नई दिल्लीः ‘मैं न केवल भारत में एचआईवी/एड्स के कारण जीवन गवांने वाले बल्कि दुनिया भर में इसके कारण मरने वाले लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं ; आइए, हम प्रतिज्ञा करें कि अब एचआईवी के कारण किसी की भी जान न जाए। आइए, हम सभी एकजुट हों और एचआईवी के खिलाफ इस लड़ाई में हाथ मिलाएं जिससे कि हम एक साथ मिलकर 2030 तक इस बीमारी को समाप्त कर सकें।’ केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज यहां स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) द्वारा आयोजित विश्व एड्स दिवस, 2017 के अवसर पर एक समारोह को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं। समारोह के दौरान श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने उन लोगों की खोज के लिए, जिन्हें आगे की कार्रवाई के लिए छोड़ दिया गया है तथा जिन्हें एआरटी सेवाओं के तहत लाया जाना है, राष्ट्रीय कार्यनीति योजना (2017-24) एवं मिशन ‘संपर्क’ भी आरंभ किया।
डॉ. प्रीति सुडान, सचिव (स्वास्थ्य), श्री संजीव कुमार, एएस एवं डीजी (एनएसीओ), श्री आलोक सक्सेना, जेएस (एनएसीओ), डॉ. बिलाली कमारा, कंट्री कॉड्रिनेटर, यूएनएड्स, भारत में डब्ल्यूएचओ के कंट्री प्रतिनिधि डॉ. बेंक हैंकेडम भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस समारोह को संबोधित करते हुए श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने जानकारी दी कि 11.5 लाख से अधिक पीएलएचआईवी देश में 536 एआरटी केन्द्रों के जरिए मुफ्त एआरटी ले रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अभी भी उन लोगों की खोज, जिन्हें आगे की कार्रवाई के लिए छोड़ दिया गया है तथा जिन्हें एआरटी सेवाओं के तहत लाया जाना है, से संबंधित बड़ी चुनौती का सामना करना है। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मिशन ‘संपर्क’ आरंभ किया गया है। उन्होंने बताया कि इस दिशा में, जरूरतमंद लोगों के एचआईवी परीक्षण के लिए उनके निकट ही इस सुविधा को प्रदान करने हेतु ‘समुदाय आधारित परीक्षण’ की व्यवस्था ऐसे लोगों की तेजी से पहचान करने में सहायक होगी, जो एचआईवी पॉजिटिव हैं और इसके बाद उन्हें एआरटी कार्यक्रम से जोड़ दिया जाएगा। श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय कार्यनीतिक योजना 2017-2024 न केवल 90:90:90 के लक्ष्य को अर्जित करने के लिए एक रोड मैप का रास्ता प्रशस्त करेगी, बल्कि 2030 तक एड्स की महामारी समाप्त करने की रणनीति में तेजी लाने के लिए अपने साझेदारों के साथ मिलकर प्रयास भी करेगी। उन्होंने बताया कि ‘इसलिए अगले सात साल बेहद महत्वपूर्ण है और अब तक किये गये निवेशों का परिणाम एड्स के खात्मे की दिशा में ठोस उपलब्धि के रूप में सामने आएगा।’ उन्होंने बताया कि हमारा एक महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्र दोहरे संक्रमण अर्थात माता से शिशु को एचआईवी का संचरण तथा सिफलिस का माता से शिशु को संचरण से बचाव करना है।
इस महामारी को खत्म करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए श्रीमती पटेल ने कहा कि एड्स के प्रति एक सर्व-समावेशी अनुक्रिया की सरकार की राजनीतिक प्रतिबद्धता इस तथ्य से सिद्ध हो जाती है कि चिरप्रतीक्षित एचआईवी/एड्स रोकथाम एवं नियंत्रण अधिनियम, 2017 को अधिनियमित कर दिया गया है। श्रीमती पटेल ने कहा कि ‘यह ऐतिहासिक कानून लोक केन्द्रित तथा प्रकृति में प्रगतिशील है और विभिन्न व्यवस्थाओं में एचआईवी प्रभावित लोगों के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिए कानूनी मंजूरी को सामने लाता है।’
यह समारोह सरकार एवं प्रत्येक व्यक्ति तथा प्रत्येक साझेदार, जिन्होंने एनएसीओ के 25 वर्षों की सफलता में योगदान दिया है तथा देश में एचआईवी महामारी को रोकने में सहायता की है, द्वारा एचआईवी के खात्मे के प्रति नवीकृत प्रतिबद्धता के साथ समाप्त हुआ।
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