लखनऊ: सरकारी अस्पतालों के आसपास लग रहीं चाय-समोसे की दुकानों पर ही खून का काला कारोबार चल रहा है। इन दुकानों पर खून के सौदागर हर वक्त मंडराते रहते हैं। कहीं-कहीं तो दुकानदार ही दलाली कर रहे हैं। बलरामपुर अस्पताल प्रशासन ने बुधवार को ऐसे ही एक दुकानदार की शिनाख्त की है, जो इस गोरखधंधे में शामिल है। मामले की जांच के लिए एक कमिटी भी बनाई गई है। अस्पताल प्रशासन का दावा है कि ऐसे दलालों के खिलाफ जल्द ही सख्त कार्रवाई होगी।
बलरामपुर अस्पताल में खून की दलाली का खुलासा तीन दिन पहले हुआ, जब एक मरीज को खून की जरूरत पड़ी। दरअसल, इटौंजा निवासी राजू के 10 वर्षीय बेटे अजय का यहां इलाज चल रहा है। वह बालरोग विभाग के वॉर्ड-3 में बेड नंबर 18 पर भर्ती है। उसके छाती में पानी भर गया था और चेहरा काफी सूज गया था। शरीर में खून की कमी थी। उसका ब्लड ग्रुप बी-पॉजिटिव है। सोमवार को उसे चढ़ाने के लिए तीन यूनिट ब्लड चाहिए था, लेकिन अस्पताल के ब्लड बैंक में इस ग्रुप का ब्लड उपलब्ध नहीं था। इस पर डॉक्टरों ने ब्लड के लिए उसे दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया।
राजू ने बताया कि इस बीच उसने एक रिश्तेदार को कॉल किया, जिसने अस्पताल के पास चाय के दुकान पर बैठने वाले एक शख्स का मोबाइल नम्बर दिया। उस शख्स से बात करने पर महज आधे घंटे के भीतर तीन यूनिट ब्लड का इंतजाम हो गया। ढाई हजार रुपये देने के आधे घंटे बाद एक शख्स बाइक से आया और अस्पताल के बाहर गेट पर ही तीन यूनिट ब्लड थमाकर चला गया। तीमारदार इतने कम समय में तीन यूनिट ब्लड लेकर पहुंचे तो डॉक्टर भी सकते में आ गए। शक होने पर उन्होंने अस्पताल प्रशासन को जानकारी दी, जिसके बाद मामले की जांच के लिए एक कमिटी गठत की गई है। सूत्रों के मुताबिक, कमिटी ने पता लगा लिया है कि खून कहां से और कैसे आया? इस बारे में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि लंबे समय से खून के गोरखधंधे की शिकायत मिल रही थी। आरोपियों पर कार्रवाई जरूर होगी।
बलरामपुर अस्पताल के ब्लड बैंक पर डफरिन और बलरामपुर अस्पताल के सभी मरीजों का लोड है। इस कारण यहां हमेशा खून की किल्लत रहती है। मामला सामने आते ही आरएमएल अस्पताल से 50 यूनिट ब्लड मंगाया गया है।
सरकारी अस्पतालों में ब्लड बैंक से एक यूनिट ब्लड हासिल करने के लिए “400 शुल्क जमा करना पड़ता है। इसके साथ डोनर का होना भी जरूरी है। निजी अस्पतालों के मरीजों से भी यही शुल्क लिया जाता है, जबकि पीजीआई और केजीएमयू में इसके लिए अलग-अलग रेट हैं। पीजीआई में डोनर होने पर भी “800 शुल्क जमा करने पड़ते हैं। केजीएमयू में यही शुल्क “600 है, जबकि निजी अस्पताल के मरीज के लिए “1200 लिए जाते हैं।
खून के धंधेबाजों ने ब्लड के लिए अलग-अलग कीमतें तय कर रखी हैं, लेकिन असली नियम सौदे का है। जो ग्राहक जितने में मान जाए, उससे उतने रुपये लिए जाते हैं।
ब्लड ग्रुप रेट प्रति यूनिट
कॉमन: B+ve “1500 से “2000
नॉट वैरी कॉमन: A+ve, AB +ve “3000 से “5000
रेयर: A-ve, AB-ve, B-ve, O-ve – “5000 से “10,000
सजा का प्रावधान
1. 10 हजार रुपये जुर्माना
2. पांच साल तक की कैद
3. ब्लड बैंक का लाइसेंस निरस्त
कोट
मामले की जांच करवाई जा रही है। बहुत ही संगीन मामला है। आरोपियों के पकड़े जाने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. यूएन राय, निदेशक, बलरामपुर अस्पताल