नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने सरसों के तेल को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के खाद्य तेलों के बड़ी मात्रा में निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरसों के तेल के लिए 900 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के न्यूनतम मूल्य पर पांच किलोग्राम के उपभोक्ता पैक में निर्यात की अनुमति जारी रहेगी।
आर्थिक मामलों की समिति ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभागके सचिव की अध्यक्षता वाली समिति को अधिकार सम्पन्न बनाने कीभी स्वीकृति दे दी है। इस समिति में वाणिज्य, कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण, राजस्व, उपभोक्ता मामले तथा विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के सचिव शामिल हैं।समिति को घरेलू उत्पादों और मांग, घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय कीमतों तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की मात्रा के आधार पर विभिन्न प्रकार के खाद्य तेलों की आयात-निर्यात नीति की समीक्षा करने तथा उन पर मात्रात्मक प्रतिबंध, पूर्व पंजीकरण, न्यूनतम निर्यात मूल्य तय करने और आयात शुल्क में बदलाव के संबंध में आवश्यक उपाय करने का अधिकार होगा।
खाद्य तेलों का उपभोक्ता पैक में निर्यात करने तथा समय-समय पर उनका न्यूनतम निर्यात मूल्य तय करने का वाणिज्य सचिव की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालय समिति का अधिकार समाप्त कर दिया गया है।
प्रभावः
सभी तरह के खाद्य तेलों के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने से खाद्य तेलों के अतिरिक्त विपणन के अवसर उपलब्ध होंगे। इससे किसानों को तिलहनों से ज्यादा वसूली हो सकेगी, जिससे वे लाभान्वित होंगे। खाद्य तेलों के निर्यात की अनुमति मिलने से मंद पड़े देश के खाद्य तेल उद्योग की क्षमता में वृद्धि होगी। इससे निर्यात प्रतिबंध और कई तरह की रियायतों की वजह से उत्पन्न हुई दुविधा की स्थिति खत्म हो सकेगी और कारोबारी सहूलियत का मार्ग प्रशस्त होगा।
पृष्ठभूमिः
पिछले दो वर्षों की तुलना में 2016-17 के दौरान देश में तिलहन उत्पादन में भारी वृद्धि देखी गई है। ऐसी संभावना है कि 2017-18 में भी उत्पादन वृद्धि का यह स्तर बना रहेगा। अभी तक केवल कुछ खाद्य तेलों को ही बड़ी मात्रा में निर्यात की अनुमति है। अन्य खाद्य तेलों का निर्यात पांच किलोग्राम के उपभोक्ता पैक में न्यूनतम निर्यात मूल्य पर में ही किया जा सकता है। देश में खाद्य तेलों के बढ़ते उत्पादन को सहारा देने तथा इन तेलों के विपणन के लिए अतिरिक्त संभावनाएं तलाशने के लिए सरसों के तेल को छोड़कर अन्य खाद्य तेलों के बड़े पैमाने पर निर्यात की अनुमति दिया जाना जरूरी हो गया था। सरसों के तेल का भारत में बड़े पैमाने पर उपभोग किया जाता है।