देहरादून: कैबिनेट सचिव श्री प्रदीप कुमार सिन्हा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नमामि गंगे कार्यक्रम की समीक्षा की। उत्तराखण्ड सहित बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिवों से कार्यक्रम के प्रगति की जानकारी ली।
मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, नदी के प्रवेश स्तर की गतिविधियां, औद्योगिक कचरा उपचार प्लांट्स, पानी की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग, वनीकरण और जैव विविधता संरक्षण, ग्रामीण स्वच्छता और जन जागरूकता अभियान आदि कार्य किए जा रहे हैं। मुख्य सचिव ने कैबिनेट सचिव को बताया कि राज्य और जनपद गंगा समिति की बैठक नियमित रूप से हो रही है। 15 स्थानों पर गंगा नदी के जल की गुणवत्ता मापी जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 08 स्थानों में ’ए’ श्रेणी और 07 स्थानों को ’बी’ श्रेणी की गुणवत्ता पाई है। ’बी’ श्रेणी की गुणवत्ता वाले स्थल गंगा से निकलने वाली नहरों की है। यानी गंगा नदी के जल की गुणवत्ता उच्च गुणवत्ता की है।
कैबिनेट सचिव ने इस बात पर खुशी जाहिर की, कि रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, ऋषिकेश सहित गंगा नदी के किनारे बसे कस्बों में जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। नदी के किनारे के 132 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ कर दिया गया है। मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टरियों में से 49 फैक्टरियों ने मानकों का पालन करना शुरू कर दिया है। 13 फैक्टरियों को मानकों का पालन न करने की वजह से बंद कर दिया गया है। अन्य 06 फैक्टरियों के खिलाफ कार्यवाही गतिमान है। बताया कि सीवेज प्रबंधन, घाट निर्माण, एसटीपी निर्माण के कार्य तेजी से चल रहे है। 32 परियोजनाओं में से 14 पूर्ण हो गये हैं। 16 परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। ऋषिकेश में 26 एमएलडी की एसटीपी और हरिद्वार में सीवरेज नेटवर्क टेंडर की प्रक्रिया में है। इसके अलावा देवप्रयाग से उत्तरकाशी, उत्तरकाशी से मनेरी, रुद्रप्रयाग से कर्णप्रयाग और कर्णप्रयाग से विष्णुप्रयाग तक रिवर फ्रंट डेवलपमेन्ट का कार्य चल रहा है।