नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक को बैंकिंग कंपनियों को फंसे कर्ज स्ट्रेस्ड एसेट्स की समस्याओं का समाधान करने का निर्देश देने का अधिकार देने वाले एक विधेयक को आज लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया।
बैंकिंग विनियमन संशोधन विधेयक, 2017 में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 का और संशोधन करने का प्रावधान है और यह बैंकिंग विनियमन संशोधन अध्यादेश, 2017 की जगह लेगा। इस साल मई महीने में यह अध्यादेश लागू किया गया था।
यह कदम आरबीआई को कुछ विशेष गैर निष्पादित परिसंपत्तियों एनपीए पर रिणशोधन समाधान की प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार देगा।
रिजर्व बैंक को फंसे कर्ज के समाधान के लिए बैंकिंग कंपनियों को सलाह देने के लिहाज से अधिकारियों या समितियों की नियुक्ति करने या नियुक्ति की मंजूरी देने और समाधान के लिए अन्य निर्देश जारी करने के अधिकार भी इससे मिलेंगे।
जेटली ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच विधेयक पेश किया। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्य देश के विभिन्न हिस्सों में कथित गोरक्षकों द्वारा लोगों की कथित रूप से पीट पीटकर हत्या किये जाने के मामलों पर सदन में प्रदर्शन कर रहे थे।
विधेयक पेश किये जाने पर विरोध दर्ज कराते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि वह बैंकिंग विनियमन अध्यादेश के खिलाफ थे और यह ‘एक हताश सरकार का हताशापूर्ण कदम’ था।
उन्होंने कहा कि जो आरबीआई नोटबंदी के बाद अभी तक पुराने नोटों की गिनती नहीं कर सका है उसे सरकार इतने अधिकार देने जा रही है।
उन्होंने विधेयक को संसदीय स्थायी समिति को भेजे जाने की मांग की।
जब अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने जेटली से पूछा कि क्या उन्हें सौगत राय की टिप्पणी पर कुछ कहना है तो वित्त मंत्री ने कहा कि यह विषय विधेयक को पेश किये जाने से जुड़ा नहीं है और जब यह विधेयक चर्चा के लिए आएगा तो इसे देखा जाएगा।