नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने कहा कि भारतीय आर्थिक संघ के 100वें वार्षिक सम्मेलन में सम्मिलित होकर मुझे हर्ष हो रहा है। भारतीय अर्थशास्त्रियों की इस संस्था की स्थापना 1917 में हुई थी, और आज यह देश की सबसे बड़ी अकादमिक संस्था के रूप में विकसित हुई है। इसकी सदस्य संख्या लगभग सात हजार है, जिसमें कई प्रतिष्ठित व्यक्ति और संस्थान शामिल हैं।
राष्ट्रपति महोदय ने भारतीय आर्थिक संघ को बधाई देते हुए कहा कि इस संस्थान ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। नीतियों के अध्ययन से देश को बहुत लाभ हुआ है। संघ के कई सदस्यों ने तमाम नीति-निर्माता निकायों में सेवाएं दी हैं, जिनमें वित्त आयोग, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद और योजना आयोग शामिल हैं। वर्ष 1917 से संघ की पत्रिका ‘इंडियन इकोनॉमिक जर्नल’ लगातार प्रकाशित हो रही है। इस पत्रिका में अनुंसधान और समकालीन प्रासंगिक विषयों का प्रकाशन होता है।
वार्षिक सम्मेलन एक महत्वपूर्ण आयोजन है जिसमें संघ के सभी सदस्य सम्मिलित होते हैं। शताब्दी समारोह को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष की विषय वस्तु ‘भारतीय आर्थिक विकासः स्वतंत्रता उपरांत अनुभव’ है। राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि सम्मेलन के दौरान राजकोषीय नीति से लेकर विदेशी कारोबार सहित कृषि और सामाजिक-आर्थिक असमानता पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अमेरिका, स्विट्जरलैंड और मलेशिया सहित विभिन्न देशों के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बांग्लादेश के प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस आज सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि हैं। राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के योगदान से पूरा उप-महादीप गौरवान्वित हुआ है। उन्होंने कहा कि मैं प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस और अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों का हृदय से स्वागत करता हूं।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि पिछले 100 वर्षों के दौरान अर्थशास्त्र एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय के रूप में विकसित हुआ है। यह ऐसा विषय है जिसमें इतिहास, भूगोल, दर्शन और चरित्र का समावेश है। उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्र एक ऐसी विशाल नदी की तरह है जिसमें विभिन्न तरंगे मौजूद है। ये तरंगे समाजशास्त्र की भी है और सांख्यिकी की भी।
श्री राम नाथ कोविंद ने कहा कि आज तमाम देशवासी अब भी निर्धनता में जीवनयापन कर रहे है या अभाव में हैं। स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा, आवास और नागरिक सुविधाओं से वे वंचित हैं। उन्होंने कहा कि समाज के पारम्परिक रूप से कमजोर वर्ग जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाएं इनमें शामिल हैं। वर्ष 2022 तक नव भारत के स्वप्न को पूरा करने के लिए इस समस्या को हल करना बहुत आवश्यक है। उल्लेखनीय है 2022 में हमारी स्वतंत्रता को 75 वर्ष हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करने की आवश्यकता है।
श्री कोविंद ने कहा कि मैंने जिन मुद्दों का उल्लेख यहां पर किया है, वे वास्तव में भारत के संविधान की राज्य सूची में शामिल है। इसलिए यह आवश्यक है कि इन मुद्दों को स्थानीय और राज्य स्तर पर हल किया जाना चाहिए, ताकि ‘भारतीय विकास अनुभव’ को आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि ‘सहकारी संघवाद’ के युग में और 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन के बाद विभिन्न राज्यों का दायित्व बढ़ गया है।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि केन्द्र सरकार के साथ मैं भी अर्थशास्त्री समुदाय से आग्रह करता हूं कि वे हमारी राज्य सरकारों के साथ मिलकर अधिक से अधिक काम करें और उन्हें सलाह देकर विकास में योगदान करें। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मैं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चन्द्रबाबू नायडू को बधाई देता हूं कि उन्होंने अपने राज्य को आर्थिक विचारशीलता के क्षेत्र में अग्रणी बनाया है।
राष्ट्रपति महोदय ने उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने के बाद गत कई दशकों तक कुछ वास्ताविकताओं के साथ जीती रही, जो अब समाप्त हो रही हैं। इन बदलावों से अर्थशास्त्र अछूता नहीं है। हमारे सामने ऐसी परिस्थिति है जहां कई समाज उदार कारोबारी व्यवस्था के लिए संरक्षणवाद को अपना रहे हैं। भारत जैसी उदीयमान अर्थव्यवस्था को विश्व संपर्क के लिए आवाज उठानी होगी, जहां व्यापार लोगों के लिए लाभप्रद हो।
श्री कोविंद ने कहा कि घरेलू मुद्दे भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। औपचारिक रोजगार का युग धीरे-धीरे रोजगार अवसर पैदा कर रहा है और स्व-रोजगार अवसर भी सामने आ रहे हैं। यह अवसर खासतौर से सेवा क्षेत्र और डिजिटल अर्थव्यवस्था में हैं। उन्होंने कहा कि हमें अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को समझना होगा और उसके अनुरूप नीतियां बनानी होंगी। हमें सामाजिक सुरक्षा उपाय भी तैयार करने होंगे ताकि कामगारों की सुरक्षा हो सके।
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने इन विषयों को चिन्हित किया है। स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, मुद्रा योजना और जन धन योजना जैसे कदमों से लाखों लोग बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ गए हैं।
श्री कोविंद ने कहा कि हमारे अर्थशास्त्रियों को इन चुनौतियों और विषयों पर विचार और उनका विश्लेषण करना होगा ताकि भावी रोड मैप तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि अगले चंद दिनों के दौरान इन सभी विषयों पर सम्मेलन में चर्चा होगी। मुझे पूरा विश्वास है कि संघ के सभी सदस्य हमारे राष्ट्र की विकास प्रक्रिया से जुडेंगे और देशवासियों के कल्याण के लिए प्रयत्नशील होंगे। उन्होंने सम्मेलन की सफलता की कामना की और सभी को नववर्ष की बधाई दी।