देहरादून: राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने कहा कि खेती को लाभकारी बनाने के लिए किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना सुनिश्चित कराना होगा। कृषि-शिक्षा, कृषि-अनुसंधान के साथ ही कृषि उत्पादों के भण्डारण व विपणन पर फोकस किए जाने की आवश्यकता है। राज्यपाल शनिवार को किसान भवन में आयोजित ‘‘न्यू इंडिया मंथन- संकल्प से सिद्धि’’ कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि न्यू इंडिया के लिए हमारे द्वारा लिए गए संकल्प, सिद्धि बन सकें इसके लिए बहुत-बहुत जरूरी है कि हमारा विशेष फोकस किसानों व खेती पर हो। कार्यक्रम का आयोजन, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून व कृषि विज्ञान केंद्र देहरादून द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में पलायन को रोकने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करना होगा। इसलिए उत्तराखण्ड के संदर्भ में कृषि, हाॅर्टीकल्चर, पशुपालन, मत्स्य पालन व कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियों का महत्व और भी बढ़ जाता है। किसानों के कल्याण के लिए भारत सरकार व राज्य सरकारों के साथ ही सभी संबंधित संस्थाओं को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
राज्यपाल ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि-शिक्षा व कृषि-अनुसंधान पर विशेष बल देते हुए कहा कि कृषि व गैर कृषि आय के अंतर को कम करना होगा। कृषि में आधुनिक तकनीक को प्रोत्साहित करना होगा। पर्वतीय क्षेत्रों में जहां अनाज की पैदावार कम होती है, वहां नकदी फसलों, फल-फूल व ड्राईफ्रूट जैसे विकल्पों पर ध्यान दिया जाए। परंतु ये सभी प्रयास तभी सार्थक होंगे जब किसानों के उत्पादों की बाजार तक पहुंच सुनिश्चित हो। कृषि उत्पादों के भण्डारण व विपणन की व्यवस्था करनी होगी। हमें देखना होगा कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले।
राज्यपाल ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर लोकसभा में विशेष चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने सम्बोधन में भ्रष्टाचार, गरीबी, निरक्षरता और कुपोषण जैसी चुनौतियों को दूर करने के लिए जन संकल्प लेने का आह्वान किया था। अगले पांच वर्ष ‘संकल्प से सिद्धि’ के लिए होने चाहिए। न्यू इंडिया के लिए हमारे द्वारा लिए गए संकल्प, सिद्धि के रूप में परिणत हो सकें और हम एक न्यू इंडिया का निर्माण कर सकें, इसके लिए बहुत-बहुत जरूरी है कि हमारा विशेष फोकस किसानों व खेती पर हो। आजादी के बाद पहली पंचवर्षीय योजना में कृषि व किसानों पर विशेष बल दिया गया था। इसके बाद वर्ष 1968 में हरित क्रांति का आरम्भ हुआ जिसमें उत्तराखण्ड के जी.बी.पंत विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका रही। हरित क्रांति से भारत अन्न उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर बना बल्कि अनाज निर्यात भी करने लगा। आने वाले समय में भी, खेती किसानों के लिए लाभकारी बने और किसानों का जीवन खुशहाल हो, इसके लिए कृषि से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी सभी संस्थाओं को समन्वित प्रयास करने होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि किसानों को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकालने के लिए भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़कर किसानों की आय-सुरक्षा की महत्वपूर्ण पहल की है। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। उत्तराखण्ड सरकार भी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे मनोयोग से जुटी है। हमारे उत्तराखण्ड के कुछ जिलों में पलायन की समस्या है क्योंकि वहां कृषि लाभकारी नहीं रह गई है। इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। तभी किसान खेती से जुडेंगे अन्यथा आजीविका के लिए दूसरे उद्यम ढूंढेंगे। ‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’’, ‘‘साॅयल हेल्थ कार्ड’’, ‘‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’’, ‘‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’’ किसानों के लिए प्रारम्भ की गईं महत्वपूर्ण योजनाएं हैं। देश् भर की मंडियों को ई-पोर्टल से भी जोड़ा जा रहा है। ‘किसान सुविधा’ एप पर किसानों को घर बैठे मौसम, बाजार भाव, फसलों की बीमारियां व उपचार आदि कृषि से संबंधित सभी सूचनाएं दी जा रही हैं। परंतु कनेक्टीवीटी की समस्या के कारण उत्तराखण्ड के किसान इंटरनेट आधारित एप्लीकेशन का पूरा लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इस ओर भी ध्यान देना होगा।
राज्यपाल ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को न्यू इंडिया मे योगदान के लिए
संकल्प दिलाया। कार्यक्रम में श्री सुबोध उनियाल, कृषि एवं उद्यान मंत्री, उत्तराखण्ड सरकार, डाॅ. पी.के.मिश्रा, निदेशक भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, कृषि वैज्ञानिक, अधिकारी और देहरादून जिले के किसान बंधु उपस्थित थे।