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विकसित देशों को यूएनएफसीसीसी और पेरिस समझौते के तहत वित्तीय और तकनीकी प्रतिबद्धताओं पर अमल करना चाहिए: प्रकाश जावडेकर

देश-विदेश

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के दुष्‍प्रभावों के खिलाफ एकजुट कार्रवाई के लिए वि‍भिन्‍न देशों के पर्यावरण मंत्रियो के बीच हुई वर्चुअल बैठक के चौथे संस्‍करण में सभी पक्षों ने पेरिस समझौते के अनुरूप आर्थिक सुधार योजनाओं को कार्यान्वित करने के तौर तरीकों और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ समुचित कार्रवाई सुनिश्चित करने पर गहन विचार-विमर्श किया। संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के तहत पेरिस समझौते को पूरी तरह से लागू करने पर चर्चा को आगे बढ़ाने तथा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक स्‍तर पर राजनीतिक प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करने के लिए यूरोपीय संघ, चीन और कनाडा ने इस बैठक की सह अध्‍यक्षता की।

केन्‍द्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की ओर से महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं और भविष्य में भी ये प्रयास जारी रखे जाएंगे। श्री जावडेकर ने विकासशील देशों से फिर अनुरोध किया कि वे  यूएनएफसीसीसी और पेरिस समझौते के तहत की गई प्रतिबद्धताओं के तहत विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन की समस्‍या से निपटने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करें।  उन्‍होंने कहा ‘2020 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की मदद का वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया है। मुझे उम्मीद है कि 2020 के शेष 5 महीनों में, विकसित देश यह राशि जुटा लेंगे और विकासीशल देशों तक पहुंचा देंगे।’

भारत के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा कि भारत ने 2005 और 2014 के बीच अपने सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में उत्सर्जन गहनता में 21% की कमी हासिल की जिससे 2020 से पहले के स्वैच्छिक लक्ष्य को प्राप्त किया जा सका है। इसके अलावा, पिछले 5 साल में भारत की अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता में 226% की वृद्धि हुई है और यह 87 गीगावॉट से अधिक हो चुकी है। उन्‍होंने कहा कि बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी मार्च 2015 में 30.5% से बढ़कर मई 2020 में 37.7% हो गई। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य 450 गीगावॉट तक बढ़ाने की आकांक्षा व्‍यक्‍त की है।

श्री जावडेकर ने कहा कि सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए हैं जो ग्रामीण लोगों को खाना पकाने का स्वच्छ ईंधन और स्वस्थ वातावरण प्रदान करते हैं। उन्‍होंने कहा कि देश का कुल वन और वृक्ष आच्छादन क्षेत्र 8,07,276 वर्ग किलोमीटर है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.56% है। उजाला योजना के तहत 36 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिसके कारण प्रति वर्ष लगभग 47 अरब यूनिट बिजली की बचत हुई है और प्रति वर्ष कार्बन उत्‍सर्जन में 38 मिलियन टन की कमी आई है।

   स्‍वच्‍छ ईंधन की दिशा में भारत के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए श्री जावडेकर ने कहा कि भारत ने 1 अप्रैल, 2020 तक भारत स्टेज- चार (बीएस-चार) के मानक अपनाने की जगह भारत स्टेज- छह (बीएस-छह) उत्सर्जन मानकों को अपनाने की स्थिति में पहुंच गया है जबकि इसके लिए 2024 तक की समय सीमा निर्धारित की गई थी। उन्‍होंने देश के हरित पहलों का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत देश में 440 रूपए का कोयला उपकर लगाया है। इसे वस्‍तु एवं सेवा कर में समाहित किया गया है। स्‍मार्ट शहर मिशन के तहत क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज असेसमेंट फ्रेमवर्क 2019 शुरू किया गया है जो शहरों और शहरी क्षेत्रों के लिए शमन और अनुकूलन उपायों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रदान करता है।

बैठक में लगभग 30 देशों के मंत्रियों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कोरोना महामारी को देखते हुए यह बैठक पहली बार वर्चुअल तरीके से आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य जलवायु परिर्वतन से निपटने की दिशा में सामूहिक कार्रवाई की प्रगति सुनिश्चित करना था।

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