नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत और सर्बिया में परस्पर विश्वास एवं समझ पर आधारित एक विशेष संबंध है और दोनों देश 70 वर्षों के राजनयिक संबंधों का स्मरण करते हुए अपने ऐतिहासिक रिश्तों को लेकर गर्व का अनुभव करते हैं। वह आज यहां सर्बिया के प्रथम उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मामले मंत्री श्री इविका डेकिक के नेतृत्व में सर्बिया के शिष्टमंडल के साथ बातचीत कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने सर्बिया के उप प्रधानमंत्री को कोसोवो मुद्दे पर भरोसा दिलाया और कहा कि भारत के सैद्धांतिक पक्ष में कोई बदलाव नहीं आया है तथा वह कोसोवो की एकपक्षीय स्वतंत्रता की घोषणा (यूडीआई) को मान्यता नहीं देता। उन्होंने कहा कि भारत ने यूनेस्को, विश्व कस्टम संगठन (डब्ल्यूसीओ), इंटरपोल आदि समेत विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की सदस्यता के लिए कोसोवो के आवेदन का विरोध किया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सर्बिया के साथ द्विपक्षीय व्यापार में सुधार लाने की असीमित गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई है कि भारत और सर्बिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार हाल के वर्षों में बढ़ा है और यह बढ़कर 2017 में लगभग दो सौ मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि भारत विश्व में सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और यहां विभिन्न आर्थिक सुधार आंरभ किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्बिया की कंपनियां बी-टू-बी मॉडल के जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था में भागीदारी का लाभ उठा सकती हैं।
उपराष्ट्रपति ने सर्बिया में योग की लोकप्रियता की सराहना की और पूरे सर्बिया में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के व्यापक आयोजन की प्रशंसा की।