देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल के साथ कृषि एवं उद्यान विभाग की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान यह बताया गया कि किसानों की फसलों के नुकसान का सर्वेक्षण तहसील स्तर पर होता है, जिसकी वजह से ग्राम विशेष मंे हुई फसल की हानि के अनुरूप मुआवजा नही बन पाता है। इसे न्याय पंचायत स्तर पर करने के लिए पर्याप्त संख्या में पटवारियों की आवश्यकता होगी। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पटवारी हलको का पुनर्गठन के साथ ही नये पटवारियों की भर्ती की जायेगी। प्रारम्भिक आंकलन के अनुसार लगभग एक हजार पटवारियों की भर्ती की जानी होगी। उद्यान विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने सही पौध की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं किसानों के हितों के संरक्षण के लिए नर्सरी एक्ट लाने का निर्देश दिया है। उन्होंने उद्यान मंत्री को निर्देश दिए कि पिछले पांच वर्षाें में विभाग द्वारा जितने बगीचों को कागजों में दर्शाया गया है, उनमें से कुछ का सैम्पल साईज निर्धारित कर मौके पर निरीक्षण करवा लिया जाए। किसानों के लिए आवश्यक बीजों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए रिवाल्विंग फण्ड की व्यवस्था हेतु कैबिनेट में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने उन सभी स्थानों की सूची स्थलीय निरीक्षण के लिए तलब की है, जहां विभाग द्वारा शत्-प्रतिशत कार्य दर्शाया गया है। मुख्यमंत्री ने जैविक कृषि को बढ़ावा देने, कृषको को नये आधुनिक यंत्र उपलब्ध कराने, पर्वतीय क्षेत्रों की परम्परागत फसलों को प्रोत्साहित करने, किसानों को साॅयल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराने जैसे विषयों पर भी विभाग को निर्देश दिए।
बैठक में केन्द्र पोषित योजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने पूरे हो चुके कार्यों का उपयोगिता प्रमाण पत्र भारत सरकार को तत्काल प्रेषित करने के निर्देश दिए। प्रदेश में पर्वतीय कृषि का 89 प्रतिशत असिंचित/वर्षां आधारित है, जिसके लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में और धनराशि की मांग की जाए। मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियो को निर्देश दिए कि कृषि और उद्यान क्षेत्रों के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों में आम व्यक्ति और किसानों की आमदनी कैसे बढ़ाई जाए, इस पर ठोस कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि ऐसी योजना बनाई जाए जिसमें बेहद कम ब्याज दर पर एक निश्चित धनराशि की मदद किसानों को की जाए, जिससे वे कृषि एवं औद्यानिकी से संबंधित कोई रोजगार परक कार्य शुरू कर सकें। यह धनराशि एक लाख रूपये हो सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि और उद्यान दोनो ही क्षेत्रों में नये प्रयोग कर पर्वतीय क्षेत्रों में आर्थिक क्रांति लाई जा सकती है, जिसके लिए विभागों को ठोस प्रयास करने होंगे। मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को निर्देश दिए कि वे पंतनगर विश्वविद्यालय से समन्वय कर उन्नत किस्म के बीजों को विकसित करें। आजीविका, जलागम, कृषि और उद्यान विभाग के सभी कार्यों का समन्वय किया जाए, जिससे संसाधनों का पूरा उपयोग हो सके। उद्यान विभाग की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने अखरोट और अनार उत्पादन के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए है। उन्होंने जड़ीबूटियों की खेती को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। विशेष रूप से एलोवेरा के लिए नर्सरी विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। एरोमैटिक प्लांट्स (सगंध पाधकों) के उत्पादन और विपणन हेतु व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए।
विभाग के रिफार्म एजेण्डा की जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव श्री रणवीर सिंह ने बताया है कि कृषि विभाग द्वारा एक ग्राम एक फार्म योजना ’’वन विलेज-वन फार्म’’ के अन्तर्गत प्रथम चरण में 562 राजस्व ग्राम/क्लस्टरों के लिए रूपये 505.8 करोड़ की कार्ययोजना नीति आयोग को प्रेषित की गई है। इसी प्रकार उत्तराखण्ड कृषि उत्पादन मण्डी(विकास एवं विनियमन) एक्ट में भारत सरकार द्वारा सुझाए गए माॅडल एक्ट के तहत बदलाव किया जाना भी प्रस्तावित है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, सचिव श्री सैंथिल पांण्डियन, श्रीमती राधिका झा, कृषि निदेशक श्री गौरी शंकर सहित अन्य वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।