नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने देशभर में लू के आसन्न दुष्प्रभाव के शमन, प्रबंधन और निपटने की तैयारियों के लिए लगातार किये जा रहे अपने प्रयासों के तहत आज विजयवाड़ा में आंध्र प्रदेश सरकार के सहयोग से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य एनडीएमए द्वारा तैयार की गई कार्य योजना के दिशा-निर्देशों के अनुरूप राज्यों को लू के प्रभाव से निपटने के लिए अपने स्तर पर कार्य योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए तैयार करना है। एनडीएमए ने यह कार्य योजना 2016 में तैयार की थी, जिसे 2017 में संशोधित कर नया रूप दिया गया। इसे उन सभी राज्यों को उपलब्ध कराया गया है, जहां लू का प्रकोप रहता है। यह सभी हितधारकों को भी उपलब्ध कराई गई है।
एनडीएमए के सदस्य श्री आर.के.जैन ने इस अवसर पर कहा कि पूर्व नियोजन और तैयारी तथा सभी हितधारकों के सक्रिय भागीदारी से लू से होने वाली मौतों और बीमारियों में कमी लाई जा सकती है, जैसा कि 2016 और 2017 में देखा गया। उन्होंने कहा, ‘हमारी तैयारी ऐसी होनी चाहिए, जिससे इस वर्ष लू से कोई भी मौत न होने पाए। हमारे पास कार्य योजना की समीक्षा करने, जागरूकता अभियान चलाने और बचाव के कदम उठाने के लिए पर्याप्त समय है।’
लू के प्रबंधन, बचाव और इस बारे में उपलब्धियों के अपने पिछले अनुभवों की प्रस्तुति देते हुए एनडीएमए के संयुक्त सचिव थिरूप्पुगझ ने स्थानीय स्तर पर इसके लिए एक सीमा निर्धारण और सशक्त डाटाबेस के महत्व पर बल दिया।
कार्यशाला के पहले तकनीकी सत्र में लू से बचाव और उसके प्रबंधन के लिए एक कार्य योजना विकसित करने पर बल दिया गया है। इस दौरान कार्य योजना की उन बारीकियों पर भी विचार-विमर्श किया गया, जो स्थानीय जरूरतों का समाधान कर सकें। सत्र में उन विषयों पर प्रमुखता से चर्चा की गई, जिनके जरिये लू के प्रभावों को कम करने के लिए एक उपयुक्त वातावरण तैयार किया जा सके। लू के पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी पर आयोजित सत्र की एनडीएमए के सदस्य श्री कमल किशोर ने अध्यक्षता की। इसमें छोटे क्षेत्र में एक इलाके विशेष के लिए जारी किये जाने वाले पूर्वानुमानों पर ध्यान केन्द्रित किया गया। इसमें पूर्वानुमान का दायरा बढ़ाने तथा पूर्व चेतावनी के संदर्भ में परिचालन सहयोग, समन्वय और सूचनाएं प्रसारित करने पर चर्चा की गई।
तीसरे सत्र में आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र ने लू के प्रकोप से निपटने के बारे में अपने अनुभव और बेहतर कार्य प्रणाली अन्य राज्यों के साथ साझा की, ताकि उन्हें लू से निपटने के लिए कार्य योजना तैयार करने में मदद मिल सकें। ये वे राज्य हैं, जहां लू के प्रकोप का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। समय रहते की गई तैयारियों से ये राज्य अपने यहां लू के प्रकोप को घटाने में काफी सफल रहे हैं।