लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक जी ने यहां संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के 22वें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में डिग्री पाने वाले विद्यार्थी अपना नया जीवन प्रारम्भ करने से पहले मेहनत करते हुए ईमानदारी से अपने दायित्वों के निर्वाह का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें इस मकाम तक पहुंचाने में उनके माता-पिता ने बहुत संघर्ष किया है। इसलिए वे आजीवन उनका ध्यान रखें और उनका सम्मान करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अपने गुरुजनों का भी आदर करना चाहिए, क्योंकि उन्हें इस विधा में पारंगत करने के लिए उन्होंने सिखाने का काम किया है।
राज्यपाल जी ने इस अवसर पर विद्यार्थियों को प्रदान की जाने वाली डिग्री के सर्टिफिकेट पर उनके फोटो भी अंकित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी पाठ्यक्रम को पूरा कर उसमें डिग्री हासिल करना काफी मेहनत और लगन का काम है। इसलिए सर्टिफिकेट पर फोटो अवश्य अंकित किया जाए, ताकि विद्यार्थियों को इस क्षण की हमेशा याद रहे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। शिक्षा सत्र को नियमित करने की दिशा में भी काम चल रहा है। पूरे प्रदेश में दीक्षान्त समारोह अब समय पर हो रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को डिग्री हासिल करने के बाद प्रदेश, देश और गरीबों की सेवा की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थीगण भविष्य में ऐसे कार्य करें, जिससे उनके संस्थान का नाम रोशन हो।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय मनीषा में ऐसा माना जाता है कि दीक्षा लेने के बाद जब स्नातक बाहर निकलता है, तो वह अपने प्रोफेशनल दौर में प्रवेश करता है। इस कार्यक्रम में डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थी अब अपने प्रोफेशनल दौर में प्रवेश कर रहे हैं। विद्यार्थियों को ईमानदारी से सत्य की राह पर चलने की शपथ लेनी चाहिए। उन्होंने डाॅक्टरों को मरीज के प्रति अतिथि देवो भव की भावना रखते हुए उसका इलाज करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अतिथि वह है जो आपसे अपरिचित है और आपके पास मदद के लिए आया है। मरीज ऐसा ही अतिथि है। डाॅक्टरों को मरीजों के प्रति सेवा भाव रखते हुए सहानुभूति के साथ उनकी मदद करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज का यह दीक्षान्त समारोह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश के असंख्य लोगों को इस संस्थान से इलाज की सुविधा मिलती है। इस कार्यक्रम में डिग्री पाने वाले विद्यार्थियों के कई सपने होंगे, जिन्हें वे पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में काम करेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह देते हुए कहा कि वे स्वयं को पैसा कमाने की मशीन न बनने दें, बल्कि समाज की सेवा करें। इससे सम्मान और पैसा दोनों मिलेंगे। जब किसी को समाज में मान्यता मिल जाती है, तो उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं होता है। उन्होंने विद्यार्थियों को सिर्फ अपने क्षेत्र तक सीमित न रहने की सलाह भी दी।
योगी जी ने डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम की मिसाल देते हुए कहा कि जब उनसे पूछा गया कि मिसाइल बनाने में उनकी रुचि कैसे उत्पन्न हुई, तो उन्होंने जवाब दिया कि महाभारत पढ़ने के दौरान उन्हें विभिन्न प्रक्षेप्यास्त्रों के बारे में पता चला, जिससे उन्हें मिसाइल बनाने की प्रेरणा मिली। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने धर्म ग्रन्थों से भी ज्ञान प्राप्त करने की सलाह देते हुए कहा कि उनमें वर्णित बातें महज किंवदन्तियां ही नहीं हैं, बल्कि उनसे कुछ नया करने की प्रेरणा भी मिल सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एस0जी0पी0जी0आई0 की कल्पना और स्थापना शोधपरक कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए की गई थी। पी0जी0आई0 को हर हाल में शोध के विशिष्ट संस्थान के रूप में विकसित करना होगा। पी0जी0आई0 अपने गौरवशाली अतीत को लेकर अगर आगे बढ़ रहा है और अच्छा कार्य कर रहा है, तो इसके पीछे टीम स्पिरिट है। उन्होंने संस्थान के डाॅक्टरों को नए प्रयोग करने की सलाह दी। पी0जी0आई0 के डाॅक्टरों और अन्य स्टाफ को यह प्रयास करना चाहिए कि उत्तर प्रदेश के लोगों को इलाज के लिए राज्य के बाहर न जाना पड़े। उन्होंने कहा कि पी0जी0आई0 की मदद राज्य सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। इसकी सहायता के लिए सरकार ने एस0बी0आई0 से 473 करोड़ रुपए का लोन लिया है। राज्य सरकार पी0जी0आई0 के विकास और शोध कार्यों में पूरी मदद करेगी और धन के अभाव में इसका कोई भी कार्य नहीं रुकेगा।
योगी जी ने समय-समय पर पी0जी0आई0 में सेमिनार आयोजित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल, मध्य क्षेत्र, बुन्देलखण्ड और पश्चिमी क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों में फैलने वाली बीमारियों पर अलग से शोध और अनुसंधान की आवश्यकता है। इनसे निपटने के लिए नए अन्वेषण किए जाने चाहिए। चिकित्सा पद्धति को वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार ढालना होगा और इसमें टेक्नोलाॅजी का इस्तेमाल करना होगा। उन्होंने पूर्वांचल में फैलने वाले इंसेफलाइटिस रोग का उदाहरण हुए कहा कि इस पर गहन शोध करने की आवश्यकता है। यदि इस पर पहले ही कार्य किया जाता, तो आज पूर्वांचल और उत्तर पश्चिम बिहार में इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता था।
मुख्यमंत्री जी ने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सलाह देते हुए कहा कि वे चिकित्सा को व्यापार न बनने दें। चिकित्सक बनने पर उन्हें जो शपथ दिलायी जाती है, उसको अगर ध्यान में रखेंगे तो बेहतर काम कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि बीमारी के मूल में जाकर उसका प्रभावी इलाज बहुत आवश्यक है। पी0जी0आई0 को उच्च कोटि के शोध संस्थान के रूप में काम करना होगा। भारत सरकार द्वारा चलायी जा रही मुफ्त डायलिसिस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है, ताकि मरीजों की मदद हो सके।
योगी जी ने कहा कि किसी बीमारी को महामारी बनने से रोकने के लिए शोध पर पूरा फोकस होना चाहिए। अनुसंधान और अन्वेषण दोनों पर गहन काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने डिग्री पाने वाले विद्यार्थियों से प्रदेश के लिए काम करने के लिए कहा। वे भली भांति अपने चिकित्सीय कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए मानवता की सेवा करें। उन्होंने पी0जी0आई0 के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस बात की सम्भावना तलाशी जाए कि एलोपैथी के साथ आयुर्वेद को जोड़कर क्या कोई नई पैथी विकसित की जा सकती है, जो सस्ती होने के साथ-साथ प्रभावी भी हो। यदि ऐसा हो सका तो इससे गरीबों की बहुत मदद हो सकेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पी0जी0आई0 अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पूरे उत्साह से काम करता रहेगा। सरकार इसमें हर सम्भव मदद करेगी और धन की कमी नहीं होने देगी।
कार्यक्रम को चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, अपर मुख्य सचिव/ए0पी0सी0 श्री आर0पी0 सिंह, एस0जी0पी0जी0आई0 के निदेशक डाॅ0 राकेश कपूर ने भी सम्बोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन संकायाध्यक्ष डाॅ0 राजन सक्सेना ने किया। इससे पूर्व, कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के उपरान्त राज्यपाल जी तथा मुख्यमंत्री जी ने समारोह का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने विद्यार्थियों को डिग्रियां वितरित कीं। उन्होंने उत्कृष्ट कार्य करने वाले पी0जी0आई0 के 03 फैकल्टी मेम्बरों को भी सम्मानित किया। पी0जी0आई0 के निदेशक द्वारा संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।