नई दिल्ली: केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री बीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में इस्पात मंत्रालय और उसके सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने इस महीने के शुरू में कनाडा का दौरान किया। उन्होंने कनाडा सरकार के प्राकृतिक संसाधन मंत्री श्री जेम्स कैर के साथ व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया। चर्चा में भारत में इस्पात उद्योग की प्रगति, भारतीय इस्पात निर्माताओं के लिए कनाडा कोकिंग कोल का रणनीतिक महत्व, पर्यावरणीय अनुकूल खनन के क्षेत्र में सहयोग, कोयला परिष्करण और अनुसंधान एवं विकास आदि विषय शामिल रहें। भारत में स्टील बनाने की क्षमता में वृद्धि के साथ तालमेल स्थापित करने के लिए कनाडा से कोकिंग कोल का आयात बढ़ाने की जरूरत होगी।
यह उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के उत्पादन लक्ष्यों के अनुसार कोकिंग कोल की आवश्यकता जो वर्तमान में 60 मिलियन टन प्रतिवर्ष के स्तर पर है उसका बढ़कर 160 मिलियन टन प्रतिवर्ष तक होने का अनुमान है। हालांकि स्वदेशी कोकिंग कोल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन आयातित कोकिंग कोल पर भारत की निर्भरता जारी रहेगी। ऐसे परिदृश्य में कोकिंग कोल आयात के स्रोत के लिए बहुविकल्प होने से मूल्यों में लाभ प्राप्त होंगे।
इस दौरे में कनाडा के इस्पात निर्माण संस्थान के (सीआईएससी) के प्रतिनिधियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श हुआ। यह एक विशिष्ट संस्थान है जो अपने आपको को इस्पात निर्माण उद्योग के लिए कनाडा की आवाज घोषित करता है। श्री बीरेंद्र सिंह ने भारत में इसी तरह का संस्थान स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगाने के उद्देश्य से इस संस्थान के कार्य और ढांचे में गहरी रूचि व्यक्त की। सीआईएससी उद्योग हितधारकों में वार्ता, सहयोग और वाणिज्य को बढ़ावा देता है और इस्पात के लाभ परामर्श समुदाय, निर्माताओं, खरीदारों, शिक्षाविदों और सरकार को प्रदान करता है। सीआईएससी इस्पात निर्माताओं, फैब्रिकेटर्स, कन्स्ट्रक्टरों, इंजीनियरों, वास्तुकारों, मालिकों, डेवलपर्स, शिक्षकों और छात्रों के विभिन्न समुदायों का प्रतिनिधित्व करता है और क्षमता तथा व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अनेक उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध कराता है।
इस प्रतिनिधिमंडल ने आपसी हितों के मुद्दों पर बातचीत करने के लिए इस्पात से जुड़े विभिन्न कनाडाई संस्थानों और उद्योग प्रतिनिधियों के साथ टोरंटो में एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में कुशल खनन, लॉजिस्टिक प्रबंधन और भारतीय अर्थव्यवस्था की इस्पात तीव्रता को बढ़ाना, इस्पात निर्माण में अनुसंधान और विकास तथा निर्माण के लिए पसंदीदा सामग्री के रूप में इस्पात को बढ़ावा देने वाले विषय शामिल रहे। इस सम्मेलन में संस्थान कनाडाई इस्पात प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, कनाडा की कोयला एसोसिएशन और कनाडा शीर्ष उद्योगों के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इससे पहले इस प्रतिनिधिमंडल ने ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में एक कोकिंग कोलमाइन का दौरा किया और इसके संचालन कार्य को देखा। कनाडा प्रतिवर्ष लगभग 30 मिलियन टन कोकिंग कोल का निर्यात करता है जिसमें से भारतीय इस्पात कंपनियां लगभग तीन मिलियन टन कोकिंग कोल खरीदती हैं।
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