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भक्ति के लिए ज्ञान उजाला आवश्यक है

भक्ति के लिए ज्ञान उजाला आवश्यक है
उत्तराखंड

देहरादून: संत निरंकारी मण्डल दिल्ली (रजि0) भवन भूमि हरिद्वार बाईपास, देहरादून के तत्वाधान में आयोजित रविवारीय सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये ज्ञान प्रचारक पूज्य बहन सुशीला रावत जी ने कहा कि गुरु का वचन मानने से ही जीवन में सुमरिण और भक्ति का पदार्पण होता है। जिससे जीवन में आनन्द की अनुभूति प्राप्त होती है व जीवन जीने के लिए नये विचारों की उत्पत्ति होती है। जो हमें भक्ति मार्ग के लिए अग्रसर करती है और हमें जीवन जीने का सलीखा प्रदान करती है।

उन्होंने कहा कि मानव जीवन में परमात्मा की भक्ति के लिए ज्ञानरूपी उजाला की अति आवश्यकता है। क्योंकि ब्रह्मज्ञान से ही जीवन में भक्ति का आरम्भ होता है और यही भक्ति जीवन में आनन्द प्रदान करती है। संसार में ब्रह्माज्ञानी संत ही मानवीयता के मूल्यवान गुणों को संसार में फैलाते है। आत्मिक पैमाने से दुनिया में शाश्वत सत्य निरंकार की पहचान होती है। संसार के अन्दर जब भी वातावरण खराब हुआ तो संतों ने ही ब्रह्मज्ञान की अलख जगाई है जिससे इंसान को मानव मूल्यों की पहचान हुई। परमात्मा की पहचान सत्गुरु की कृपा से होती जो मानव हृदय में प्रेम, दया, करुणा, नम्रता व एकत्व के दिव्य गुणों उजागर करके वास्तविक धर्म की पहचान कराते है।

संसार में भक्ति मार्ग के लिए जिस दिव्य रोशनी की आवश्यकता होती है वह दुनिया पदार्थाें से प्राप्त नही होता है। वह सहज और सरल तरीके से गुरु कृपा से प्राप्त होता है। क्योंकि भक्ति कर्म साध्य नही है, बल्कि भक्ति कृपा साध्य है। सत्गुरु माता सविन्दर हरदेव जी महराज इस दिव्य ज्ञान को मानवता के लिए निरन्तर फैलाती जा रही है। जिससे मनुष्य जीवन में भक्ति सहज व सरलता से प्राप्त होकर सुखमय जीवन गुजार सके।

इस साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम में अनेकों भक्तों, संतों एवं श्रद्धालुओं ने अपने-अपने भाव निरंकार परमात्मा को हाजर-नाजर देखकर प्रकट किये, किसी ने अरदास रखी, तो कई भक्तों ने विभिन्न भाषाओं का सहारा लेेकर गीत, विचार, भजन एवं प्रवचनों द्वारा संगत को निहाल किया। सत्संग में मुख्य रूप से संयोजक कलम सिंह रावत, मंजीत सिंह, नरेश विरमानी, पूर्व मंत्री मातवार सिंह कण्डारी एवं सत्संग से जुड़े अनेकों भक्त मौजूद थे। मंच संचालन बहन कृष्णा जी ने किया।

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