लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों के अन्तर्गत
20 नये कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की कार्यवाही
मंत्रिपरिषद को प्रदेश में कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों के अन्तर्गत 20 नये कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की कार्यवाही के विषय में अवगत कराया गया है। यह केन्द्र लखीमपुर-खीरी, हरदोई, आजमगढ़, जौनपुर, बदायूं, सुल्तानपुर, बहराइच, मुरादाबाद, गोण्डा, गाजीपुर, मुजफ्फरनगर, रायबरेली, हापुड़, शामली, सम्भल, अमेठी, कासगंज, श्रावस्ती, अमरोहा एवं इलाहाबाद में स्थापित किये जा रहे हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पूर्ण वित्त पोषित कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क भूमि उपलब्ध करायी जाती है। कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के लिए 14 जनपदों के जिलाधिकारियों द्वारा भूमि की उपलब्धता से अवगत कराया गया है। शेष जनपदों में भी भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कार्यवाही प्राथमिकता पर की जा रही है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में वर्तमान में राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के अन्तर्गत कुल 49 कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित एवं संचालित हंै। इसके तहत कृषि विश्वविद्यालय कानपुर में 12, फैजाबाद में 17, मेरठ में 13, बांदा में 6 तथा इलाहाबाद में 1 कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित एवं संचालित हैं। इसके अलावा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत 5, वेटेनरी विश्वविद्यालय मथुरा के अन्तर्गत 1, बी0एच0यू0 वाराणसी के अन्तर्गत 1, अन्य शिक्षण संस्थानों के तहत 2 तथा गैर सरकारी संस्थाओं के तहत 11 कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं। इस प्रकार, प्रदेश में कुल 69 कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित हैं।
फिल्म ‘एक थी रानी ऐसी भी’ को उ0प्र0
में मनोरंजन कर से मुक्त किये जाने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने फिल्म ‘एक थी रानी ऐसी भी’ को उत्तर प्रदेश में मनोरंजन कर से मुक्त किये जाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय आयुक्त मनोरंजन कर की आख्या एवं पूर्व प्रदर्शन समिति की संस्तुति के क्रम में उ0प्र0 आमोद एवं पणकर अधिनियम, 1979 की धारा-11(1) के अन्तर्गत ‘अन्य लोकहित के आधार पर’ तथा शासनादेश दिनांक 13 जून, 2000 एवं दिनांक 17 जनवरी, 2014 में निहित व्यवस्थानुसार लिया गया है।
फिल्म ‘एक थी रानी ऐसी भी’ के सम्बन्ध में आयुक्त, मनोरंजन कर द्वारा अवगत कराया गया है कि यह फिल्म राजमाता विजयाराजे सिंधिया का राष्ट्रसेवा के प्रति समर्पण के साथ-साथ देशवासियों को समाज सेवा एवं महिला सशक्तीकरण के लिए प्रेरित करती है।
गोरखपुर सिविल टर्मिनल का नामकरण महायोगी
गोरखनाथ जी के नाम पर तथा आगरा सिविल टर्मिनल का
नामकरण पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर करने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने गोरखपुर सिविल टर्मिनल का नामकरण महायोगी गोरखनाथ जी के नाम पर तथा आगरा सिविल टर्मिनल का नामकरण पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर क्रमशः ‘महायोगी गोरखनाथ सिविल टर्मिनल’ एवं ‘पं0 दीनदयाल उपाध्याय सिविल टर्मिनल’ किये जाने का निर्णय लिया है। इस सम्बन्ध में राज्य विधान सभा में पारण हेतु संकल्पों के आलेख्य को भी मंत्रिपरिषद ने अनुमोदित कर दिया है। यह निर्णय भी लिया गया है कि अनुमोदित संकल्पों को राज्य विधान सभा में पारित कराकर यथा प्रक्रिया प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा पुनर्गठित मौसम
आधारित फसल बीमा योजना को 2 वर्षाें के लिए लागू करने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 अर्थात 2 वर्षाें के लिए लागू किये जाने का निर्णय लिया है। योजना को वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 के खरीफ मौसम में धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, उर्द, मूंग, मूंगफली, तिल, सोयाबीन व अरहर की फसल तथा रबी मौसम में गेहूं, चना, मटर, मसूर, लाही, सरसों व आलू फसल के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर प्रदेश के सभी जनपदों में लागू किया जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत प्रतिकूल मौसम की स्थितियों के कारण अधिसूचित क्षेत्र में अधिसूचित फसल की बुवाई न कर पाने/असफल बुवाई की स्थिति, फसल की बुवाई से कटाई की समयावधि में प्राकृतिक आपदाओं, रोगों, कृमियों से फसल के नष्ट होने की स्थिति तथा फसल की कटाई के उपरान्त आगामी 14 दिनों में खेत में कटी हुई फसल की क्षति की स्थिति में कृषकों को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
अधिसूचित फसल के उत्पादक फसली ऋण लेने वाले सभी ऋणी कृषकों को अनिवार्य आधार पर तथा गैर ऋणी कृषकों को स्वैच्छिक आधार पर योजना में सम्मिलित किया जाएगा। फसल की प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत बीमित राशि के रूप में निर्धारित की जाएगी।
खाद्य फसलें- अनाज व दलहन, तिलहन हेतु कृषक द्वारा वहन किये जाने वाले प्रीमियम अंश को खरीफ फसलों हेतु बीमित राशि के 2 प्रतिशत तथा रबी फसलों हेतु डेढ प्रतिशत अथवा वास्तविक प्रीमियम दर, जो कम हो, तक सीमित रखा जाएगा। खरीफ एवं रबी की वार्षिक नकदी फसलों/वार्षिक औद्यानिकी फसलों हेतु कृषक द्वारा वहन किये जाने वाले प्रीमियम अंश को बीमित राशि के 5 प्रतिशत अथवा वास्तविक प्रीमियम दर जो कम हो, तक सीमित रखा जाएगा।
कृृषकों द्वारा वहन किये जाने वाले प्रीमियम अंश से अधिक एवं फसल के वास्तविक प्रीमियम दर के अन्तर्गत की धनराशि को प्रीमियम पर अनुदान के रूप में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा बराबर-बराबर वहन किया जाएगा।
फसल की बुवाई से कटाई की समयावधि में प्राकृतिक आपदाओं, रोगों, कृमियों से फसल की क्षति का आंकलन बीमा इकाई स्तर पर निर्धारित संख्या में फसल कटाई प्रयोगों से प्राप्त उपज के आधार पर आंकलित किया जाएगा। बीमा कम्पनी द्वारा कृषकों को देय क्षतिपूर्ति की धनराशि बैंक खाते में जमा करायी जाएगी।
पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत जनपद कुशीनगर, गोरखपुर, बहराइच, बाराबंकी, कौशाम्बी व महराजगंज में केले की फसल तथा जनपद फतेहपुर, फिरोजाबाद, लखीमपुर-खीरी, बाराबंकी, मिर्जापुर व बरेली में मिर्च की फसल को ब्लाॅक में स्थापित मौसम केन्द्र स्तर पर बीमित किया जाएगा। योजनान्तर्गत ऋणी एवं गैर ऋणी कृषकों की भागीदारी, बीमित राशि, प्रीमियम की धनराशि, प्रीमियम पर अनुदान आदि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अनुरूप ही क्रियान्वित होंगे। योजना हेतु चयनित जनपदों के प्रत्येक ब्लाॅक में स्वतंत्र एजेन्सी के माध्यम से मौसम मापी यंत्र लगाते हुए कम वर्षा/अधिक वर्षा, कम व अधिक तापमान आदि के प्रतिदिन के आंकड़ों को एकत्रित कराकर योजना के प्राविधानों के अनुसार क्षति का आकलन करते हुए कृषकों को क्षतिपूर्ति का भुगतान उनके बैंक खाते में किया जाएगा।
भारत सरकार द्वारा नामित बीमा कम्पनियों को क्रिन्वायक अभिकरण के रूप में नामित किया जाएगा।
प्रदेश में संचालित फसल बीमा योजनाओं के अन्तर्गत जनपद स्तर पर जोखिमों के दृष्टिगत प्रदेश के सभी 75 जनपदों को 6-7 जनपदों के 12 समूहों में बांटा जाएगा तथा निविदा के माध्यम बीमा कम्पनियों का चयन करते हुए योजना को प्रदेश में संचालित कराया जाएगा।
फसल बीमा योजनाओं के प्रभावी संचालन एवं कृषकों को समय से बीमा की क्षतिपूर्ति सुनिश्चित कराये जाने हेतु इन दोनों योजनाओं के संचालन के महत्वपूर्ण बिन्दुओं, जिसमें बीमा कम्पनी के किसी कृत्य से योजना के क्रियान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है अथवा कृषकों का समय से योजना का लाभ प्राप्त नहीं होता है, उन स्थितियों में चयनित बीमा कम्पनियों के विरुद्ध अर्थ-दण्ड लगाये जाने का प्राविधान किया जा रहा है।
‘विकलांगजन विकास विभाग’ का नाम परिवर्तित
कर ‘दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग’ करने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने ‘विकलांगजन विकास विभाग’ का नाम परिवर्तित कर ‘दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग’ करने का निर्णय लिया है।
ज्ञातव्य है कि केन्द्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा इस विभाग का नाम परिवर्तित कर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग कर दिया गया है, जबकि प्रदेश में इस विभाग का नाम विकलांगजन विकास विभाग है। ऐसी स्थिति में एकरूपता बनाये रखने के लिए मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया है। इस निर्णय से विकलांगजन में हीनभावना कम होगी और वह स्वयं को सशक्त महसूस करेंगे।