नई दिल्ली: स्विस परिसंघ की अध्यक्ष श्रीमती डोरिस लिउथार्ड की भारत यात्रा के दौरान आज रेल मंत्रालय और स्विस परिसंघ के मध्य दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।
पहला समझौता ज्ञापन रेल मंत्रालय और स्विस परिसंघ के पर्यावरण, परिवहन और संचार के संघीय विभाग के मध्य रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के लिए हुआ। इस समझौते ज्ञापन पर प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और स्विस परिसंघ की अध्यक्ष श्रीमती डोरिस लिउथार्ड की उपस्थिति में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री अश्वनि लोहानी और भारत में स्विटजरलैंड के राजदूत डॉ. एंड्रियास बॉम ने हस्ताक्षर किए।
यह समझौता ज्ञापन रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु और स्विटजरलैंड के राजदूत के बीच रेल क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के बारे में जुलाई 2016 में हुई बैठक की अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में हुआ है।
इस समझौता ज्ञापन का लक्ष्य निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग करना है:
क. ट्रैक्शन रोलिंग स्टॉक
ख. ईएमयू एवं ट्रेन सेट
ग. ट्रैक्शन प्रणोदन उपकरण
घ. माल और यात्री कारें
ङ. टिलटिंग ट्रेन
च. रेलवे विद्युतीकरण उपकरण
छ. ट्रेन शेड्यूलिंग और ऑपरेशन सुधार
ज. रेलवे स्टेशन आधुनिकीकरण
झ. बहुआयामी परिवहन
ञ. सुरंग बनाने की तकनीक
दूसरा समझौता ज्ञापन कोंकण रेलवे निगम लिमिटेड (केआरसीएल) और स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ईटीएच) ज्यूरिख के बीच हुआ है। इस समझौता ज्ञापन पर केआरसीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री संजय गुप्ता, और रैक्टर ईटीएच ज्यूरिख प्रो. सारा स्प्रिंगमैन ने हस्ताक्षर किए। इस समझौता ज्ञापन से कोंकण रेलवे को विशेष रूप से सुरंग बनाने के क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त करने और उसके विस्तार के लिए गोआ में जॉर्ज फर्नांडीज इंस्टीट्यूट ऑफ टनल टेक्नोलॉजी (जीएफआईटीटी) की स्थापना करने में मदद मिलेगी। जीएफआईटीटी का उद्देश्य केवल केआरसीएल की सुरंग बनाने की परियोजनाओं के लिए अपनी मैन पावर को ही प्रशिक्षित करना नहीं है, बल्कि अन्य सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र और यहां तक कि विदेशी संगठनों के लाभ के लिए योग्य और प्रशिक्षित कर्मियों को तैयार करना भी है। इससे ज्ञान के स्तर और प्रशिक्षित कर्मियों के बीच में मौजूद व्यापक अंतर को पूरा करने में मदद मिलेगी और भारत में बुनियादी ढांचे के प्रमुख हिस्से के विकास के अपेक्षित कर्मी उपलब्ध होंगे।
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