नई दिल्ली: आदिवासी मामलों के मंत्री श्री जुआल ओराम ने ट्राइफेड द्वारा लघु वन उपज (एमएफपी) के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) – को आदिवासियों को एक उचित और न्यायसंगत सौदा दिलवाने के लिये अगले स्तर पर ले जाना – विषय पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर आदिवासी मामलों के राज्य मंत्री श्री जसवंत सिंह भाभोर एवं श्री सुदर्शन भगत विशेष रूप से उपस्थित थे। आदिवासी मामलों के मंत्रालय में सचिव सुश्री लीना नायर एवं ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीण कृष्णा एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस एक दिवसीय कार्यशाला में भारत सरकार के आदिवासी मामलों के मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, टेक्सटाइल मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय एवं सभी राज्यों के 100 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
आदिवासी मामलों के मंत्री श्री जुआल ओराम ने कहा कि यह कार्यशाला लघु वन उपजों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलवाने की योजना का दायरा बढ़ाने की दिशा में एक कदम है। यह योजना पहले से ही 9 राज्यों में लागू थी जिसे अब पूरे देश में लागू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि लघु वन उपज संग्रह केंद्र को आदिवासियों की दैनिक आवश्यकता की सामग्रियों की बिक्री भी करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि खनिज पदार्थों के बाद लघु वन उपजें राजस्व का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत बन सकती हैं। उन्होंने आदिवासियों को सर्वोत्तम मूल्य दिलाये जाने के लिये सोशल मीडिया और नयी तकनीक के उपयोग पर बल दिया।
आदिवासी मामलों के राज्य मंत्री श्री सुदर्शन भगत ने कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने से उन्हें बाजार आधारित मूल्यों के अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद मिली है। इसी तरह से आदिवासियों को लघु वन उपजों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने के उनके विकास और प्रगति में मदद मिलेगी। अभी 24 लघु वन उपजों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध कराये जायेंगे लेकिन इस संख्या को क्रमबद्ध तरीके से बढ़ाने की कोशिश की जायेगी।
इस अवसर पर आदिवासी मामलों के राज्य मंत्री श्री जसवंत सिंह सुमनभाई भाभोर ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं के आयोजन से उन्हें खुशी मिली है और इस कदम से आदिवासियों को सभी क्षेत्रों में विकास करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने इसी तरह से अन्य कमजोर वर्गों जैसे महिलाओं, ग्रामीणों एवं निर्धनों के विकास के लिये कदम उठाये हैं।
इस अवसर पर आदिवासी मामलों के मंत्रालय की सचिव सुश्री लीना नायर (आईएएस) ने कहा कि यह कार्यशाला न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलवाने में आ रही मुश्किलों को समझने और उन्हें दूर करने के दिशा में एक सुस्पष्ट आवाज है।
ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्णा ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य दायरे को और व्यापक बनाना और इसे समस्त राज्यों तक ले जाना है। उन्होंने कहा कि अमेजन के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर का उद्देश्य ‘ट्राइब-इंडिया’ ब्रैण्ड को अगले चरण में ई-कॉमर्स के जरिये राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार तक ले जाना है।
ट्राइफेड ने अमेजन के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये: आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिये उनके द्वारा निर्मित हथकरघा उत्पादों के विपणन को प्रोत्साहित करना
विपणन के क्षेत्र में की गयी पहलों को संस्थागत समर्थन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ट्राईफेड ने मेसर्स अमेजन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ औपचारिक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये ताकि आदिवासी उत्पादों को अग्रणी ई-कामर्स कंपनी www.amazon.in पर पहले से तय की गयी शर्तों एवं नियमों के आधार पर बेचा जा सके।
इस सहमति पत्र के अनुसार देश भर के आदिवासियों द्वारा तैयार प्रमाणित उत्पादों को ऑनलाइन पोर्टलwww.amazon.in पर बिक्री के लिये प्रदर्शित किया जा सकेगा। इसका उद्देश्य आदिवासियों द्वारा तैयार उत्पादों जैसे हथकरघा, बांस से तैयार उत्पाद, आदिवासी गहने, ढोकरा उत्पाद, आदिवासियों द्वारा निर्मित दस्तकारी एवं चित्रों की बिक्री बढ़ाने के लिये ऑनलाइन खुदरा बाजार का प्रयोग करना है।