चीन ने अभी तक भारत के साथ ब्रह्मपुत्र नदी पर हाईड्रोलॉजिकल डेटा भारत के साथ शेयर नहीं किया है जबकि पड़ोसी देश को 15 अक्टूबर तक इसे साझा करना था। भारत और चीन के बीद द्विपक्षीय समझौता है, जिसके तहत चीन ये जानकारी 15 मई के बीच और 15 अक्टूबर तक शेयर करने के लिए बाध्य है।
ट्रांसबाउंड्री नदियों से लगे चीन के मॉनिटरिंग स्टेशनों पर जलस्तर, डिस्चार्ज और वर्षा को रिकॉर्ड किया जाता है। ये नदियां चीन से बहती हुई भारत में प्रवेश करती है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा है कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में रिवर डेटा कलेक्शन स्टेशंस बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उनकी मरम्मत की जरूरत है।
स्टेशंस यालुजांगबु और लांगक्वेन जांग्बो पर डेटा कलेक्ट करने की पोजिशन में नहीं थे इसलिए बीजिंग नई दिल्ली के साथ डेटा शेयर करने में अक्षम है। यालुजांग्बु भारत में ब्रह्मपुत्र और जांग्बो सतलुज बन जाती है। सूत्रों के मुताबिक चीन ने ब्रह्रामपुत्र का डेटा बांग्लादेश के साथ शेयर किया है लेकिन भारत के साथ नहीं।
डेटा की अनुपलब्धता के कारण मौसम विभाग ब्रह्मपुत्र में बाढ़ की स्थितियों की सही भविष्यवाणी नहीं कर पाता है। असम में ब्रह्मपुत्र नदी ने इस बार भारी तबाही मचाई है।
असम में बाढ़ के कारण इस साल 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि लाखों लोग बेघर हो गए थे। ट्रांसबाउंड्री नदियों से संबंधित डेटा बहुत महत्वपूर्ण है। ये बाढ़ की भविष्यवाणी या अनुमान के लिए जरूरी है। बाढ़ की सटीक भविष्यवाणी होने पर सरकार पहले से इंतजाम कर ले और इलाके में रहने वाले लोगों की सुरक्षा की जा सके।
डेली न्यूज़