देहरादून: चन्दर नगर स्थित मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में मुख्य चिकित्साधिाकरी डाॅ टी.सी पंत की अध्यक्षता में खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान की जनपद स्तरीय प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य विभाग, यूनिसेफ के साथ-2 शिक्षा विभाग, ग्राम विकास/पंचायत, समेकित बाल विकास सेवाओं से जुड़े अधिकारी तथा अन्य ऐजेंसियों का समन्वय तथा मानव एवं अन्य संसाधनों का उचित कार्डिनेशन किस प्रकार से किया जा सके इसका प्रशिक्षण दिया गया।
देहरादून 16 जून 2017 चन्दर नगर स्थित मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में मुख्य चिकित्साधिाकरी डाॅ टी.सी पंत की अध्यक्षता में खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान की जनपद स्तरीय प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य विभाग, यूनिसेफ के साथ-2 शिक्षा विभाग, ग्राम विकास/पंचायत, समेकित बाल विकास सेवाओं से जुड़े अधिकारी तथा अन्य ऐजेंसियों का समन्वय तथा मानव एवं अन्य संसाधनों का उचित कार्डिनेशन किस प्रकार से किया जा सके इसका प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के डाॅ विकास शर्मा, यूनिसेफ के डाॅ फरदीन खान तथा जिला टीकाकरण अधिकारी डाॅ उत्तम सिंह चैहान द्वारा टीकाकरण अभियान की रणनीति, माईक्रो प्लान, अभियान की पूर्व तैयारी, अभियान के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां, सोशल मोबिलाईजेशन, बाईलाॅजिकल वेस्टमैनेजमेंट इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा प्रजेंटेशन देते हुए उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न फार्मेट भरने का प्रशिक्षण एवं उनके द्वारा उठाये जाने वाले सवालों का समाधान किया गया। उन्होने कहा कि मिसिल्स/खसरा होने से बच्चों को निमोनिया, डायरिया होने के साथ-2 उसके रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे बच्चों की मृत्यु की सम्भावना बढ जाती है, जबकि रूबेला गर्भधारण करने वाली स्त्री के पेट में पलने वाले बच्चे में होने वाली विभिन्न विकृतियां है, जिससे प्रीमैच्योर डिलिवरी, मृतक शिशु तथा किसी न किसी प्रकार से विकलांग शिशु पैदा होता है। उन्होने कहा कि खसरा बीमारी के उन्मूलन हेतु पहले ही टीकाकरण किया जाता रहा है तथा 2020 तक भारत को इस बीमारी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि रूबेला के टीकाकरण की शुरूआत की जा रही है, जिसका मकसद इस बीमारी को शुरूवाती अवस्था मे ही रोकना है तथा वर्तमान समय में खसरा-रूबेला का संयुक्त टीकाकरण किया जायेगा, जिसकी शुरूवात प्रदेश में सितम्बर माह से प्रारम्भ की जायेगी। उन्होेने कहा कि यह टीका 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को लगाया जायेगा, जिसकी शुरूवात सरकारी, गैर सरकारी, मदरसा, सभी तरह के स्कूलों से की जायेगी, उसके पश्चात सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो, उसके पश्चात मोबाईल वाहनों तथा अन्त में टीकारण से वंचित रह गये बच्चों पर फोकस किया जायेगा, साथ ही साथ पी.एच.सी व सी.एच.सी केन्द्रों पर नियमित टीकारण अभियान सम्पादित किया जायेगा। उन्होने प्रशिक्षण में टीकारण से पूर्व जनपद स्तर तथा ब्लाक स्तर पर की जाने वाली तैयारियां, ब्लाक स्तर पर अधीनस्थ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रदान किया जाने वाला प्रशिक्षण तथा अभियान को कारगर तरीके से चलाने के लिए मानव तथा अन्य संशाधनों का समन्वय किस प्रकार से किया जायेगा इस बात पर बल दिया। उन्होने कहा कि जिन विभागों की मुख्य जिम्मेदारी/ संयोजन रहेगा व स्वास्थ्य विभाग व शिक्षा विभाग है तथा टीकाकरण को सभी क्षेत्रों में सहज रूप में लेने तथा इसकी जानकारी सभी तक पंहुचाने के लिए विभिन्न विभागों/एजेंसियों के माध्यम से प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर राज्य टीकाकरण अधिकारी डाॅ बी.एस रावत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रबन्धक गीता शर्मा, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रबन्धक अनूप चैहान, जिला पंचायतराज अधिकारी एम.जफर खान, जिला कार्यक्रम अधिकारी (बाल विकास) एस.के सिंह, जिला आशा संसाधन केन्द्र के सदस्य, ब्लाक सयोंजक, हेल्थ इंस्पेक्टर सहित सम्बन्धित विभागों/ऐजेंसियों के अधिकारी/सदस्य उपस्थित थे।