लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक जी ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के विचार एवं सिद्धान्त वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं। इससे सम्बन्धित साहित्य को अधिक से अधिक पढ़ने से विचारों को ताकत मिलती है।
राज्यपाल जी आज गोरखपुर में दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के पं0 दीन दयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण करने के पश्चात दीक्षा भवन में आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में प्रतिमा स्थापना के पश्चात शिक्षकों, छात्र-छात्राओं को विचार-विमर्श करने तथा उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को समझने का मौका मिलेगा।
राज्यपाल जी ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक विश्वविद्यालय में पंडित दीन दयाल उपाध्याय शोध पीठ की स्थापना की गयी है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर 15 खण्डों का विस्तृत वांगमय प्रकाशित किया गया है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे केवल इसे खरीदे नहीं, बल्कि पढ़ें भी ताकि उनके विचारों से अवगत हो सकें।
राज्यपाल जी ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि वे पंडित दीन दयाल जी से मिले, उनके विचारों को सुना और उनके बताए गए रास्तों पर चले। उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन की सफलता का श्रेय पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी को देते हुए बताया कि 11 वर्ष की आयु में उन्होंने पहली बार उनका भाषण मुम्बई में सुना।
श्री राम नाईक जी ने प्रसन्नता व्यक्त की कि एक वर्ष पूर्व मूर्ति का भूमि पूजन उन्होंने ही किया तथा आज लोकार्पण भी कर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि जब वे पहली बार विश्वविद्यालय में आए, तो यहां पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की मूर्ति न देखकर अटपटा लगा था। उन्होंने मूर्तिकार श्री उत्तम पाचारने तथा उनके पुत्र श्री सुबोध पाचारने कोे सम्मानित किया और बधाई दी।
इस अवसर पर राज्यपाल जी सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग लखनऊ द्वारा प्रकाशित ‘अन्त्योदय’ स्मारिका, प्रोफेसर प्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा लिखित ‘प्राचीन भारतीय चिन्तन धारा तथा मनु और कौटिल्य’ एवं प्रोफेसर हर्ष सिन्हा तथा प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह द्वारा लिखित ‘सैन्य मनोविज्ञान’ पुस्तकों का विमोचन किया। इससे पूर्व, मूर्ति का अनावरण करने के लिए विश्वविद्यालय पहुंचने पर एन0सी0सी0 कैडटों द्वारा उन्हें गार्ड आॅफ आनर दिया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी छात्र जीवन से अत्यन्त मेधावी थे। प्रत्येक कक्षा में प्रथम उत्तीर्ण हुए तथा उन्हें स्काॅलरशिप मिली। यद्यपि उनका छात्र जीवन अभावों में बीता फिर भी उन्होंने सरकारी नौकरी का मोह नहीं किया और अंतिम व्यक्ति की सेवा का व्रत लिया। उनका जीवन सभी छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा स्रोत का केन्द्र है।
योगी जी ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें बड़े दायित्व दिए गए, जिसका उन्होंने ईमानदारी से निर्वहन किया। उन्होंने अपने जीवन में श्रम, अनुशासन, मितव्ययिता, उद्यमिता एवं सहकारिता के पंचशील सिद्धान्त को अपनाया और पूरे जीवन उसका पालन किया।
मुख्यमंत्री जी ने लोगों से अपील की कि 25 सितम्बर को उनकी जयंती पर संकल्प लें कि किसी न किसी एक गरीब का उत्थान करेंगे, किसी छात्र की शिक्षा में सहयोग करेंगे, अन्त्योदय के सिद्धान्त को अपनाएंगे और उनके एकात्म मानववाद के दर्शन को आगे बढ़ाएंगे।
पांचजन्य के समूह सम्पादक श्री जगदीश उपासने ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मशती वर्ष में एकात्म मानववाद के 50 साल पूरे हुए हैं। उनका एकात्मक मानववाद का सिद्धान्त व्यक्ति, परिवार, समाज, देश, विश्व पर्यावरण को जोड़ता है। वे एक आदर्श राजनैतिक व्यक्ति, आदर्श पत्रकार व अर्थवेत्ता थे। उनकी नीतियों के अनुसार योजनाएं बनाकर सरकारें गरीब व्यक्ति का उत्थान कर सकती है।
दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वी0के0 सिंह ने सभी का स्वागत किया। ललित कला एवं संगीत विभाग की छात्राओं ने राष्ट्रगीत वन्देमातरम, कुल गीत एवं राष्ट्रगान प्रस्तुत किए। कुलपति ने राज्यपाल जी तथा मुख्यमंत्री जी को पंडित दीन दयाल उपाध्याय पर लिखित 15 खण्डों के वांगमय साहित्य भेंट किया। कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रोफेसर हर्ष सिन्हा ने समारोह का संचालन किया।
इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण, प्रमुख सचिव सूचना श्री अवनीश कुमार अवस्थी सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।