हरिद्वार: कार्बेट टाइगर रिजर्व भले ही बाघों के घनत्व को लेकर इतरा रहा हो लेकिन अब राजाजी टाइगर रिजर्व का ईस्टर्न जोन भी बाघों को लेकर अपनी मजबूत पहचान बना चुका है। राजाजी टाईगर रिजर्व की बगिया में बाघों की खूब बहार आई है। बाघों की दहाड अब देशी-विदेशी सैलानियों को अमूमन हर दिन रोमांचित कर रहा है। एक ओर जहां टाइगर रिजर्व के वेस्टर्न जोन में राजाजी की रानी से राजा को मिलाने की सुखद कोशिश हो रही है तो वहीं ईस्टर्न जोन में बाघों का संसार बढकर 30 से 40 तक पहुंच गया है। राजाजी टाइगर रिजर्व की झोली में बाघों को लेकर खुशियां ही खुषियां बरस रही है।
प्रदेश में बाघों को लेकर कार्बेट टाइगर रिजर्व की विश्व स्तर पर पहचान है। हाथियों के लिए राजाजी की विश्व पटल पर मजबूत दखल है। लेकिन बीते कुछ सालों से राजाजी टाइगर रिजर्व के ईस्टर्न जोन यानि चीला, रवासन, गोहरी में बाघों के कुनबे में बहार आई है। बाघों के परिवार में इजाफा हो रहा है। कैमरा टैप में इस बात की लगातार पुष्टि हो रही है। बेहतरीन होते प्राकृतावास के कारण बाघ अब टाइगर रिजर्व के ईस्टर्न जोन को अपना स्थाई बसेरा बनाने लगे हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के चीला, रवासन और गोहरी रेंजों में हालिया कैमरा टैप में 30 से 40 बाघों की तस्वीर कैद हुई है। जिसे लेकर राजाजी टाइगर प्रशासन के चेहरे पर चमक दिखाई दे रही है। राजाजी टाइगर रिजर्व का प्रमुख टूरिस्ट जोन चीला रेंज में पर्यटकों को अमूमन बाघों का दीदार हो रहा है। बाघ अपने परिवार के साथ मीठावाली, मुंडाल, खारा की ओर दिखाई दे रहे हैं। आलम यह है कि बाघ की चहलकदमी खारा से निकलकर हरिद्वार वन प्रभाग के श्यामपुर और रसियाबड तक हो रही है। टूरिस्ट अपने रोमांच का अनुभव चीला रेंज के रजिस्टर पर दर्ज कर रहे हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के चीला, गोहरी और रवासन में बाघों की बढती तादाद अच्छा संकेत तो है लेकिन हरिद्वार वन प्रभाग के श्यामपुर और रवासन की ओर बाघों का बढता मूवमेंट चिंता का भी विषय है क्योंकि अभी श्यामपुर रेंज को कोर जोन में शामिल नहीं किया गया है। यहां पर गुर्जरों का डेरा भी है। लिहाजा इस ओर जल्द से जल्द प्लानिंग बनाकर बाघ् और मानव वन्य जीव संघर्ष की आशंकाओं को कम करने की जरूरत है।