लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव से मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी के पौत्र श्री जिगर सुल्तानपुरी ने मुलाकात कर प्रतीक चिह्न एवं शाल भेंट किया। श्री यादव को सम्मानित किए गए स्मृति चिह्न में मजरूह सुल्तानपुरी की प्रसिद्ध पंक्तियां ‘‘मंजिल मिल ही जाएगी, भटकते ही सही। गुमराह तो वो है, जो घर से निकलते ही नही‘‘ लिखी थी।
जिगर सुल्तानपुरी ने इस अवसर पर कहा कि शायरों, कवियों, साहित्यकारों और दानिशवरों के बीच श्री अखिलेश यादव का नाम इज्जत के साथ लिया जाता है। श्री यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए जहां सभी तबको को सहूलियतें दी थी वहीं इस जमात को प्रोत्साहित करने के लिए यशभारती, हिन्दी संस्थान के पुरस्कारों से भी सम्मानित किया था।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि मजरूह सुल्तानपुरी हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकार और प्रगतिशील आंदोलन में उर्दू के प्रमुख शायरों में से एक थे। उन्होेंने 400 से अधिक हिन्दी फिल्मों के लिये अनेक गीत गजलें लिखी। मजरूह सुल्तानपुरी पहले गीतकार थे जिन्हें फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहिब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 24 मई 2000 को 80 वर्ष की अवस्था में उनका निधन हो गया। उनकी बेहद चर्चित गजल जनता में आज भी लोकप्रिय हैं ‘‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए मंजिल मगर, लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया‘‘।