नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पारंपरिक औषधि प्रणालियों के क्षेत्र में भारत और ईरान के बीच सहयोग के लिए समझौता-ज्ञापन को मंजूरी दी है।
लाभः
समझौता ज्ञापन से पारंपरिक औषधि क्षेत्र में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक धरोहर के मद्देनजर यह समझौता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पृष्ठभूमिः
भारत को सुविकसित पारंपरिक औषधि प्रणालियों का वरदान प्राप्त है, जिसमें जड़ी-बूटियां शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य परिदृश्य में इसकी अपार क्षमता मौजूद है।
भारत और ईरान के बीच कई विशेषताएं समान हैं उनकी भाषा, संस्कृति और परंपराओं में समानता है तथा दोनों ही देश जड़ी-बूटियों का समान रूप से प्रयोग करते हैं। दोनों देशों में वृहद जैव-विविधता मौजूद है और पारंपरिक औषधि प्रणालियों का प्रायः इस्तेमाल किया जाता है। दोनों ही देशों में दुर्लभ औषधीय पौधे पाए जाते हैं। इसके अलावा ईरान, पारंपरिक औषधि प्रणाली के क्षेत्र में भारत की अग्रणी देश की स्थिति को मान्यता देता है। भारत में इस क्षेत्र में मजबूत संरचना मौजूद है और यहां उत्कृष्ट उत्पादन इकाईयां काम करती है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय को पारंपरिक औषधि प्रणालियों के प्रोत्साहन, प्रचार और पूरे विश्व में उन्हें प्रस्तुत करने का अधिकार है। इस प्रणाली में आर्युवेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिगपा और होम्योपैथी शामिल हैं। आयुष मंत्रालय ने इस दिशा में चीन, मलेशिया, त्रिनिदाद एवं टोबेगो, हंगरी, बांग्लादेश, नेपाल, मॉरिशस और मंगोलिया के साथ पारंपरिक औषधि संबंधी समझौता-ज्ञापन किए हैं। श्रीलंका के साथ भी ऐसे समझौते का प्रस्ताव है।