नई दिल्ली: मीडिया के साथ बातचीत के दौरान यहां केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री अनंत कुमार ने कहा कि मानसून सत्र 2017 विधायी कार्यों और राष्ट्रीय महत्व से संबंधित मुद्दों पर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा की गई चर्चाओं के संदर्भ में एक सफल सत्र रहा। इस मौके पर केंद्रीय संसदीय मामले और कृषि तथा किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री एस.एस. अहलूवालिया, अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं संसदीय मामलों के राज्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी भी मौजूद थे।
श्री अनंत कुमार ने बताया कि संसद का मानसून सत्र 2017 सोमवार, 17 जुलाई 2017 को प्रारंभ हुआ था और इसका समापन शुक्रवार 11 अगस्त, 2017 में हुआ। दोनों सदनों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। 26 दिनों के सत्र में 19 बैठकें हुईं। लोकसभा की उत्पादकता 77.94 प्रतिशत रही जबकी राज्यसभा की उत्पादकता 79.95 प्रतिशत रही।
सत्र के दौरान 17 विधेयक (लोकसभा में 17) पेश किए गए। लोकसभा में 14 विधेयक पास हुए जबकि राज्यसभा में 9 विधेयक पास हुए। संसद को दोनों सदनों में 13* विधेयक पास हुए। सत्र की छोटी अवधि, महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए दिए गए अधिक समय, राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह एक उपलब्धि है।
मंत्री महोदय ने 9 अगस्त, 2017 को भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित विशेष चर्चा का भी जिक्र किया जिसमें पहली बार सभी राजनीतिक दलों की व्यापक सहमति से वर्ष 2022 तक एक नए भारत के निर्माण के लिए ‘संकल्प से सिद्धि’ का प्रण लिया गया। मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को जम्मू एवं कश्मीर तक बढ़ाए जाने के बारे में बात करते हुए श्री कुमार ने कहा कि संबंधित विधेयकों का पास होना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और इसकी बदौलत राज्य शेष देश के साथ आर्थिक रूप रूप से एकीकरण हुआ है।
मानसून सत्र में जहां तक विधायी कार्यों की बात है, तो यह सूचित किया गया है कि वर्ष 2017-18 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों (रेलवे समेत) और वर्ष 2014-15 के लिए अतिरिक्त अनुदान की मांगे एवं संबंधित अनुमोदन विधेयकों पर चर्चा की गई और लोक सभा द्वारा पास किए गए। ये विधेयक 2 अगस्त, 2018 को राज्यसभा में भेज दिए गए और इन्हें चर्चा के लिए नहीं लिया जा सका। अब जब राज्यसभा में जिस अवधि पर विधेयक स्वीकार किया गया, उससे चौदह दिनों के भीतर उसे वापस लोकसभा नहीं भेजा जा सका है, तो संविधान के अनुच्छेद 109 की धारा (5) के तहत जिस तरह से लोकसभा ने उसे पास किया है उसी तरह अवधि खत्म होने पर उसे दोनों सदनों द्वारा पास माना जाएगा।
अध्यादेश की जगह लेने के लिए चार विधेयक – बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2017, पंजाब नगर निगम कानून (चंडीगढ़ तक विस्तार) संशोधन अध्यादेश, 2017, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (जम्मू एवं कश्मीर तक विस्तार) अध्यादेश, 2017 और एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (जम्मू एवं कश्मीर तक विस्तार) अध्यादेश 2017, जिन्हें राष्ट्रपति ने मंजूरी प्रदान कर दी थी, पर विचार किया गया और लोक सभा द्वारा उन्हें पास किया गया।
बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2017 को छोड़कर तीन अध्यादेशों की जगह लेने वाले विधेयक राज्यसभा द्वारा नहीं लिए जा सके। चूंकि ये तीनों विधेयक धन विधेयक थे, ऐसे में इस विधेयक की प्राप्ति की तारीख से 14 दिन के भीतर राज्यसभा को विधेयक को लोकसभा को लौटाना होता है। अनुच्छेद 109 के मुताबिक धन विधेयक को राज्यसभा द्वारा 14 दिन के भीतर लोकसभा को नहीं लौटाया जाता है तो वह दोनों सदनों द्वारा पारित समझा जाता है।
लोकसभा में नियम 193 के तहत दो लघु अवधि की चर्चाएं आयोजित की गईं- 1. देश में कृषि की स्थिति और 2. देश में भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाएं
राज्यसभा में नियम 176 के तहत तीन लघु अवधि की चर्चाएं आयोजित की गईं- 1. भीड़ द्वारा अल्पसंख्यकों व दलितों पर अत्याचार और हिंसा की बढ़ती घटनाओं के बाद पैदा हुई स्थिति, 2. किसानों द्वारा बढ़ते आत्महत्या के मामले, 3. भारत की विदेश नीति और सामरिक साझेदारों के साथ संबंध।
देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ की बढ़ती समस्याओं पर ध्यान आकर्षण प्रस्ताव लाया गया और सरकार द्वारा इस संबंध में उठाए गए कदमों पर चर्चा की गई।
राज्यसभा में तीन पहले से लंबित विधेयकों को वापस ले लिया गया- 1. उत्तर-पूर्वी परिषद (संशोधन) विधेयक, 2013, 2. द आर्किटेक्ट्स (संशोधन) विधेयक, 2010 और 3. प्रबंधन विधेयक में कर्मियों की भागीदारी, 1990
16वीं लोक सभा के 12वें सत्र और राज्य सभा के 243वें सत्र (मानसून सत्र, 2017) के दौरान लोक सभा में पेश किए गए, पास किए गए, राज्य सभा में पेश किए गए, पास किए गए, दोनों सदनों द्वारा पास किए गए और वापस लिए गए विधेयकों की सूची देखने के लिए यहां क्लिक करें।