नई दिल्ली: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मूलभूत परिवर्तन के लिए कई कदम उठाए हैं। समावेशी विकास के संदर्भ में डीबीटी ने कई कार्यक्रमों और मिशनों की घोषणा की है। डीबीटी ने ‘उत्तर पूर्वी क्षेत्र बायोटेक्नोलॉजी प्रोग्राम मैनेजमेंट सेल (एनईआर-बीपीएमसी)’ का गठन किया है। इसका वार्षिक निवेश 180 करोड़ रुपये है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी शोध को गति प्रदान करेगा।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी के अवसर पर केन्द्रीय विज्ञान और तकनीकी, पृथ्वी विज्ञान और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए तीन प्रमुख पहलों की घोषणा की। ये पहलें पंडित दीनदयाल उपाध्याय के “एकात्म मानववाद” के दर्शन के अनुरूप हैं।
मंत्री महोदय ने कहा कि डीबीटी ने यह फैसला लिया है कि वह प्रत्येक वर्ष अपने बजट का 10 प्रतिशत पूर्वोत्तर क्षेत्र को समर्पित करेगा।
- फाइटो-फार्मा प्लांट मिशन :- यह 50 करोड़ रुपये का मिशन है जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय और लुप्त होने के खतरे को झेल रहे औषधीय पौधों का संरक्षण है।
- ब्रह्मपुत्र जैव विविधता और जीवविज्ञान बोट (बी 4) :- यह एक प्रमुख पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट है। यह पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के सभी घटकों के विश्लेषण के लिए सुसज्जित प्रयोगशाला है। बी 4 में मिट्टी, पानी, पर्यावरण, पौधे व पशु जीवन, मानव स्वास्थ्य और कृषि घटक का विश्लेषण करने की क्षमता होगी।
- फोल्डस्स्कोप के माध्यम से फ्रूगल माइक्रोस्कोपी:- कागज का एक पन्ना और लेंस जैसे सरल घटकों से बना एक माइक्रोस्कोप देश के बाकी हिस्सों के साथ, क्षेत्र से छात्रों और विज्ञान को जोड़ना एक उपकरण के रूप में काम कर रहा है जो क्षेत्र से छात्रों और विज्ञान को देश के बाकी हिस्सों के साथ जोड़ रहा है। विद्यालयों व कॉलेजों से कुल 525 आवेदन प्राप्त हुए हैं: विद्यालयों से 112, कॉलेजों से 357 और नागरिक वैज्ञानिकों से 56 । सभी आवेदकों को 4 लाख से 8 लाख के बीच सूक्ष्म अनुदान प्रदान किया जाएगा
मानव संसाधन को कौशल प्रदान करना:
ट्विनिंग आर एंड डी कार्यक्रम: डीबीटी ने 480 आर एंड डी कार्यक्रमों की शुरूआत की है जो देश भर के संस्थानों से जुड़े हैं। इसके लिए पिछले तीन वर्षों में 90 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। इस प्रयास के परिणामस्वरूप 252 शोधों का प्रकाशन हुआ और 600 जूनियर और वरिष्ठ छात्रों को अनुसंधान फेलोशिप दी गई।
40 करोड़ की लागत से डीबीटी ने 11 मेडिकल कॉलेजों में जांच सुविधाओं की व्यवस्था की है।
डीबीटी ने 5.25 करोड़ रुपये की लागत से 208 वैज्ञानिकों को विदेश में प्रशिक्षण प्राप्त करने की सुविधा दी है। यह कार्यक्रम ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विदेशी एसोसिएट्सशिप’ के तहत चलाया गया है।
डीबीटी ने 2.20 करोड़ रुपये की लागत से 88 सेकेंडरी स्कूलों में जैव प्रौद्योगिकी प्रयोगशालाओं के निर्माण का शुभारंभ किया है।
डीबीटी ने विश्वविद्यालयों में 9 करोड़ रुपये की लागत से 30 बायोइन्फॉर्मेटिक्स सेंटर की स्थापना की है।
‘बायोटेक इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग प्रोग्राम’ के तहत, योग्य छात्रों को बायोटेक/लाइफ साइंस इंडस्ट्रीज में अपने प्रशिक्षण के दौरान छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।
आधारभूत संरचना और संसाधन भवनः
जैव प्रौद्योगिकी सहित जैविक विज्ञान में शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए डीबीटी ने विभिन्न संस्थानों, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में 126 ‘बायोटेक केन्द्र’ की स्थापना की है। इन हबों में 1000 से अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए है और 1000 से अधिक छात्रों, शोधकर्ताओं और विद्यालय के शिक्षकों को लाभ मिला है।
डीबीटी ने 4.50 करोड़ की लागत से पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एनईआईजीआरआईएमएमएस), शिलांग में बायोटेक इन्फ्रास्ट्रक्चरल सुविधाएं भी तैयार की हैं।
जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न अनुप्रयोगों पर ध्यान देने के लिए डीबीटी ने एनईआर में उत्कृष्टता के कई केन्द्रों की स्थापना की है।
असम कृषि विश्वविद्यालय (एएयू), जोरहाट कृषि जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान को बढ़ावा देता है और स्थानीय फसलों के लिए विशिष्ट किस्मों के विकास और उनकी उपज सुधारने में किसानों की सहायता कर रहा है।
मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर बायोटेक्नोलॉजी (एफएबी) पर उत्कृष्टता केंद्र ने त्रिपुरा में 2 गांवों को उच्च गुणवत्ता वाले मछली उत्पादों का उत्पादन करने के लिए स्थानीय मछुआरों को अच्छी गुणवत्ता वाली मछलियां प्रदान करने के लिए अपनाया है। इससे 200 किसानों को फायदा होगा।
डीबीटी ने क्षेत्रीय मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी), डिब्रूगढ़, असम में एक क्षेत्रीय स्तर की पशु गृह की स्थापना के लिए 45.00 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है।
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