नई दिल्ली: रिटायरमेंट फंड बॉडी ईपीएफओ शनिवार को एक प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है जिससे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में कार्यरत श्रमिकों और नियोक्ताओं के लिए पीएफ में अनिवार्य योगदान कम होकर 10-10 प्रतिशत तक हो जाएगा। वर्तमान में एंप्लॉयी और एंप्लॉयर, एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड स्कीम (ईपीएफ), एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (ईपीएस) और एंप्लॉयी डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम (ईडीएलआई) के प्रति मूल आय का 12-12 प्रतिशत राशि जमा करते हैं।
पुणे में शनिवार को होने वाली कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की बैठक के अजेंडे में यह प्रस्ताव भी है। सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्ताव में पीएफ की रकम को घटाकर एंप्लॉयर और एंप्लॉयी की ओर से महंगाई भत्ता सहित मूल वेतन के 10-10 प्रतिशत तक करने की बात कही गई है। सूत्रों ने कहा कि श्रम मंत्रालय को कई सुझाव आए जिनमें कहा गया कि इस कदम से एंप्लॉयीज के पास खर्च के लिए ज्यादा पैसे होंगे जिससे एंप्लायर्स की जिम्मेदारी कम होगी और आखिर में यह अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित होगा।
हालांकि, ट्रेड यूनियन ने यह कहते हुए इस प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला किया है कि यह सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को कमजोर करेगा। ईपीएफओ के एक ट्रस्टी और भारतीय मजदूर संघ के नेता पीजे बनसार ने कहा, ‘हम इस प्रस्ताव का विरोध करेंगे। यह मजदूरों के हित में नहीं है।’ एक अन्य ट्रस्टी और अखिल भारतीय व्यापार संघ के कांग्रेस सचिव डीएल सचदेव ने कहा,’योगदान में कटौती से श्रमिकों के लिए लाभ चार प्रतिशत कम हो जाएगा। वर्तमान में नियोक्ता और कर्मचारी मूल वेतन का कुल 24 प्रतिशत रकम में पीएफ देते हैं। अगर प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई तो यह घटकर 20 फीसदी रह जाएगा।’