बुधवार की रात जब एम्बुलेंस चालक थमीम को काम के लिएबुलाया गया था, तो उन्हें लगा होगा कि यह हमेशा की तरह इमरजेंसी कॉल ही होगा. मगर जब वह हॉस्पिटल पहुंचे तो उनसे कुछ ऐसा करने के लिए कहा गया जो शायद उन्होंने इससे पहले अपने जीवन में कभी नहीं किया होगा. उन्हें एक गंभीर रूप से बीमार बच्चे को जल्द से जल्द कन्नूर से तिरुवनंतपुरम तक पहुंचने की जिम्मेदारी दी गई. यह अंतर 514 किलोमीटर का था.
थमीम को पता था कि उन्हें ऐसा काम दिया गया है जिसमे उनकी एक चूक से मासूम की जान जा सकती है. फातिमा लैबिया, 31-दिवसीय शिशु की इमरजेंसी हार्ट सर्जरी होनी थी. उसे पिछले एक सप्ताह से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. कन्नूर के डॉक्टरों ने उसे तुरंत तिरुवनंतपुरम के एसआरआई हॉस्पिटल में शिफ्ट करने की सलाह दी थी. फातिमा के परिजनों ने यह सलाह मान ली.
परिजनों ने शिशु को एयरलिफ्ट करने के बारे में भी सोचा मगर निकटतम हवाई अड्डा – कालीकट या मैंगलोर कम से कम पांच घंटे दूर थे. फिर यह तय किया गया कि उसे सड़क के रास्ते ही तिरुन्तपुरम तक पहुंचाया जाए. कन्नूर और तिरुवनंतपुरम में अस्पताल प्रबंधन, राज्य पुलिस और थमिम ने साथ मिलकर वक्त पर शिशु को तिरुवनंतपुरम के हॉस्पिटल में पहुंचाया.
Wow…Hatsoff to Kerala Police,Public n to that Ambulance Driver…..👏 pic.twitter.com/n08gfhhQoF
— Abdulsathar (@Abdulsa32993233) November 16, 2017
केरल की पुलिस ने 516 किलोमीटर का एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया था जिससे यह सफर आसान हो गया. कोझीकोड में ईंधन भरने के लिए सिर्फ एक छोटा सा ब्रेक लिया गया. थमीम ने लगातार 100-120 की रफ़्तार से गाड़ी चलाई और बच्ची को हॉस्पिटल तक पहुंचाया.
साधारण वक्त में 14 घंटों का यह सफर आधे वक्त में पार किया गया. सभी ने थमिम की सराहना की लेकिन विनम्र चालक ने इसे संभव बनाने के लिए मिशन में शामिल सभी लोगों को धन्यवाद दिया.