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‘पद्मावती’ फिल्म को लेकर व्याप्त जनाक्रोश एवं इसके सार्वजनिक चित्रण से शान्ति व्यवस्था पर सम्भावित प्रतिकूल प्रभाव के सम्बन्ध में सेंसर बोर्ड को अवगत कराने का किया अनुरोध

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: गृह विभाग ने केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव को पत्र लिखकर पद्मावती फिल्म की कथावस्तु एवं ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किये जाने को लेकर व्याप्त जनाक्रोश एवं इसके सार्वजनिक चित्रण से शान्ति व्यवस्था पर सम्भावित प्रतिकूल प्रभाव के सम्बन्ध में केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) को अवगत कराने का अनुरोध किया है, जिससे फिल्म के प्रमाणन पर निर्णय लेते समय बोर्ड के सदस्य जनभावनाओं को जानते हुए विधि अनुसार निर्णय ले सके।

गृह विभाग ने पत्र में उल्लेख किया है कि संज्ञान में आया है कि फिल्म निर्माताओं द्वारा इस फिल्म को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के समक्ष प्रमाणन हेतु प्रस्तुत कर दिया गया है, जिस पर निर्धारित प्रक्रिया अनुसार बोर्ड द्वारा विचार किया जाना है। प्रदेश के अभिसूचना विभाग की आख्याओं का हवाला देते हुए प्रमुख सचिव ने अवगत कराया है कि 1 दिसम्बर, 2017 को निर्माता, निर्देशक श्री संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पùावती’ का देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होना प्रस्तावित है। 9 अक्टूबर, 2017 को इस फिल्म के ट्रेलर के लाॅन्च होने के बाद से ही विभिन्न सामाजिक, सास्कृतिक और अन्य संगठनों ने इसके विरोध में रोष परिलक्षित हुआ है।

पत्र में गृह विभाग ने लिखा है कि इन संगठनों द्वारा फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाये जाने की मांग को लेकर बैठक, प्रदर्शन, नारेबाजी, जुलूस, पुतला दहन, ज्ञापन आदि के माध्यम से तीव्र प्रतिक्रिया की जा रही है। इन संगठनों द्वारा रानी पद्मावती के चरित्र को गलत ढंग से प्रदर्शित किये गये दृश्यों को फिल्म से हटाने की मांग की जा रही है तथा सिनेमाघरों के प्रबन्धकों/मालिकों से इस फिल्म का प्रदर्शन न करने की अपील भी की जा रही है। फिल्म के प्रदर्शित होने पर उनके द्वारा सिनेमाघरों में तोड़फोड़, आगजनी एवं अन्य ढंग से आन्दोलनात्मक कार्यक्रम आयोजित किये जाने की चेतावनी भी दी गयी है। प्रदेश के अतिरिक्त राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली आदि प्रदेशों में भी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाये जाने को लेकर आन्दोलनात्मक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।

गृह विभाग ने अपने पत्र में यह उल्लेख भी किया है कि पद्मावती फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने को लेकर कतिपय संगठनों द्वारा मा0 सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गयी थी, जिसको मा0 न्यायालय द्वारा इस टिप्पणी के साथ नहीं सुना गया कि इसके लिए राहत का वैकल्पिक पटल उपलब्ध है। अर्थात इस फिल्म के सम्बन्ध में सम्बन्धित पक्ष द्वारा केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के समक्ष आपत्तियां उठायी जा सकती हैं।

गृह विभाग द्वारा पत्र के माध्यम से केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव को अवगत कराया गया है कि वर्तमान में प्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव की प्रक्रिया गतिमान है, जिसमें 22, 26 एवं 29 नवम्बर, 2017 को 3 चरणों में मतदान होना है। मतगणना की तिथि 1 दिसम्बर, 2017 है। 2 दिसम्बर, 2017 को ही चन्द्रदर्शन के अनुसार बारावफात का पर्व भी पड़ना सम्भावित है, जिसमें पारम्परिक रूप से मुस्लिम समुदाय द्वारा व्यापक रूप से जुलूस आदि निकाले जाते हैं। इस वातावरण में यदि इस फिल्म को ट्रेलर लाॅन्च के दौरान प्रदर्शित स्वरूप में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाता है तो, इसके कारण प्रदेश में व्यापक पैमाने पर अशान्ति तथा कानून एवं व्यवस्था की स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। स्थानीय निकाय चुनाव तथा बारावफात को देखते हुए शासन-प्रशासन की व्यस्तताओं एवं प्रतिबद्धताओं के दृष्टिगत 1 दिसम्बर, 2017 से फिल्म का रिलीज होना शान्ति व्यवस्था के हित में नहीं होगा।

 

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