लखनऊ: मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने बैसाखी पर्व की बधाई देते हुए कहा कि आज ही के दिन गुरू गोविन्द सिंह जी ने देश एवं धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी। श्री गुरू गोविन्द सिंह जी को अवतारी महापुरुष बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पूर्व जीवन के सम्बन्ध में स्वयं अपने रचित ग्रंथों में उल्लेख किया है। गुरू गोविन्द सिंह जी ने विदेशी आक्रांताओं से जीर्ण-क्षीर्ण हो चुकी देश की पुनः प्रतिष्ठा को कायम करने तथा नौजवानों में स्वाभिमान के संचार के लिए खालसा पंथ की स्थापना करते हुए आत्म बलिदान का जो उदाहरण प्रस्तुत किया, वह प्रेरणादायी है।
मुख्यमंत्री आज यहां ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू तेग बहादुर साहिब, याहियागंज में बैसाखी के अवसर पर आयोजित खालसा साजना दिवस में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी को मत्था टेका तथा गुरू गोविन्द सिंह जी के हस्तलिखित हुक्मनामे एवं हस्तलिखित श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी के दर्शन भी किए। उन्होंने सनातन धर्म में बैसाखी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि देश और धर्म की रक्षा करने का उद्देश्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना गुरू गोविन्द सिंह जी के समय में था।
श्री योगी ने विदेशी शासकों द्वारा देश के विभिन्न धर्म स्थलों को तोड़ने एवं नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं के साथ किए गए दुव्र्यवहार का उल्लेख करते हुए कहा कि समाज की रक्षा के लिए गुरू गोविन्द सिंह जी एवं उनके चार पुत्रों के साथ जो हुआ, वह सर्वविदित है। उन्होंने देश और धर्म के लिए अपने पुत्रों को समर्पित करते हुए दुःखी न होकर पूरे उत्साह के साथ कहा कि ‘चार नहीं तो क्या हुआ, जीवित कई हजार’। मुख्यमंत्री ने गुरू गोविन्द सिंह के बलिदान और त्याग से प्रेरणा लेने का आग्रह करते हुए कहा कि याहियागंज का यह गुरूद्वारा अपनी ऐतिहासिक परम्परा का आज भी निर्वहन कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह वही पवित्र गुरूद्वारा है, जहां स्वयं गुरू गोविन्द सिंह व गुरू तेग बहादुर रुके थे।
मुख्यमंत्री ने उस समय समाज में हो रहे भेदभाव एवं यातना की चर्चा करते हुए कहा कि जब कश्मीरी पण्डितों का एक प्रतिनिधिमण्डल गुरू तेग बहादुर से मिला एवं उनसे धर्म को बचाने का आग्रह किया तो इसी धर्म की रक्षा करते हुए गुरू तेग बहादुर ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। उन्होंने खालसा पंथ की महान परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि जब भी देश और धर्म पर संकट आएगा तो सिख गुरूओं के त्याग एवं बलिदान से प्रेरणा लेकर आज का नौजवान आगे बढ़ेगा। हमें इन महान गुरूओं के त्याग-बलिदान को विवादास्पद बनाने के बजाय उनसे प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए ताकि जाति-पाति और छुआछूत से रहित समाज की स्थापना की जा सके।
श्री हरमंदिर जी पटना साहिब की ऐतिहासिकता का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी कुछ दिन पूर्व ही तखत श्री पटना साहिब का प्रकाशोत्सव मनाया गया, जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी भाग लिया। उन्होंने श्री पटना साहिब के सम्बन्ध में अपने संस्मरण का उल्लेख करते हुए कहा कि जब वे (मुख्यमंत्री) पहली बार पटना गए तो सबसे पहले उन्होंने तखत श्री पटना साहिब जाकर मत्था टेका, क्योंकि यह वह पवित्र स्थान है, जहां विपरीत परिस्थितियों में सिख धर्म को इस बुलन्दियों तक पहुंचाने वाले दसवें गुरू, गुरू गोविन्द सिंह का जन्म हुआ था।
श्री योगी ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना के समय जिन पंच प्यारों को अमृत छकाया था, वे सभी छुआछूत से पीड़ित हिन्दू मतावलम्बी ही थे। इस प्रकार उन्होंने छुआछूत की कुप्रथा को समाज से समाप्त करने का संदेश भी दिया। उन्होंने इस अवसर पर लोगों से समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए संकल्पित होने का आग्रह करते हुए कहा कि आपसी भाईचारे एवं समभाव से ही समरस समाज की स्थापना हो सकती है। उन्होंने सिख गुरूओं की महान परम्परा के प्रति पूरे देश को कृतज्ञ बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री स्वयं समरस, एकजुट और सशक्त देश बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
इस मौके पर मुख्यमंत्री को सत्कार सरोपा, शाॅल व अंग वस्त्र एवं कृपाण तथा गुरूद्वारे का प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया गया।
खालसा साजना दिवस कार्यक्रम में विधायी एवं न्याय मंत्री श्री बृजेश पाठक, अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री श्री बलदेव ओलख तथा गुरूद्वारा प्रबन्ध समिति के सचिव श्री मनमोहन सिंह हैप्पी, डाॅ0 गुरमीत सिंह, डाॅ0 कमरजोत सिंह एवं मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी परमजीत सिंह सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।