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किसान नेता और समाजसेवी अन्ना हजारे लखनऊ में लोकतंत्र की पाठशाला को करेंगे संबोधित

उत्तर प्रदेश

किसान नेता और समाजसेवी अन्ना हजारे सोमवार को लखनऊ पहुंचे। उनका अमौसी हवाई अड्डे पर समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया। अन्ना हजारे लोकपाल, किसान समस्या और चुनाव सुधार के लिए दिल्ली में 23 मार्च से सत्याग्रह करेंगे। सत्याग्रह हेतु जन जागरण के मकसद से पूरे देश में कार्यकर्ताओं और जनता से मिलकर इन विषयों को बता रहे हैं इसी के तहत वह राजधानी लखनऊ आये।

आयोजक लोकतंत्र मुक्ति आन्दोलन के संयोजक प्रताप चन्द्रा नें बताया कि जननायक अन्ना हजारे 26 फरवरी 2018 को दिल्ली से सुबह 10:10 पर लखनऊ एयरपोर्ट पर पहुंचे। यहां कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। अमौसी एयरपोर्ट से वह पारा इलाके के सदरौना स्थित मान्यवर काशीराम शहरी आवास कालोनी पहुंचे। यहां वह कार्यकर्ताओं के साथ कार्यकर्तासभा करेंगे तत्पश्चात एलडीए कालोनी, कानपूर रोड स्थित डॉ० राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में सायं 4 बजे से आयोजित लोकतंत्र की पाठशाला में मुख्य अतिथि के रूप में छात्रों से अपने अनुभव साझा करेंगे। शाम 6 बजे पत्रकारों से रूबरू होंगे।

अगले दिन मंगलवार 27 फ़रवरी 2018 को सुबह 08:30 बजे लखनऊ से सीतापुर में आयोजित जनसभा हेतु जायेंगे। सीतापुर के रास्ते में सिधौली, खैराबाद व कमलापुर में स्थानीय कार्यकर्ता अन्ना हजारे का स्वागत करेंगे। तत्पश्चात सीतापुर की जनसभा करेंगे और रात्रि विश्राम लखनऊ में करेंगे एवं 28 फ़रवरी 2018 को सुबह फ्लाईट पुणे के लिए रवाना होंगे।

सर्वविदित है कि यहां के निवासी अन्ना से प्रेरित होकर अपने संसाधनों के लिए संघर्ष करते रहे हैं। लोकतंत्र के पैरोकार अन्ना हजारे आज लोकतंत्र की पाठशाला में छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करेंगे और छात्रों को लोकतान्त्रिक मूल्यों, संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में बताएँगे जिससे युवा सशक्त बन सके तथा समाज समृद्ध और भारत विकसित देश बन सके।

प्रताप चंद्रा नें कहा कि भारत की आज़ादी के बाद तय हुआ था कि जनता का जनता के लिये और जनता द्वारा चलाया जानें वाला लोकतंत्र होगा। परन्तु कालांतर की चुनावी प्रक्रिया नें इसे बदल कर न सिर्फ पुनः ईस्ट इण्डिया कंपनी की तरह निकाय, संगठनों नें देश की सत्ता चलानी शुरू की अपितु मिले लोकतंत्र को अगवा कर अपने सोच, विचार और फैसले को जनता पे थोपना शुरू कर दिया। जिसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि लोकतंत्र में जनता मालिक होती है।

परन्तु जिसे जनता नें ये कह कर हरा दिया कि आप सदन में नहीं जानें लायक है, फिर जनता से ऊपर कौन और कैसे हो गया जो निचली सदन में हारनें वाले को उच्च सदन राज्यसभा में बैठा देता है, फिर जनता मालिक कहाँ रही। इसीलिए लोकतंत्र को आज़ाद कराने की जरुरत है। जिससे सरकारें जनता के प्रति जवाबदेह हो सकें। लोकतंत्र का अर्थ जनता के प्रति जवाबदेही और निष्पक्ष चुनाव है। संविधान के मुताबिक सभी को जीने, अवसर की समता, शिक्षा और रोजगार की गारंटी है जो आज नहीं है परन्तु मिलना ही चाहिये।

लोकतंत्र की पाठशाला में बताया जा रहा कि पहला शिक्षा लोन ब्याज मुक्त हो क्यूंकि देश में कार लोन, हाउस लोन से भी महंगा शिक्षा लोन है। जबकि शिक्षा लोन छात्र के पढ़ाई के दौरान ब्याज मुक्त होना चाहिये। जिससे छात्र ब्याज के बोझ को न सोचकर अपनी पढ़ाई कर सके। दूसरा छात्रों को मनरेगा की तरह रोजगार गारंटी हो क्यूंकि छात्र देश का भविष्य है जिसे निराशा व् अवसाद से बचाना होगा।

जैसे मनरेगा में मजदूरी की गारंटी है, छात्रों को वर्ष के 90 दिन की रोजगार की गारंटी हो। जिससे 36 हज़ार रुपये मिल सके ताकि अपने निजी खर्चों के लिए किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े और शेष 275 दिन अपनी पढ़ाई या परीक्षा की तैयारी कर सके तभी सशक्त भारत की कल्पना साकार होगी। तीसरा NOTA को राईट-टू-रिजेक्ट माना जाये। क्योंकि NOTA बटन को राईट-टू-रिजेक्ट बनानें से अच्छे उम्मीदवार चुनाव में आयेंगे।

अगर जनता किसी उम्मीदवार को अपनें प्रतिनिधि के लायक नहीं समझती है तो उसे रिजेक्ट कर सकेगी। इस डर से पार्टियाँ भी अच्छे प्रत्याशी खड़ा करेंगी। चुना हुआ प्रतिनिधि जनहित में काम करने को बाध्य होगा। चौथा प्रत्याशी की फोटो ही चुनाव-चिन्ह हो क्योंकि EVM पर अब प्रत्याशी की फोटो लगने लगी है। अब वोटर अपने प्रत्याशी को फोटो से पहचान कर वोट दे लेंगे। इससे न सिर्फ प्रतिनिधि जनता के बीच रहनें को बाध्य होगा, बल्कि सबसे महंगी बिकाऊ चीज चुनाव चिन्ह की नीलामी बंद हो जाएगी।जिससे राजनीतिक भ्रष्टाचार ख़त्म होगा और लोकतंत्र प्रभावी हो जायेगा।

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