नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत सरकार के केन्द्रीय क्षेत्र की सभी योजनाओं के लिए सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के अनिवार्य उपयोग से क्रियान्वयनकारी एजेंसियों तक धनराशि के होने वाले प्रवाह की निगरानी की जा सकेगी। श्री जेटली ने कहा कि पीएफएमएस के जरिए धनराशि की निगरानी संभव होने से यह पता लगाया जा सकता है कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों की क्रियान्वयनकारी एजेंसियों द्वारा धनराशि के उपयोग की वास्तविक स्थिति क्या है। उन्होंने कहा कि किसी भी योजना के क्रियान्वयन का अंतिम उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि उसके लाभ अंतिम व्यक्ति तक अवश्य पहुंच जाएं। वित्त मंत्री ने इस संबंध में विशेषकर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) व्यवस्था के जरिए विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन का उल्लेख किया। केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली आज राष्ट्रीय राजधानी में केन्द्रीय क्षेत्र की सभी योजनाओं के लिए सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के अनिवार्य उपयोग का शुभारंभ करने के बाद वित्त एवं अन्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। 6,66,644 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय वाली ये केन्द्रीय क्षेत्र योजनाएं चालू वित्त वर्ष 2017-18 में केन्द्रीय सरकार के कुल व्यय के 31 प्रतिशत से भी अधिक हिस्से को कवर करती हैं।
इसका शुभारंभ केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के वित्तीय सलाहकारों (एफए) की मौजूदगी में किया गया। वित्त मंत्री श्री जेटली ने समयबद्ध ढंग से इस पहल पर अमल के लिए व्यय विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों और महालेखा-नियंत्रक (सीजीए) को बधाई दी।
इससे पहले अपने स्वागत भाषण में वित्त सचिव श्री अशोक लवासा ने कहा कि पीएफएमएस से ने केवल धनराशि पर पूरी तरह नजर रखने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे समय पर धन का हस्तांतरण भी सुनिश्चित होगा। उन्होंने यह जानकारी दी कि वर्तमान में केन्द्रीय क्षेत्र की 13 योजनाएं पीएफएमएस के दायरे में आ चुकी हैं। श्री लवासा ने कहा कि पिछले दो वर्षों में पीएफएमएस की गति काफी तेज रही है। उन्होंने कहा कि पीएफएमएस के जरिए योजनाओं के क्रियान्वयन से प्रणाली में पारदर्शिता आई है।