नई दिल्ली: केन्द्रीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने “इंडियन रेलवे- द वैविंग ऑफ ए नेशनल टैपेस्ट्री” नाम पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक को संयुक्त रूप से श्री बिबेक देबरॉय (सदस्य, नीति आयोग), श्री संजय चड्ढा (संयुक्त सचिव, वाणिज्य मंत्रालय) और सुश्री विद्याकृष्णमूर्ति ने लिखा है।
इसके अतिरिक्त, रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में आने वाले आगंतुकों के लिए हाई-स्पीड निःशुल्क वाईफाई की सुविधा का शुभारंभ भी किया। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए.के. मित्तल, पुस्तक के तीनों लेखक, एयर इंडिया के मुख्य प्रबंध निदेशक श्री अश्वनी लोहानी और रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्यों सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
इस अवसर पर रेल मंत्री ने कहा कि श्री बिबेक देबरॉय एवं उनके साथियों द्वारा लिखी पुस्तक का विमोचन करना मेरे लिए वास्तव में एक सम्मान है। श्री बिबेक देबरॉय द्वारा लिखित यह पुस्तक भारतीय रेलवे के लिए बड़ा योगदान है। हम इस पुस्तक के जरिए इतिहास को जोड़कर भारतीय रेलवे के बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। किसी भी संगठन की रुचि को अनदेखा नहीं किया जा सकता। हम संगठन को फिर से पुनर्जीवित करने और उसमें ऊर्जा का संचार करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। हम रेलवे को एक दक्ष, अत्याधुनिक एवं तकनीक आधारित संगठन बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। ऐसे में हमें, एक ही समय पर कई कदम एकसाथ उठाने की ज़रूरत है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, मानव संसाधन, पर्यावरण, वित्त, तकनीक उन्नयन आदि तमाम मुद्दों पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। इतिहास से सीखना और भविष्य का निर्माण करना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। यह पुस्तक महत्वपूर्ण दिशा में भारतीय रेलवे की तमाम यादों को जोड़ने का काम करेगी। राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में उपलब्ध कराई गई तीव्र गति आधारित निःशुल्क वाईफाई सुविधा की चर्चा करते हुए श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि यह सुविधा इस रेल संग्रहालय में आगंतुकों की संख्या को बढ़ाने में मदद करेगी।
इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य श्री बिबेक देबरॉय ने कहा कि इस पुस्तक में वर्ष 1830 से 1947 तक की तमाम बाते हैं। यह पुस्तक कहानी शैली में लिखी गई है। यह पुस्तक भारतीय रेलवे के इतिहास की छोटी-छोटी घटनाओं का विस्तार से वर्णन करती है। इस पुस्तक के आवरण पृष्ठ पर भाप वाला लोको इंजन है, जिसे राजपुताना मालवा क्षेत्र में मीटर गेज के लिए इस्तेमाल किया गया था। पाठक इस पुस्तक को पढ़ने से खुशी की अनुभूति कर सकते हैं। इस पुस्तक में भारतीय रेलवे के कुछ छिपे हुए पहलुओं को भी क्रमानुसार बताया गया है। ये वे पहलु हैं जिनके बारे में अब तक आम जनता को जानकारी नहीं थी।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए.के. मित्तल ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय रेलवे के इतिहास पर आधारित यह पुस्तक भारतीय रेलवे के बारे में अब तक अज्ञात रहे तथ्यों पर विस्तार से प्रकाश डालने में मदद करेगी।
पृष्ठभूमि
किताब के बारे मेः
इस पुस्तक की मुख्य विषयवस्तु भारत में रेलवे का ऐतिहासिक विकास है। रेलवे के ऐतिहासिक विकास को विभिन्न अध्यायों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, जिसमें विकास के विभिन्न कालों को क्रमानुसार बताया गया है। 1853 से पूर्व में शुरू हुई पहली वाणिज्यिक यात्री रेल का जिक्र भी इस पुस्तक में है और यही इस पुस्तक की नींव भी है।
कहानी शैली में लिखी गई इस पुस्तक में सबसे पहले 1830 में भारतीय उप-महाद्वीप में रेलवे के निर्माण को लेकर बनाई गई शुरुआती योजना के बारे में बताया गया है। इसके बाद वर्ष 1940 एवं उसके आसपास इस विषय पर व्यापक स्तर पर हुई विभिन्न चर्चाओं के साथ-साथ 1850 एवं 1860 में भारत में रेलवे के आगमन तक की पूरी कहानी को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक के अंतिम अध्याय में 20वीं सदी के शुभारंभ से लेकर स्वतंत्रता मिलने तक के कालक्रम को शामिल किया गया है। इस पुस्तक में भारतीय रेलवे इतिहास को बेहतर तरीके से चित्रित किया गया है। यह पुस्तक वास्तव में रेलवे के इतिहास पर लिखी गई अत्यंत प्रासंगिक पुस्तक है।
राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में निःशुल्क वाईफाई सेवा के बारे में
राष्ट्रीय रेल संग्रहालय 30 मार्च 2017 को पूरी तरह से तीव्र गति आधारित निःशुल्क वाईफाई क्षेत्र में तब्दील हो गया। केन्द्रीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने निःशुल्क वाईफाई की सुविधा आज राष्ट्रीय रेल संग्रहालय मे आने वाले आगंतुकों को समर्पित की। यह सुविधा रेल संग्रहालय में आने वाले हज़ारों आगंतुकों को तीव्र गति आधारित वाईफाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रेलटेल द्वारा गूगल के सहयोग से शुरू की गई है।
रेलटेल, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पांच अन्य पर्यटक स्थलों (लाल किला, हुमायुं का मकबरा, सफदरजंग मकबरा, कुतुब मीनार और राजपथ लॉन) पर निशुल्क वाईफाई की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य कर रहा है। इन सभी पर्यटक स्थलों की देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा की जाती है। रेलटेल निगम भारतीय रेलवे के अंतर्गत कार्यरत स्वायत्त संस्था है, जिसे मिनी रत्न संस्थान का दर्जा प्राप्त है।