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राष्‍ट्रपति स्‍वाजीलैंड की संसद को संबोधित करने वाले पहले राष्‍ट्राध्‍यक्ष

देश-विदेश

नई दिल्लीः राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने स्‍वाजीलैंड की संसद को संबोधित किया। देश की संसद को संबोधित करने वाले वे पहले राष्‍ट्राध्‍यक्ष हैं।

इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि हम डिजिटल और हाईपर कनेक्‍टेड दुनिया में रह रहे हैं, जो सांसदों के समक्ष अपरिमित चुनौतियां खड़ी करती है। नौकरियों और अर्थव्‍यवस्‍था से जुड़े स्‍थानीय और रोजमर्रा के मुद्दे अन्‍य स्‍थानों पर विकास से प्रभावित होते हैं, चाहे वे विश्‍व स्‍तर पर खाद्य मूल्‍य, जलवायु परिवर्तन अथवा विभिन्‍न प्रकार के सुरक्षा संबंधी खतरे क्‍यों न हों। वैश्विकरण और प्रौद्योगिकी के प्रभाव और लोगों की अपेक्षाओं ने सार्वजनिक नीति में नये आयाम जोड़ दिए हैं। ऐसे समय पर व्‍यवस्‍था में अधिक जागरूकता और सुझबूझ की आवश्‍यकता है, लेकिन अवसर चुनौतियों के साथ आते हैं। आज हमें बहस और चर्चाओं में लोगों की अधिक भागीदारी देखने को मिलती है। प्रमुख मुद्दों पर सांसदों को तत्‍काल जानकारी मिल जाती है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि सात दशकों में भारत ने जबर्दस्‍त संस्‍थागत संसदीय लोकतंत्र विकसित किया है। हमें स्‍वाजीलैंड के साथ इस अनुभव को बांटने में खुशी हो रही है। राष्‍ट्रपति ने स्‍वाजीलैंड में संसद की नई इमारत के निर्माण के लिए भारत की ओर से रियायती दरों पर आर्थिक प्रबंध की पेशकश की।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत का विकास मितव्‍ययी और कम खर्चीले नवोन्‍मेष पर आधारित है। हमारी प्रौद्योगिकी और संस्‍थागत मॉडल स्‍वाजीलैंड में उत्‍पादन के खर्च को कम करने में मदद कर सकता है। हम स्‍वाजीलैंड और समूचे अफ्रीकी महाद्वीप के साथ अपनी विशेषज्ञता और अनुभव साझा करने के इच्‍छुक हैं। इसके लिए हम स्‍थानीय क्षमता निर्माण, मिलकर चलने और अपने अफ्रीकी भाईयों-बहनों के साथ साझेदारी कायम करना चाहते हैं।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि नई प्रौद्योगिकियों के आधुनिकीकरण के बावजूद कृषि अभी भी दोनों देशों की अधिकांश आबादी के लिए मुख्‍य सहारा है। उन्‍हें खुशी हुई है कि भारत स्‍वाजीलैंड के किसानों के साथ अपने कुछ अनुभवों को बांट चुका है। इससे उन्‍हें मक्‍के की उत्‍पादकता कई गुना बढ़ाने में मदद मिली है। उन्‍होंने घोषणा की भारत स्‍वाजीलैंड में कृषि संबंधी उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र स्‍थापित करने की प्रक्रिया को सरल बनाएगा। भारत लुबूयेन क्षेत्र में सिंचाई प्रणाली विकसित करेगा।

राष्‍ट्रपति के अनुसार दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन सबसे महत्‍वपूर्ण चुनौतियों में से एक है। उन्‍होंने कहा कि स्‍वाजीलैंड ने अल नीनो जैसी आपदा का मुकाबला किया, जिसके कारण दो वर्ष सूखा पड़ा। स्‍वाजीलैंड राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी की सहायता के लिए भारत ने एक मिलियन अमरीकी डॉलर तथा खाद्यान्‍न की पेशकश की।

एक अन्‍य कार्यक्रम में राष्‍ट्रपति ने आज सुबह रॉयल सांइस एंड टेक्‍नोलॉजी पार्क का उद्घाटन किया। यह पार्क भारत की सहायता से विकसित किया गया है। उन्‍हें आईटी शिक्षा और क्षमता निर्माण तथा आईटी सक्षम सेवाओं के लिए एक स्‍थान के रूप में टेक्‍नोलॉजी पार्क के बारे में एक प्रस्‍तुति दी गई।

राष्‍ट्रपति कल (9 अप्रैल, 2018) स्‍वाजीलैंड पहुंचे। किंग मिस्‍वाती III अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डे पर स्‍वाजीलैंड के प्रधानमंत्री और अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्तियों ने उनकी अगवानी की। वे सीधे स्‍वाजीलैंड के नरेश से मिलने पहुंचे, जहां दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर सीधी बातचीत की। नरेश ने राष्‍ट्रपति को ऑर्डर ऑफ द लॉयन प्रदान किया। यह स्‍वाजीलैंड का सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान है, जो किसी गैर-नागरिक को दिया जाता है।

समारोह के बाद राष्‍ट्रपति ने स्‍वाजीलैंड के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया और घोषणा की यहां जल्‍द ही एक भारतीय दूतावास खोला जाएगा। राष्‍ट्रपति और नरेश की उपस्थिति में भारत और स्‍वाजीलैंड ने स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सहयोग तथा सरकारी और राजनयिक पासपोर्ट पर यात्रा करने वालों के लिए वीज़ा में छूट संबंधी दो समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए। बाद में शाम को नरेश ने उनके सम्‍मान में रात्रिभोज दिया।

स्‍वाजीलैंड की यात्रा की समप्ति के बाद राष्‍ट्रपति आज (10 अप्रैल, 2018) जाम्बिया रवाना होंगे। तीन अफ्रीकी देशों-इक्‍वेटोरियल गिनी, स्‍वाजीलैंड और जाम्बिया की उनकी यात्रा का यह अंतिम पड़ाव होगा। शाम को वे लुसाका में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे।

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