जयपुर: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में विकास किए जाने के दावों को खोखला बताते हुए प्रदेश की बिगड़ी शिक्षण व्यवस्था के लिए भाजपा की नीतियों को जिम्मेदार बताया है।
पायलट ने कहा कि भाजपा के शासन में आने के बाद से शिक्षण व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है, मनमानी नीतियां थोपकर भाजपा सरकार ने प्रदेश की स्कूली छात्रों व शिक्षकों का अहित किया है। भाजपा ने चुनाव के समय दावा किया था कि संविदा पर कार्यरत सभी शिक्षाकर्मियों की समस्या का निदान किया जाएगा, परन्तु इस क्षेत्र में कोई प्रगति नहीं हुई है। सरकारी दावे के अनुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत में उच्च माध्यमिक विद्यालय खोले जाने थे, परन्तु 50 प्रतिशत का लक्ष्य भी चार वर्षों में हासिल नहीं हुआ है। बाड़मेर व जैसलमेर जिले की 89 ग्राम पंचायतों में बच्चियां शिक्षा से इसलिए वंचित हैं, क्योंकि वहां माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूल नहीं हैं। झालावाड़ जिले में मात्र 7 राजकीय ग्रामीण विद्यालय हैं और 7 हजार के लगभग स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे हैं तथा 1500 विद्यालय शिक्षक विहीन हैं।
पायलट ने कहा कि स्टाफिंग पैटर्न लागू कर भाजपा सरकार ने शिक्षकों के 82 हजार पद समाप्त कर दिए हैं और लगभग 5 हजार बालिका विद्यालय बंद किए जा चुके हैं, जो भाजपा सरकार के बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ के नारे की पोल खोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पॉलीटेक्निक विद्यालयों में प्रवेश में गत वर्ष की तुलना 13 प्रतिशत की कमी आई है। भाजपा ने दावा किया था कि 10वीं व 12वीं कक्षा में 80 प्रतिशत अंक से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी, परन्तु भाजपा का यह दावा जुमला साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि डीजिटल इंडिया की दुहाई देने वाली भाजपा सरकार ने आज तक कम्प्यूटर शिक्षकों की भर्ती नहीं की है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ स्कूली क्षेत्र में ही नहीं, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रदेश के हालात चिंताजनक हैं। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में 38 प्रतिशत तक शिक्षकों के पद खाली हैं और गेस्ट फैकल्टी के सहारे शिक्षण का कार्य चल रहा है, जिससे शिक्षा में जो जवाबदेही होनी चाहिए, उस पर प्रतिगामी असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 15 लॉ कॉलेजों में 80 प्रतिशत तक शिक्षक कम हैं, इसी प्रकार इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी शिक्षकों की 30 प्रतिशत कमी है। चार वर्ष होने के बाद सरकार दावे कर रही है कि शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया गया है, लेकिन सच्चाई यह है कि चार वर्षों में भाजपा सरकार ने शिक्षा मंत्री तो बदल दिए, परन्तु शिक्षा के क्षेत्र में कोई सकारात्मक कार्य नहीं किए। इसका खमियाजा प्रदेश के युवा व बच्चे भुगत रहे हैं।
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