नई दिल्लीः आईओसीएल, बीपीसीएल एवं एचपीसीएल वाले एक भारतीय कंसोर्टियम और सऊदी अरामको ने आज यहां एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। महाराष्ट्र राज्य में एक एकीकृत रिफाइनरी एवं पेट्रोरसायन कॉम्प्लेक्स रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (आरआरपीसीएल) को संयुक्त रूप से विकसित एवं निर्मित करने के उद्देश्य से इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। सऊदी अरामको इस परियोजना में सह-निवेश करने के उद्देश्य से एक रणनीतिक साझेदार को शामिल करने की भी मांग कर सकती है।
उपर्युक्त रणनीतिक साझेदारी से विश्व भर में अपनी वाणिज्यिक मौजूदगी दर्ज कर चुकी इन तेल कंपनियों के अनुभव एवं विशेषज्ञता के साथ-साथ कच्चे तेल की आपूर्ति, संसाधन एवं प्रौद्योगिकियों को एकजुट करना संभव हो पाएगा।
इस रिफाइनरी के बारे में संभाव्यता-पूर्व अध्ययन पूरा हो चुका है और संबंधित पक्ष अब इस परियोजना की समग्र रूपरेखा को अंतिम रूप प्रदान कर रहे हैं। उपर्युक्त एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद संबंधित पक्ष अपने पारस्परिक सहयोग का दायरा बढ़ाकर एक ऐसे संयुक्त उद्यम की संभावनाओं पर भी विचार-विमर्श करेंगे, जो इस परियोजना को संयुक्त स्वामित्व, नियंत्रण एवं प्रबंधन सुलभ कराएगा।
उपर्युक्त रिफाइनरी प्रतिदिन 1.2 मिलियन बैरल कच्चे तेल (60 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष अथवा एमएमटीपीए) का प्रसंस्करण करने में सक्षम होगी। यह रिफाइनरी बीएस-VI ईंधन दक्षता मानकों को पूरा करते हुए पेट्रोल एवं डीजल सहित अनेक परिशोधित (रिफाइंड) पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन करेगी। यह रिफाइनरी एकीकृत पेट्रोरसायन कॉम्प्लेक्स के लिए कच्चा माल (फीडस्टॉक) मुहैया कराएगी। एकीकृत पेट्रोरसायन कॉम्प्लेक्स प्रति वर्ष लगभग 18 मिलियन टन पेट्रोरसायन उत्पादों का उत्पादन करने में सक्षम होगा।
रिफाइनरी, क्रैकर एवं डाउनस्ट्रीम पेट्रोरसायन सुविधाओं के अलावा इस परियोजना में सहायक सुविधाओं जैसे कि लॉजिस्टिक्स, कच्चा तेल एवं उत्पाद भंडारण टर्मिनलों एवं अपरिष्कृत जल आपूर्ति परियोजना के साथ-साथ केन्द्रीकृत एवं आपस में साझा किए जाने वाले उपक्रमों का विकास करना भी शामिल है।
रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (आरआरपीसीएल) की गिनती आगे चलकर विश्व की सबसे बड़ी रिफाइनिंग एवं पेट्रोरसायन परियोजनाओं में होगी और इसे कुछ इस तरह से तैयार किया जाएगा जिससे कि भारत की तेजी से बढ़ती ईंधन एवं पेट्रोरसायन मांग को पूरा किया जा सके। इस परियोजना पर लगभग 3 लाख करोड़ रुपये (44 अरब अमेरिकी डॉलर) की लागत आने का अनुमान है।
केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि यह आईओसीएल, एचपीसीएल एवं बीपीसीएल वाले भारतीय कंसोर्टियम और सऊदी अरामको एवं एक अतिरिक्त रणनीतिक भागीदार के बीच 50:50 अनुपात वाली संयुक्त साझेदारी है।
मंत्री महोदय ने कहा कि तीन लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा के अनुमानित निवेश वाली इस परियोजना से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर व्यापक रोजगार सृजन के साथ-साथ क्षेत्र के सर्वांगीण आर्थिक विकास की दृष्टि से भी इस क्षेत्र, महाराष्ट्र राज्य और समूचे देश को काफी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि यह परियोजना भारत के माननीय प्रधानमंत्री और सऊदी अरब के महामहिम शाह के विजन के अनुरूप है।
सऊदी अरामको के प्रेसीडेंट एवं सीईओ अमीन एच. नसीर ने कहा कि उपर्युक्त एमओयू पर हस्ताक्षर किया जाना भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मेगा परियोजना में साझेदारी करने से सऊदी अरामको आगे चलकर कच्चे तेल की आपूर्ति करने के अलावा एक पूर्ण एकीकृत भूमिका भी निभाने में सक्षम हो जाएगी, जिससे भारत की भावी ऊर्जा मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने इस अवसर पर अरामको एशिया द्वारा वर्ष 2017 में नई दिल्ली में एक कार्यालय खोल जाने का भी उल्लेख किया, जिसे आर्थिक विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस क्षेत्र में सऊदी अरामको के अंतर्राष्ट्रीय पोर्टफोलियो का विस्तार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।