अगरतला: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने टीवी पत्रकार की हत्या पर कोई टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि कुछ लोग राज्य में जनजातीय और गैर जनजातीय समुदायों के बीच बंधुत्व की भावना को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार ने सहकारी प्रबंधन केन्द्र के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि त्रिपुरा में जनजातीय और गैर जनजातीय समुदायों के बीच रियासत के समय से स्नेह रहा है।
उन्होंने कहा कि रियासतों के खत्म होने के बाद भी स्थानीय निवासियों ने गैर जनजातीय समुदायों का दिल से स्वागत किया था, लेकिन अब कुछ लोग राज्य को बांटने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाजनकारी बातों से जल्द प्रभावित होने वाले लोगों को राज्य की परम्परा समझनी होगी। उन्होंने हालांकि पश्चिमी त्रिपुरा में जिरानिया उपखंड के मांडवाई में 20 सितम्बर को माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (आईपीएफटी) के बीच हिंसा में युवा पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या पर कोई बयान नहीं दिया।
सरकार ने भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाली केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकार का प्रमुख लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है लेकिन केन्द्र सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रहार करने का प्रयास कर रही है। पत्रकार की हत्या को लेकर चौरफा आरोपों का सामना कर रहे आईपीएफटी के अध्यक्ष नरेन्द्र चन्द्र देबबर्मा ने असली कातिलों के खुुलासे के लिये इस मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबाआई) से कराने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया है।
उन्होंने कहा कि हम इस हत्या की निंदा करते हैं और सच्चाई का खुलासा कर असली हत्यारों का पता लगाने के लिये इस मामले की जांच सीबाआई से कराई जानी चाहिये। हम इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं क्योंकि माकपा असली कातिलों को बचाने के लिये राजनीति का सहारा ले रही है।Þ मुख्यमंत्री और राज्य पुलिस में से कोई भी मामले की प्रगति के बारे में कुछ भी बोलने के लिये तैयार नहीं है। पुलिस ने इस संबंध में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें से दो लोगों को तो पत्रकार की हत्या से पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था और उन्हें इस मामले से जोडऩे की कोशिश की जा रही है।