लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां शास्त्री भवन में आयोजित गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना की समीक्षा बैठक में गोमती रिवर फ्रण्ट परियोजना के तहत कराए गए कार्यों की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने मुख्य सचिव को इस जांच के लिए एक समिति के गठन के निर्देश दिए हैं। यह जांच समिति एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट 45 दिन के भीतर प्रस्तुत करेगी। उन्होंने नगर विकास मंत्री श्री सुरेश खन्ना तथा सिंचाई मंत्री श्री धर्मपाल सिंह को गोमती रिवर फ्रण्ट के कार्यों की लगातार माॅनीटरिंग के भी निर्देश दिए।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि इस परियोजना के तहत आवंटित धनराशि 1513 करोड़ रुपए का 95 प्रतिशत अर्थात 1435 करोड़ रुपए अब तक खर्च किए जा चुके हैं, जबकि इस परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इस स्थिति पर असंतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस परियोजनाओं में देर क्यों हुई, पैसा कहां खर्च हुआ समिति इसकी जांच करेगी। बैठक में अधिकारियों द्वारा परियोजना की पुनरीक्षित लागत 2448 करोड़ रुपए प्रस्तुत की गई, जिस पर मुख्यमंत्री ने इस परियोजना के बाकी कार्यों की आवश्यकता पर पुनः विचार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन कार्यों को गैर जरूरी समझा जाए, उन्हें हटा दिया जाए तथा इस परियोजना को शीघ्र पूरा किया जाए।
श्री योगी ने कहा कि गोमती नदी अत्यधिक प्रदूषण से ग्रस्त है। ऐसे में गोमती रिवर फ्रण्ट परियोजना लागू करने से पहले इसके जल को प्रदूषण मुक्त करने पर ध्यान दिया जाता तो ज्यादा अच्छा होता। उन्होंने अधिकारियों को गोमती में गिरने वाले नालों के डायवर्जन के साथ-साथ प्रदूषण से मुक्ति पाने के लिए एस0टी0पी0 की स्थापना के निर्देश दिए। उन्होंने गोमती नदी में पीलीभीत, लखीमपुर खीरी जनपदों में स्थापित विभिन्न मिलों से आने वाले उत्प्रवाह का समुचित निस्तारण करने के लिए भी कहा है। उन्होंने कहा कि जब तक गोमती का पानी स्वच्छ नहीं हो जाता तब तक इसके सौन्दर्यीकरण का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि गोमती नदी के प्रदूषण का यह स्तर है कि गोमती रिवर फ्रण्ट पर खड़ा नहीं हुआ जा सकता। ऐसे प्रदूषित जल में फौव्वारों को लगाने से कोई फायदा नहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोमती नदी जौनपुर जनपद में गंगा से मिल जाती है, इसलिए इस प्रोजेक्ट को ‘नमामि गंगे’ प्रोजेक्ट से जोड़ा जाए। उन्होंने गोमती नदी के तहत प्रस्तावित विभिन्न ट्रीटमेंट प्लाण्ट इत्यादि की स्थापना के लिए ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत केन्द्र सरकार से सहायता प्राप्त करने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि गोमती नदी के जल में अत्यधिक प्रदूषण के कारण जलचरों का जीवन संकट में पड़ गया है। इसलिए गोमती के जल को शीघ्रातिशीघ्र प्रदूषण रहित बनाया जाना आवश्यक है।
बैठक में उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा, नगर विकास मंत्री श्री सुरेश खन्ना, पर्यटन मंत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी, सिंचाई मंत्री श्री धर्मपाल सिंह, प्राविधिक/चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री आशुतोष टण्टन, वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री दारा सिंह चैहान सहित मंत्रिमण्डल के कई अन्य सदस्य उपस्थित थे।