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लखनऊ में ‘मेनस्ट्रीमिंग आॅफ टेली लाॅ सर्विस थ्रू काॅमन सर्विस सेण्टर्स’ कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ करते हुए: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी

लखनऊ में ‘मेनस्ट्रीमिंग आॅफ टेली लाॅ सर्विस थ्रू काॅमन सर्विस सेण्टर्स’ कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ करते हुए: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राज्य सरकार गरीबों, वंचितों, महिलाओं को त्वरित, सस्ता एवं सुलभ न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह तभी सम्भव है जब वर्तमान न्यायिक व्यवस्था में नये प्रयोगों को बढ़ावा देते हुए लोगों को शीघ्र न्याय उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि लोक अदालत की वर्तमान व्यवस्था इस दिशा में कारगर साबित हो रही है।
मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज यहां इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘मेनस्ट्रीमिंग आॅफ टेली लाॅ सर्विस थ्रू काॅमन सर्विस सेण्टर्स’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गरीबों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के सपने को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण तथा उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सम्मिलित प्रयासों से ‘टेली लाॅ सर्विस काॅमन सर्विस सेण्टर्स’ की स्थापना गरीबों, वंचितों, महिलाओं और जरूरतमन्दों को सस्ता, सुलभ और त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न्याय के क्षेत्र में एक नई क्रान्ति का शुभारम्भ है। उन्होंने जनता को सस्ता, सुलभ व त्वरित न्याय दिलाने के लिए लागू की जा रही इस सर्विस का स्वागत करते हुए कहा कि इसके माध्यम से न्यायालय के वादों का त्वरित निस्तारण सम्भव हो सकेगा और लोगों को शीघ्र न्याय मिल सकेगा।
वर्तमान न्याय प्रणाली का जिक्र करते हुए योगी जी ने कहा कि इस पर मुख्य रूप से ब्रिटेन का प्रभाव दिखता है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत की न्याय व्यवस्था काफी उन्नत, समृद्ध और तार्किक रही है, क्योंकि यह सामाजिक मूल्यों और अवधारणाओं पर टिकी थी। धर्म का दायरा काफी व्यापक एवं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्याप्त था। उसी क्रम में न्याय व्यवस्था भी धर्म में समाहित थी। वैदिक साहित्य, धर्म सूत्रों और स्मृति ग्रन्थों में न्याय प्रक्रिया तथा दण्ड निरूपण का वर्णन विस्तार से मिलता है। प्राचीन न्याय व्यवस्था में व्यवहार तथा अपराध को परिभाषित करने, उनकी सीमाएं निश्चित करने तथा उनके उल्लंघन से सम्बन्धित समाधान का भी उल्लेख मिलता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राचीन व्यवस्था में धर्म की मान्यता संकुचित न होकर काफी व्यापक है। धर्म की मान्यता दैव निर्मित एक आचार संहिता के रूप में मान्य थी। राजा, जिसे धर्म रक्षक के तौर पर मान्यता मिली हुई थी वह स्वयं धर्म के आधीन था। धर्म का निर्देशन वेदों ने किया, कालान्तर मंे धर्मशास्त्र ग्रन्थों की रचना हुई। जिसमें धर्म का निर्देशन करने के साथ ही, धर्म विरुद्ध कार्य करने वाले के लिए अनेक प्रायश्चितों के साथ ही विभिन्न प्रकार के दण्डों का निर्धारण भी किया गया। इस प्रकार, पाप और प्रायश्चित तथा अपराध एवं दण्ड की अवधारणाएं हमारे देश में विकसित हुईं।
योगी जी ने कहा कि प्राचीन भारत की राजतंत्रात्मक एवं गणतंत्रात्मक दोनों शासन व्यवस्थाओं में विभिन्न प्रकार की न्याय प्रणालियों का विकास करके उनका अनुपालन कराया जाता रहा है। यहां तक कि ब्रिटिश भारतीय न्यायालयों में भी अपने समय में भारतीय न्याय व्यवस्था की मौलिकता को स्वीकार किया गया है। वर्तमान में हमारे न्यायालय आवश्यकतानुसार कतिपय परिवर्तनों एवं परिवर्धनों के साथ इसे मान्यता प्रदान करते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में राज्य के विभिन्न न्यायालयों में सिविल एवं दाण्डिक वाद बड़ी संख्या में लम्बित हैं, जिनके चलते हमें इनके निस्तारण के लिए न्यायेतर व्यवस्था की आवश्यकता है। इसी क्रम में, केन्द्र सरकार के सहयोग से उत्तर प्रदेश शासन द्वारा स्थायी लोक अदालतों का गठन किया गया है, जिनके माध्यम से बड़ी संख्या में आपसी सहमति से वादों के निस्तारण में सफलता मिली है। उन्होंने पंच परमेश्वर की अवधारणा को पुनर्जीवित करने की वकालत की और कहा कि यदि हम इसे फिर से लागू कर सकें तो बहुत सारे वादों का निस्तारण निचले स्तर पर ही सुनिश्चित हो सकेगा।
योगी जी ने कहा कि गरीबों को सस्ता एवं त्वरित न्याय सुलभ कराने के लिए हमें अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा अवकाश के दिनों में कार्य करने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे गरीब जनता का भला होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में न्यायिक क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है और इस दिशा में हर सम्भव सहायता करेगी। उन्होंने कहा कि न्यायालयों पर काम का अतिरिक्त बोझ है, जिसे प्रशासन के सहयोग से कम किया जा सकता है। राज्य सरकार ने तहसील/थाना दिवस को समाधान दिवस के रूप में प्रभावी बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिये हैं, ताकि अधिकतर वादों/समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित हो और न्यायालयों में अनावश्यक वाद दायर न हों।
मुख्यमंत्री जी ने ‘टेली लाॅ सर्विस’ के तहत स्थापित किये जा रहे ‘काॅमन सर्विस सेण्टर्स’ के विषय में आशा व्यक्त की कि इनके माध्यम से गरीबों को विभिन्न मामलों पर न्यायिक परामर्श मिलने के साथ-साथ सस्ता न्याय भी शीघ्र उपलब्ध हो सकेगा। प्रारम्भ में इस योजना के तहत 500 केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। बाद में इनकी संख्या बढ़ायी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में पहले से ही 62,000 काॅमन सेण्टर्स मौजूद हैं। केन्द्र सरकार की इस योजना के तहत इन केन्द्रों का उपयोग भी सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि गरीबों को सस्ता व सुलभ न्याय सुनिश्चित हो सके। राज्य सरकार इन केन्द्रों के प्रभावी संचालन के सम्बन्ध में पूरा सहयोग करेगी। उल्लेखनीय है कि ‘टेली लाॅ सर्विस’ के तहत स्थापित किये जा रहे इन ‘काॅमन सर्विस सेण्टर्स’ में पैरा लीगल वाॅलेण्टियर्स की सहायता से लोगों को टेलीफोन पर न्यायिक सलाह/सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी। योगी जी ने कहा कि लोग न्यायालय न्याय की आशा में जाते हैं। इसलिए यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि उन्हें न्याय मिलने में कोई दिक्कत न हो और उनका काम शीघ्रता से हो।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री विधि एवं न्याय और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि डिजिटल इण्डिया का न्यायिक श्रीगणेश आज इस कार्यक्रम के माध्यम से हो रहा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इण्डिया एक ‘ट्रांसफाॅर्मेशन प्रोग्राम’ है, जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने रखी थी। भारत तकनीक के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहा है। डिजिटल इण्डिया गरीबों की सेवा के लिए है। इसके तहत, अब तक 28 करोड़ खाते खोले गये हैं और डी०बी०टी० के तहत सब्सिडी का ट्रांसफर सीधे लाभार्थियों के खातों में किया जा रहा है। आज गरीब इम्पावर्ड महसूस कर रहा है, क्योंकि उसके खाते में उसकी पूरी सब्सिडी पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों के अन्तर्गत आई०टी० के उपयोग से जीवन को आसान बनाने का काम किया जा रहा है। ई-हाॅस्पिटल, ई-पेंशन, डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (जीवन प्रमाणम) जैसी सेवाओं ने लोगों का जीवन आसान बना दिया है। उन्होंने कहा कि टेली लीगल सर्विस के तहत स्थापित किये जा रहे काॅमन सर्विस सेण्टर्स की संख्या को भविष्य में बढ़ाकर ढाई लाख किया जाएगा। उन्होंने इन सेण्टरों पर काम करने वाले पैरा लीगल वाॅलण्टियर्स को डिजिटल इण्डिया का जमीनी सिपाही बताया। उन्होंने जरूरतमंदों को गुणवत्तापरक न्यायिक सहायता मुफ्त उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य में न्याय मित्र योजना भी लागू की जाएगी। मोबाइल तथा आई०टी० के बढ़ते उपयोग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पूरे देश में मोबाइल, इण्टरनेट सेवाओं के यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अकेले नोएडा में ही 29 मोबाइल कम्पनियां स्थापित हो चुकी हैं।
कार्यक्रम को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एवं राष्ट्रीय विधिक प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री डी०बी० भोंसले एवं उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण टण्डन ने भी सम्बोधित किया।
कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के विधि एवं न्याय मंत्री श्री बृजेश पाठक, बड़ी संख्या में न्यायमूर्तिगण, अधिवक्ता, पैरा लीगल वाॅलण्टियर्स तथा मीडियाकर्मी मौजूद थे।

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