नई दिल्ली: गाँधी जयंती के पावन अवसर पर मुझे प्रात:काल बापू की समाधि पर जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का और उसके बाद उनके जन्मस्थान पोरबंदर में कीर्ति मंदिर जाकर नमन करने का सौभाग्य मिला। और यहाँ का कार्यक्रम भी बापू की स्मृति और आदर्शों से जुड़ा हुआ है।
जैसा कि हम सभी जानते है बापू पूरे समाज का समग्र विकास चाहते थे। वे श्रम की गरिमा में विश्वास करते थे। यहाँ आज जिन सुविधाओं की शुरुआत की गयी है उनसे यहाँ के मेहनतकश लोगों का आर्थिक विकास होगा और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।
समुद्र तट पर रहने वाले सौराष्ट्र के लोग खारे पानी तथा प्रकृति की अन्य चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी मेहनत से अपने जीवन का निर्माण करते हैं। यहाँ के लोग अपने परिश्रम और पुरुषार्थ के लिए जाने जाते हैं। इस प्रकार इस क्षेत्र के लोग गुजरात की उद्यमशीलता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हम सब गुजराती भाई-बहनों के लिए अक्तूबर का मास बहुत ही महत्वपूर्ण महीना है। आज के दिन, पूरे विश्व में अपनी कीर्ति फैलाने वाले महात्मा गांधी का जन्म इसी राज्य में हुआ था। 15 दिन बाद ही गुजराती नूतन वर्ष का आगमन होगा जब पूरे देश में दीवाली का त्योहार मनाया जाएगा। आप सभी को गुजराती नूतन वर्ष और दीवाली की अग्रिम शुभकामनाएं।
31 अक्तूबर को हमारे देश के वर्तमान स्वरूप को सुनिश्चित करने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती हम सब मनाते हैं। भारत की आजादी के निर्णय के समय लगभग चालीस प्रतिशत क्षेत्र 550 से अधिक रजवाड़ों के अधीन था। इन सभी रजवाड़ों का भारत में विलय सरदार पटेल के ही अथक प्रयास से हुआ था। तब के जूनागढ़ रियासत के इस क्षेत्र का भारत के संघ में विलय भी सरदार पटेल की अद्भुत क्षमताओं के कारण ही संभव हो सका था। देश को वर्तमान स्वरुप प्रदान करने के लिए पूरा भारत उनका ऋणी है। हम पूरी श्रद्धा से उनको नमन करते है।
गुजरात में मैंने यहाँ की उस विशेष ऊर्जा का अनुभव किया है जो गुजरात के किसानो, उद्यमियों और सभी नागरिको में देखने को मिलती है। इसी विशेष ऊर्जा के कारण गुजरात विकास के अनेक पैमानों पर देश में अपना विशेष स्थान रखता है। कृषि, उद्योग, शिक्षा, कला, साहित्य, राजनीति आदि अनेक क्षेत्रों में गुजरात ने देश का गौरव बढ़ाया है।
कोस्टल गुजरात ने प्राचीन काल से ही देश के विकास में अपना योगदान दिया है। देश के बंदरगाहों से होने वाले कुल आवागमन का लगभग 48 प्रतिशत गुजरात के बंदरगाहों से ही होता है। यह गुजरात के लिए गर्व की बात है। प्राचीन काल से ही विख्यात कांडला के बड़े बंदरगाह के अलावा गुजरात में 40 से अधिक बंदरगाह हैं।
समुद्री मछलियों के कारोबार में गुजरात का देश में पहला स्थान है और इस कारोबार में पूरे देश का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा कोस्टल गुजरात से आता है। फिशिंग हार्बर्स और फिश लैंडिंग सेंटर्स का निर्माण तथा पुराने हार्बर्स और लैंडिंग सेंटर्स को नए तरीके से विकसित करके गुजरात के इस कारोबार को और अधिक बढाया जा सकता है। इसीलिए जिन योजनाओं की आज यहाँ शुरूआत की गई है उनसे यहाँ की अर्थवयवस्था को फायदा होगा और लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा। यूरोपियन यूनियन के मानकों के स्तर पर पहुँचने के प्रयास में यह योजनाएं सहायक सिद्ध होंगी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री तथा आज के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को साकार रूप देने की दिशा में मुख्यमंत्री रूपाणीजी ने अथक प्रयास किया है और इन योजनाओं को ठोस रूप दिया है। उदाहरण के लिए, मंगरोल के तीसरे चरण की जिस योजना का आज शिलान्यास किया गया है उससे यहाँ की बर्थिंग और लैंडिंग क्षमता में तीन गुने से भी अधिक का इजाफा होगा। आज यहाँ 400 नौकाओं को बर्थिंग और लैंडिंग सुविधा प्रदान करने की क्षमता है, जिसे बढाकर 1400 नौकाओं को यह सुविधाएँ दी जा सकेगी।
इन सभी योजनाओं के विस्तार में जाने पर उनके व्यापक और दूरगामी फायदे स्पष्ट हो जाते हैं। आज शुरू की गयी योजनाओं के कारण, यहाँ के मछुआरे बंधुओं के लिए आज का दिन ऐतिहासिक सिद्ध होगा, ऐसा मेरा विश्वास है। इस क्षेत्र के 45 गांवों में पानी की आपूर्ति को बेहतर बनाने की अत्यंत महत्वपूर्ण योजना का शुभारंभ करके मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई है।
इस क्षेत्र की जनता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण इन योजनाओं के लिए मैं राज्य सरकार को, गुजरात की जनता को और खासकर सौराष्ट्र के लोगों को बधाई देता हूँ।
अंत में, मैं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्य स्मृति में आप सब के साथ एक कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से बापू को सादर नमन करता हूँ।
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