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प्रदेश से टी.बी. रोग को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार कृतसंकल्प: सिद्धार्थ नाथ सिंह

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री, श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी ने टी0बी0 को देश से वर्ष 2025 तक समाप्त करने का जो संकल्प लिया है, उसको लेकर उत्तर प्रदेश सरकार अत्यन्त गंभीर है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से निर्धारित अवधि के अन्दर टी0बी0 को जड़ से समाप्त करने के लिये अनेक कदम उठाये गये हैं और इस कार्य के लिये संसाधनों की कमी आड़े नहीं आने दी जायेगी। उन्होंने बताया कि विश्व टी.बी. दिवस (24 मार्च, 2018) के अवसर पर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ एवं केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा मौजूद रहेंगे।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उ0प्र0 में टी.बी. के खिलाफ अभियान शुरू हो चुका है, अब टी.बी. हारेगा और उ0प्र0 जीतेगा। यूपी जीतेगा तो देश जीतेगा। उन्होंने यह भी कहा कि टी0बी0 को जड़ से खत्म करने के लिये प्रदेश में पहली बार जनजागरूकता के उद्देश्य से सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जायेगा। इसके लिये सोशल मीडिया के अन्तर्गत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं व्हाट्सएप आदि के माध्यम से लोगों को टी0बी0 से बचाव एवं उसके उपचार के प्रति जागरूक किया जायेगा।

श्री सिंह आज विश्व क्षय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम के संबंध में बापू भवन, द्वितीय तल स्थित सभागार में प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्हांेने बताया कि राज्य में पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के सुचारु रुप से संचालन एवं क्रियान्वयन हेतु जनपद आगरा, बरेली, लखनऊ एवं वाराणसी मे क्षेत्रीय टी0बी0 प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट तथा स्टेट ड्रग स्टोर (आगरा, बरेली, लखनऊ एवं वाराणसी) की स्थापना की गयी है। राज्य मे समस्त 75 जनपदों मे 76 सी0बी0 नाट मशीन क्रियाशील करा दी गई है, जिससे एम0डी0आर0 मात्र 2 घन्टे मे उपलब्ध हो जाती है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में 44 जनपदों में 65 सी0बी0नाट मशीन की स्थापना एवं क्रियाशील कराया जाना है, जिसमें से 30 सी0बी0नाट मशीन स्थापित एवं क्रियाशील हो गयी है शेष अतिशीघ्र स्थापित एवं क्रियाशील करा दी जायेंगी।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि वर्ष 2017 में सरकारी क्षेत्र से कुल 247449 एवं निजी क्षेत्र से 67422 टी0बी0 मरीजों का पंजीकरण निःक्षय पोर्टल पर किया गया तथा 9138 एम0डी0आर0/एक्स0डी0आर0 मरीजों का पंजीकरण किया गया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 16 डाॅटस प्लस साईट (डी0आर0टी0बी0 सेन्टर) के माध्यम से मल्टी ड्रग रेजिस्टेन्ट (एम0डी0आर0) क्षय रोगियों को जाॅच एवं औषधि की सुविधा मुफ्त उपलब्ध करायी जा रही है।

मंत्री जी ने यह भी बताया कि पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश में एक्टिव केस फाइडिंग कैम्पेन चलाया जा रहा है, जिसमें पहले से चिन्हित क्षेत्रों में जहां पर टी0बी0 से संदिग्ध मरीजों के पाये जाने की सम्भावना ज्यादा रहती है, उन स्थानो पर प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर टी0बी0 के लक्षणों के बारे में लोगो को बताकर टी0बी0 से ग्रसित/संदिग्ध व्यक्ति को निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र भेजकर निःशुल्क जांच व उपचार की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने कहा कि एक्टिव केस फाइडिंग कैम्पेन में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

प्रथम चरण 4 अगस्त से 18 अगस्त 2017 तक एक्टिव केस फाइडिंग गतिविधि जनपद गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, आगरा, मेरठ, उन्नाव एवं वाराणसी में कराया गया। इसके अन्तर्गत लगभग 800 टीमों द्वारा अत्यधिक संवेदनशील जनसंख्या में 393 टी0बी0 मरीज पाये गये और उनका उपचार कराया गया। द्वितीय चरण 26 दिसम्बर 2017 से 09 जनवरी 2018 तक एक्टिव केस फाइडिंग गतिविधि 25 जनपद अलीगढ, बांदा, बरेली, बिजनौर, झांसी, मथुरा, कानपुरनगर, मिर्जापुर, मुरादाबाद, रामपुर, इलाहाबाद, अमेठी, बस्ती, बलरामपुर, चन्दौली, गाजीपुर, गोरखपुर, जौनपुर, खीरी, आगरा, मेरठ, वाराणसी, उन्नाव, गौतमबुद्धनगर एवं गाजियाबाद में कराया गया। इसके अन्तर्गत लगभग 4000 टीमों द्वारा अत्यधिक संवेदनशील जनसंख्या में 2263 टी0बी0 मरीज पाये गये और उनका उपचार कराया गया। तृतीय चरण 24 फरवरी 2018 से 10 मार्च 2018 तक एक्टिव केस फाइडिंग गतिविधि उत्तर प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में कराया गया। इसके अन्तर्गत लगभग 10000 टीमों द्वारा अत्यधिक संवेदनशील जनसंख्या में अब तक 7303 टी0बी0 मरीज पाये गये और उनका उपचार कराया गया।

श्री सिंह ने यह भी बताया कि प्रदेश में दिनांक 30 अक्टूबर, 2017 से क्षय रोगियों हेतु क्ंपसल त्महपउमद की औषधियाॅ दी जा रही है जिसके अन्तर्गत फिक्स डोज काॅम्बीनेशन का प्राविधान है, इससे क्षय रोगी को पहले की अपेक्षा रोजाना कम दवाओं (टेबलेट) का सेवन करना पड़ रहा है।

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