महेन्द्र सिंह धोनी सात जुलाई को 36 साल के हो गए। पिछले कुछ जन्मदिन की तुलना में इस बार उनके जन्मदिन से ज्यादा उनके क्रिकेट को लेकर चर्चा हो रही है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके संन्यास की मांग तेज होते जा रही है लेकिन संन्यास की बढती मांग के बीच भारतीय कप्तान विराट कोहली ने पूर्व कप्तान का समर्थन किया है।
कोहली ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज में 3-1 से बढत बनाने के बाद कहा , वह गेंद को अच्छे से पीट रहा है। आपको उन्हें बताना नहीं होता कि हालात के अनुरूप कैसे खेला जाये और पारी को कैसे बढाया जाये । धोनी ने तीसरे मैच में 114 गेंद में 54 रन बनाये जिसमें उनका पुराना आक्रमाक तेवर कहीं नजर नहीं आया।
कोहली ने इस बारे में पूछने पर कहा , आपको यह भी देखना होगा कि आप किस तरह के विकेट पर खेल रहे हैं। मैं अभ्यास के दौरान स्पिनरों को शॉट्स लगाने की कोशिश कर रहा था लेकिन नहीं लगा सका क्योंकि यह विकेट शॉट्स खेलने लायक नहीं है। उन्होंने चैम्पियंस ट्रॉफी में श्रीलंका के खिलाफ मैच में धोनी की पारी का जिक्र किया।
उन्होंने कहा , श्रीलंका के खिलाफ चैम्पियंस ट्रॉफी में उन्होंने शानदार पारी खेली। यहां भी पहले मैच में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा। हम एक मैच या एक पारी के बाद संयम खोने लगते हैं। किसी भी बल्लेबाज को खराब फॉर्म का सामना करना पड़ सकता है। मुझे नहीं लगता कि उनके साथ अभी कोई मसला है। वह बेहतरीन खेल रहे हैं।
धोनी के पक्ष में जो चीज जाती है वह भारत का मजबूत बल्लेबाजी क्रम है। शीर्ष क्रम में कोहली, रोहित शर्मा, शिखर धवन मौजूद हैं जबकि उनका साथ देने के लिए लोकेश राहुल और अजिंक्य रहाणे हैं और ऐसे में अधिकांश दिन धोनी की जरूरत नहीं पड़ेगी। अंतिम ओवरों में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के लिए हादर्कि पंड्या भी टीम में शामिल हैं। समस्या यह है कि पांचवां और छठा क्रम काफी महत्वपूर्ण जिसमें विकेट पर टिकने का अधिक समय नहीं मिलता। धोनी मैदान पर उतरते ही बड़े छक्के जड़ने वाले खिलाड़ियों में शामिल नहीं रहे हैं लेकिन अब समस्या यह है कि वह एक-दो रन भी शुरआत में नियमित तौर पर नहीं बना रहे हैं जिससे दबाव बन रहा है।
कोहली हालांकि धोनी के अनुभव पर निर्भर रह सकते हैं। ऐसा नहीं है कि 36 साल के बाद क्रिकेटरों ने अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं किया। सचिन तेंदुलकर ने 2009-11 के बीच टेस्ट और वनडे दोनों में कुछ बेहतरीन पारियां खेली।
धोनी के पास क्षमता और प्रतिभा है। लेकिन ऋषभ पंत जैसी युवा प्रतिभा उन पर दबाव बना रही है जिसे मौका मिलने का इंतजार है।
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