यायमूर्तिगणों, इलाहाबाद उच्च न्यायालय सहित अन्य उच्च न्यायालयों के वर्तमान व भूतपूर्व न्यायमूर्तियों सहित प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, केन्द्रीय कानून मंत्री व अन्य अभ्यागतों का स्वागत करते हुए कहा कि इलाहाबाद गंगा-यमुना व अदृश्य सरस्वती की ही त्रिवेणी नहीं है, अपितु यह न्याय के क्षेत्र की भी त्रिवेणी है। इलाहाबाद देश की सांस्कृतिक राजधानी होने के साथ-साथ, विश्व के सबसे बड़े कुम्भ मेले के आयोजन की भी स्थली है। श्री भोसले ने न्याय के क्षेत्र में इस उच्च न्यायालय के योगदान की विस्तार से चर्चा की।
सर्वाेच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति श्री दीपक कुमार मिश्रा, केन्द्रीय कानून मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने भी इस अवसर पर अपने उद्बोधन में उच्च न्यायालय के अतीत से लेकर वर्तमान तक की न्यायिक यात्रा का विस्तार से उल्लेख किया। प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक, उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश के विधि एवं न्याय मंत्री श्री बृजेश पाठक, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एशोसिएशन के अध्यक्ष श्री अनिल तिवारी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति श्री बी0के0 शुक्ला भी मंच पर उपस्थित थे।
कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी, मा0 सर्वाेच्च न्यायालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, अन्य उच्च न्यायालयों के वर्तमान एवं भूतपूर्व न्यायमूर्तिगणों सहित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्तागण उपस्थित थे। कार्यक्रम के समापन पर अभ्यागत अतिथियों के प्रति आभार प्रदर्शन मा0 उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ के वर्ष भर के आयोजनों के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री तरुण अग्रवाल ने किया।

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