नई दिल्ली: राष्ट्रपति भवन ने नोबेल फाउन्डेशन के सहयोग से भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय नोबेल पुरस्कार विजेताओं की संगोष्ठी की मेजबानी की। नोबेल फाउन्डेशन और भारतीय वैज्ञानिक एवं नीति समुदाय के बीच एक नियमित और ऐतिहासिक संबंध नोबल प्राइज सीरिज का एक हिस्सा है।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 70 वर्षों में जब से भारत स्वतंत्र हुआ, विज्ञान में हमारे विश्वास ने हमारे समाज और विकास की प्रक्रिया को आकार दिया है। कृषि से लेकर परमाणु ऊर्जा का दोहन, टीका अन्वेषण से लेकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की उन्नति तक विज्ञान ने हमारे राष्ट्र निर्माण में हमारी सहायता की है।
महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान में इस निवेश के साथ तालमेल बनाते हुए हमने उच्चतर शिक्षा के हमारे संस्थानों के माध्यम से लोगों में भी निवेश किया है। हमने हाल में कई केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों और भारतीय विज्ञानिक शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों की स्थापना की। ये निवेश बड़ी संख्या में बदलते भारत के लिए वैज्ञानिकों, क्लिनिक से जुड़े शोध कर्ताओं और तकनीकविदों का सृजन करेंगे।
इस अवसर पर संगोष्ठी को जिन नोबल पुरस्कार विजेताओं ने संबोधित किया, उनमें क्रिश्चियन नस्लिन-वोलार्ड, सर रिचर्ड जॉन रोबर्ट्स, सर्ज हेरोश एवं डॉ. थामस रोबर्ट लिंडहाल शामिल हैं।
इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि रचनात्मक स्कूली शिक्षा प्रणाली अनुसंधान एवं नवोन्मेषण संस्कृति का मूल आधार है