लखनऊ: समापन सत्र से पूर्व तकनीकी सत्र चला जिसमे मुख्य वक्ता के रूप में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के शरीर विज्ञान विभाग के प्रोफेसर नरसिंह वर्मा ने “युवाओं में स्वास्थ समस्या” विषय पर चर्चा की । उन्होंने बताया कि आज हमारा युवा कई सारी स्वास्थ्य समस्याओं से घिरा हुआ है। बढ़ती उम्र के साथ बीमारियां भी बढ़ती जाती है। इसके साथ ही पर्यावरण में घुलता प्रदूषण कई नई बीमारियां पैदा कर रहा है। इतनी बड़ी जनसँख्या के स्वास्थ्य का ख्याल रखना एक बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही हमारा युवा गुटखा, पान मसाला, मादक पदार्थों और कई तरह के ड्रग्स की गिरफ्त में आ चुका है । हम दुनिया की हर बुरी चीज़ अपनाते जा रहे हैं और अपनी अच्छी चीज़े छोड़ते जा रहे हैं। लगातार बदलती आदतों और परिवेश ने हमारे युवाओं को कई अन्य समस्याओं में भी जकड़ दिया है जिसमे मोटापा एक बड़ी समस्या है। हमारी खाने पीने की आदते बिगड़ चुकी है, पहले हम ज़मीन पर बैठ कर खाते थे, खाने को चबाकर खाते थे, खाने में वो चीज़े होती थी जो भरपूर पोषण प्रदान करती थी। मगर अब पाश्चात्य संस्कृति ने हमे पिज़्ज़ा और बर्गर दे दिया जिससे पोषण कम और बीमारिया अधिक मिलती हैं। इसके साथ ही व्यग्रता, विकार, गुस्सा, ड्रग्स, कम नींद और व्यवहारात्मक समस्याओं से युवा गलत दिशा की ओर बढ़ता जा रहा है।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि भारत की कई जड़ीबूटियां और मसाले जिसमे औषधीय गुण पाए जाते हैं, उन्हें विदेशी अपने नाम से पेटेंट करा रहे हैं और हम उनकी दी गई दवाईयां खा रहे। उन्होंने बताया कि लहसुन को सुबह शाम चबा कर खाने से ब्लड प्रेशर की कितनी भी बड़ी समस्या हो ख़त्म हो जाती है और वह किसी भी असरदार दवा से कहीं ज्यादा लाभदायक है। मगर हमे इन बातों की जानकारी नही है और हम लगातार अंग्रेजी दवाइयों का सेवन करते जा रहें।
स्कूल ऑफ़ एजुकेशन के डीन प्रो आर पी सिंह ने बताया कि आज 28 फ़रवरी हमारे लिए एक गर्व का दिन है जब हमारे देश के महान वैज्ञानिक सी वी रमन को उनकी खोज रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के लिए नोबल पुरस्कार मिला और इस दिन को विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा इस संगोष्ठी का विषय आज के समय में प्रासंगिक है क्योंकि आज हम तकनीकी से घिरे हुए है । हम सिर्फ इन नई तकनीकों से मिल रही सहूलियतों पर बात करते आए हैं, हमने अब तक सामाजिक परिपेक्ष्य में इन अविष्कारों पर बात नही की। हमने तकनीकी का इस्तेमाल कर कई विनाशकारी हथियार बनाए, मशीने बनाई, बाज़ार और बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर भी दिया, मगर इन अविष्कारों के प्रभाव पर हम बात नही करते । विज्ञान की सामाजिक भूमिका क्या हो सकती है इसपर अब चर्चा आवश्यक है। वैज्ञानिक अविष्कार और विकास की वजह से प्रकृति का हनन हुआ है । हमने अपने संसाधनो का गलत तरीके से इस्तेमाल किया है जिसकी वजह से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है, कभी सूखा तो कभी बाढ़ आ जाती। यह सभी समस्याएँ, बेधड़क हो रही तकनीकी के इस्तेमाल से बढ़ी है, जिसने हमे न सिर्फ प्रकृति से दूर किया बल्कि उसके हनन का भी काम किया। इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को शोध विधि की भी जानकारी दी ।
विवि के वाईस चांसलर प्रो आर सी सोबती ने बताया कि यह दिन महान वैज्ञानिक सी वी रमन की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने अपने अविष्कार से दुनिया में भारत का नाम ऊँचा किया और नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे भी विद्यार्थी आगे जा कर अपनी प्रतिभा से इस विवि को गौरवान्वित होने का अवसर देंगे। इस विवि में प्रतिभा की कमी नही है, संगोष्ठी में प्रस्तुत शोध पत्र और मॉडल देखकर लगा की हर विद्यार्थी में अलग प्रतिभा है और सभी पुरस्कार के पात्र है।
संगोष्ठी के बारे में बताते हुए संगोष्ठी की आयोजन सचिव डॉ सुमन मिश्रा ने बताया कि सेमिनार में 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया। 53 प्रतिभागियों ने पोस्टर प्रतियोगिता में तथा 30 प्रतिभागियों ने मॉडल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। 20 यंग साइंटिस्ट्स ने प्रतियोगिता में अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। आज समापन सत्र में विभन्न प्रतियोगिताओ में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार दिया गया जिसमे पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में दीप्तांकर राय को प्रथम, आकाश शुक्ल को द्वितीय, तनिश फातिमा को तृतीय पुरस्कार मिला। मॉडल प्रतियोगिता के लिए मानसी मंडल को प्रथम, नितिन साहू को द्वितीय और प्रतीक्षा गौतम को तृतीय पुरस्कार मिला। यंग साइंटिस्ट प्रतियोगिता में पूनम परासर को प्रथम, विनीत कुमार को द्वितीय और अविनाश कुमार सिंह को तृतीय पुरस्कार मिला। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर शिल्पी वर्मा द्वारा किया गया। संगोष्ठी के समन्वयक प्रोफेसर कमल जायसवाल ने अतिथियों को स्मृतिचिह्न देकर आभार प्रकट किया।